How MNC Company are robbing India | एमएनसी कंपनी भारत को कैसे लूट रही है

How MNC Company are robbing India

                क्या आप को पता है की MNC यानी मल्टीनेशनल कम्पनीज कैसे हमारे देश को लगातार लूट रही है? और हमारे देश का पैसा अपने देश ले कर जा रही है। आज हम इसी टॉपिक पर बात करने वाले है की आखिर किस तरह MNCs हमारे देश मे आ कर अपनी मनमानी कर रहे है और कैसे हमारे देश को लूट रहे है और आखिर सरकार इन मल्टी नेशनल कम्पनिज को भारत मे बिज़नेस करने की परमिशन देती ही क्यों है ?

                 सोलहवी शताब्दी में सबसे पहले एमएनसी यानी मल्टी नेशनल कंपनी के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में कदम रखा था, उस वक्त मात्र यही एक मल्टी नेशनल कंपनी एग्जिस्टेंस में थी। लेकिन धीरे-धीरे ये आकड़ा बढ़ता चला गया और आज 40 हजार से भी ज्यादा मल्टी नेशनल कंपनियां भारत में अपना बिजनेस कर रही है। ये कंपनियां भारत में दो तरीको से अपना बिजनेस चलाती है। पहला ये की बहुत सी कंपनिज़ ने भारत में अपनी दूसरी ब्रांच बना ली है और इसके अलावा ये की इन कंपनिज़ ने भारतीय देशों के साथ समझौता कर लिया है। अब दोस्तो समझौता भी दो तरह के होते है पहले टेक्नोलॉजी के आधार पर और दसरा फाइनेंस के आधार पर।

                आप जान कर हैरान हो जायेंगे की इन बड़ी बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनीज को खुद भारत सरकार इन्वाइट करती है। अब आप ये सोचेंगे की आखिर भारत सरकार ऐसा क्यों करती है जबकी उसे पता है की ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद हम ढाई सौ साल तक गुलाम बन कर रहे और बड़ी ही मुश्किल से 1947 में हमें आजादी मिली।

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दरसल सरकार का कहना है की वो ऐसा देश के विकास के लिए ही करते है जिससे हमें 3 फायदे होते हैं। अब वो 3 फ़ायदे क्या है?

  • पहला ये की जब ये कंपनियां भारत में आती हैं तो ये पैसा ले कर आती है जिससे भारत में पुंजी बनती है।
  • दूसरा ये की इन कम्पनीज के भारत मे आने से भारत का एक्सपोर्ट बढ़ता है।
  • तीसरा ये की इन कम्पनीज की वजह से भारत में अनएम्प्लॉयमेंट कम होता है क्यू की उन कंपनियों को वर्कर्स की जरूरत होती है जो रोजगार को बढ़ावा देती है।

                सरकार का कहना है की बाहरी कंपनिज़ के भारत में आने से पैसा आएगा, पूंजी आएगी। अब दोस्तो आप खुद ही सोचिए की वो कंपनियां बेवकूफ हैं जो अपने देश का पैसा हमारे देश में ला कर हमे दे देंगे। बिलकुल भी नहीं, बल्की वो हमारे देश में आ कर हमारे देश का पैसा अपने देश में ले कर जाते हैं। जी हा दोस्तो जितनी भी मल्टी नेशनल कंपनियां भारत मे बिजनेस के लिए आती हैं वो बहुत ही कम इन्वेस्टमेंट के साथ आती है। जब कंपनिज़ इन्वेस्टमेंट करती है तो उसका 2 से 3 गुना फायदा उन्हे मिल जाता है जिसका कुछ हिसा वो दोबारा इन्वेस्ट कर देती हैं और कुछ हिस्सा वो अपने देश ले कर चले जाते हैं। दस्तावेज़ बताते हैं की मान लिजिये अगर किसी मल्टी नेशनल कंपनी ने अपने 100 करोड़ कंपनी में इन्वेस्ट किये तो उसी साल के अंत में उन्हे तकरीबन 300 से 400 करोड़ और कभी कभी 500 करोड़ तक का मुनाफ़ा होता है जिसे वो अपने देश ले कर चले जाते हैं है। हेरनी की बात तो ये है की ये कंपनियां पहली बार में थोड़ा सा निवेश कर के सालो साल भारत को करोडो से लुटती है। और हम ये समझते हैं की हमारे देश में विकास हो रहा है, हमारे देश में पुंजी आ रही है। बल्की उससे हमारे देश में गरीबी बढ़ती जा रही है।

                अब बात करेगा रोजगार की तो सरकार का कहना की कंपनी आएगी तो पुंजी आएगी, पूंजी आएगी तो रोज़गार आयेगा और रोज़गार आयेगा तो गरीबी कम होगी। लेकिन दोस्तो आकड़ों का कहना कुछ और ही है। आजादी के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी एक ऐसी मल्टी नेशनल कंपनी थी जिसे हमने भारत से मार भगाया था लेकिन उस वक्त भारत के हालात ऐसे थे की भारत में ज्यादा पैसा नहीं बचा था, सब कुछ अंग्रेज लूट चुके थे। तो ऐसे मे देश को पैसे और पुंजी की बहुत जरूरत थी इसिलिए 2 साल बाद ही भारत ने 126 मल्टी नेशनल कंपनियों को वापस भारत बुला लिया। अब उस वक्त भारत में कुल गरीबो की सख्या लगभाग साढे 4 करोड़ थी, और आज कुल गरीबो की सांख्य लगभग 9 करोड़ की हो गई है। इसका साफ मतलब है कि उस वक्त भारत को लूटने के लिए सिरफ एक मल्टी नेशनल कंपनी थी, और आज उसे लूटने के लिए 40 हजार मल्टी नेशनल कंपनियां हैं। इसका मतलब है की पूंजी हमारे देश में आ नहीं रही बल्की वो हमारे देश से जा रही है जिससे बेरोजगारी और गरीबी दोनो बढ़ रही है। अगर इन कंपनियों पर पाबंधिया लगा दी जाए तो देश का पैसा कभी बाहर नहीं जाएगा, वो देश में ही रहेगा और बेरोजगारी और गरीब भी नहीं बढ़ेगी।

                अब बात करे एक्सपोर्ट की, की एमएनसी के आने से हमारे देश का एक्सपोर्ट बढ़ता है तो आपको बता दे की ऐसा बिलकुल भी नहीं है। बल्की फाइल्स और डॉक्युमेंट्स से ये पाया गया की जैसे जैसे बड़ी बड़ी मल्टी नेशनल कंपनीज का आगमन हमारे भारत में हो रहा है, एक्सपोर्ट रेट उतनी ही तेजी से घटता चला जा रहा है। आप जान कर हेरन हो जाएंगे की सोलहवी शताब्दी में जब मात्र एक मल्टी नेशनल कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी मौजूद हुआ करती थी तब भारत पूरे देश का 33% एक्सपोर्ट करता था जहां आज ये आकड़ा 1.71% तक गिर चुका है। तो अब आप ही बताईयें कि मल्टी नेशनल कंपनिज़ के आने से तों एक्सपोर्ट्स तों बढ़ने चाहिए लेकिन रिपोर्ट्स तों कुछ और ही कह रही.

                इसके अलावा दोस्तो ये कंपनियां भारत में एक्सपोर्ट के बदले इम्पोर्ट को बढ़ावा देती हैं क्यों की कंपनी में रॉ मटेरियल की जरूरी होती है जो ये अपने देश से ला कर भारत में बेचते है, तो इससे फायदा उनके देश को होगा, और हमारे देश को सिर्फ नुक्सान। इसके अलावा दोस्तो जब मल्टी नेशनल कंपनिज़ हमारे देश में आती हैं तो ये सरकार पर रुपये की किमत डॉलर की तुलना में गिराने की कोशिश करती है। और लगातार ये कीमत गिरते भी आ रहे क्यु की जब हमारा देश आजाद हुआ था तब रुपए डॉलर के बराबर हुआ करता था जहां आज ये 70 से 80 तक चला जाता है। इस्का मतलब ये है कि जब हम 1 डॉलर का समान इम्पोर्ट करेंगे तो उसके लिए हमे 70 से 80 रु देना होगा, जिसमे हमारा घाटा ही होगा और अगर एक्सपोर्ट किया तो हमें मुनाफा कम होगा क्यू की 1 डॉलर कमाने के लिए हमें 70 से 80 रु का समान एक्सपोर्ट करवाना होगा। तो दोनो ही सुरतो में घाटा सिरफ भारत का ही होगा। तो अब आप ही बताईयें की मल्टीनेशनल कंपनिज़ हमारे देश का विकास कर रही हैं या उसमें बाधा डाल रही।

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