दमदार , शानदार और फौलादी शरीर वाले बॉडी बिल्डर्स को क्या हो रहा है ? कैसे अचानक ये मौत के पंजे में फस रहे है ? क्या वजह है जो इन्हे हो रही है अजीब अजीब तरह की बीमारियां ? क्यों ये कम उम्र में ही मौत को प्यारे हो रहे है ? चलिए जानने की कोशिश करते है बॉडीबिल्डिंग की डार्क साइड के बारे में।
फौलादी शरीर , दमदार Biceps और जबरदस्त बॉडी आखिर कौन नहीं चाहता , आज के समय में तो हर नौजवानों के दिलों दिमाग पर केवल एक ही जूनून सवार है और वो है बॉडीबिल्डिंग का , आज हर कदम पर आपको जिम देखने को मिल जाएँगी और वहां एक्सरसाइज करते हुए नौजवान भी, वाक़ई लड़कों पर बॉडी बनाने का और दिखाने का खुमार तो कुछ ऐसा सवार है कि भई कुछ जिम के दीवानों को तो सपने भी एक्सरसाइज के आते है, जी हाँ ये कोई मजाक नहीं है क्योकि क्रेज़ ही कुछ ऐसा है।
वहीँ कुछ लौंडों का तो यही मकसद होता है कि भई चार आदमियों के सामने अरे नहीं नहीं लड़कियों के सामने से जब बॉडी बनाकर निकलेंगे तो वो बस इम्प्रेस ही हो जाएंगी , जिसके चलते ना जाने कितने ही नौ जवान जिम में मेंबर शिप तो ले लेते है लेकिन जब जिम में भारी भारी डम्बल उठाने की बारी आती है तो दूसरे दिन से हाथ जोड़ लेते है, खेर कुछ भी हो लेकिन आज के समय में लड़कों के साथ साथ लड़कियां भी बॉडी बिल्डिंग करने में पीछे नहीं है, बोले तो हर किसी को बॉडी बिल्डिंग का खुमार सवार है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यही बॉडी बिल्डिंग आज बॉडीबिल्डर्स को मौत का रास्ता दिखा रही है।
सुनकर हैरानी हो रही होगी न पर ये सच है, कुछ ही समय पहले जर्मनी से एक खबर आई थी जिसमे जर्मनी के पॉपुलर बॉडीबिल्डर ने अपनी जान गवा दी , ये और कोई नहीं जर्मनी के फेमस बॉडीबिल्डर और मीडिया influencer Jo Lindner थे और हैरानी की बात तो ये है कि इनकी उम्र केवल 30 साल की थी, इनकी मौत की खबर सुनकर तो इनके फैंस इस बात पर विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे साथ ही मन मे एक सवाल ये भी था की आखिर ये सब कैसे हुआ, और इस सवाल का जवाब तब मिला जब इनकी मौत के बाद ये खबर सामने आई कि उन्हें एक खतरनाक बीमारी हो गई थी जिस वजह से उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा , ये खतरनाक बीमारी एन्यूरिज्म (Aneurysm) थी।
जो लोग इस बीमारी के बारे में नहीं जानते उनको बता दें ये बेहद गंभीर बीमारी है जिसमे खून की नसें फट जाती है, जिसे धमनी विस्फार भी कहते है , इस बिमारी में पैर , पेट की नसों में सूजन आ जाती है और वो कमजोर हो जाती है और सूजन की वजह से खून भी जमां होना शुरू हो जाता है और ज्यादा दबाव की वजह से नसें फट जाती हैं बता दे ये बीमारी तब तक पता नहीं चलती जब तक ये शरीर पर कब्ज़ा ना कर ले, और ये बीमारी anabolic steroids का ज्यादा यूज़ करने की वज़ह से होती है जिसे हम एन्यूरिज्म कहते है।
खेर ये तो एक ही केस है इस जैसे कई सारे केस सामने आये है जैसे चेन्नई के एक बॉडी बिल्डर योगेश को ले लीजिये, ख़बरों के अनुसार योगेश कुछ समय से जिम से दूर थे लेकिन जैसा ही उन्हें Competition के बारे में पता चला तो उन्होंने तैयारी करना शुरू कर दी , जिसके लिए वो जिम में लगातार पसीना बहाते रहे ।
आपको बता दें ये जिम में एक जिम ट्रेनर तो थे ही साथ में मिस्टर तमिनाडु का खिताब भी इनके नाम पर ही था, वेल योगेश एक्सरसाइज कर ही रहे थे की उन्हें तभी थकावट महसूस हुई और वो बाथ लेने के लिए गए लेकिन काफी देर तक वापस न आने पर जब बाथरूम में देखा गया तो क्या देखा कि योगेश फर्श पर बेहोशी की हालत में पड़े हुए है और डॉक्टर के पास ले जाने तक योगेश की जान जा चुकी थी जाँच के बाद पता चला की उनकी मौत cardiac arrest की वजह से हुई है।
सो ये तो हमने आपको कुछ बॉडीबिल्डर्स की अजीब मृत्यु के बारे में बताया पर आप भी सोच रहे होंगे की आखिर ये बवाल क्या है क्यों होती है ऐसी बीमारियां और क्या है ऐसी गलतियां जो बॉडीबिल्डर्स को अंदर ही अंदर ख़तम कर रही है।
आज की youth में सबसे बड़ी कमी ये है कि उनके अंदर patience नहीं है और impatience ही सबसे बड़ी वजह है लोगों में होने वाली इन परेशानियों का, आज के समय अगर कोई व्यक्ति किसी को खुद से बेहतर देख लेता है तो उसे बेचैनी होना शुरू हो जाती है और बॉडी बिल्डिंग के मामले में तो भाईसाहब ये काफी चलन में है, जहाँ एक व्यक्ति ने खुद से बेहतर अगर किसी को देख लिया तो भइया जोश जोश में इतनी जिम कर लेते है जितनी उनके शरीर के लिये ठीक नहीं होती वो भूल जाते है कि वो आम इंसान है और आम इंसान को मसल्स गेन करने के लिए 12 हफ्ते तक लग सकते है और एक hulk जैसी बॉडी के लिए करीब 5 से 6 साल तक का वक़्त, पर ये उन्हें कौन समझाए और specially तब जब उन्हें पता है कि 6 साल की बॉडी 2 महीने में बनाने वाली चीजें मार्किट में मौजूद है।
जी हाँ आप सही समझे यहाँ Steroids और Whey protein की ही बात हो रही है जिसे जिम लवर्स अपनी डाइट में हमेशा शामिल करते है, इन चीजों का इस्तेमाल एथलेटिक या बॉडीबिल्डिंग परफॉरमेंस को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, यही वो चीज है जिसका यूज़ करने से 100 किलो के शरीर वाले बंदे में चर्बी कम और मास ज्यादा नजर आता है और ऐसे में अगर कहा जाए protein supplements और Steroids बॉडीबिल्डर्स के impatience को बढ़ावा दे रहे है तो ये गलत नहीं होगा और वहीँ जिम लवर्स की बात करे तो उन्हें जल्द से जल्द जिम लवर्स बनने का जूनून कुछ ऐसा चढ़ा हुआ है कि इन supplements ने तो भाईसहाब मार्किट में धूम ही मचा रखी है जहाँ देखों वहां इनकी डिमांड बढ़ती ही जा रही है।
अब इसकी डिमांड इतनी क्यों है तो इसकी एक वजह रेगुलर खाने में भरपूर प्रोटीन न मिल पाना है अब क्योकि हर खाने में Minerals calcium और vitamins भी तो शामिल होते है, इसी वजह से खाने में प्रोटीन की क्वांटिटी बहुत कम होती है और अगर बात करें की ये प्रोटीन इतना जरुरी क्यों है तो इसका जवाब मसल्स मास है क्योकि डाइट में प्रोटीन का ज्यादा से ज्यादा होना मसल मास बनाने और उसको मेंटेन रखने में मदद करता है, यानी आप समझ सकते है कि खाने से शरीर में जो प्रोटीन की कमी पूरी नहीं हो रही हैं उसी कमी को पूरी करने के लिए इन supplements का यूज़ किया जाता है लेकिन दूसरी सबसे बड़ी वजह ego lifting है, अब ये क्या बवाल है।
यही सोच रहे है न आप तो बता दें कि अक्सर आपने देखा होगा या सुना होगा कि किसी बंदे ने जोश जोश में आकर अपनी केपेसिटी से ज्यादा हैवी वेट उठा लिया और वही हैवी वेट उसकी जो हालत करता है वो तो वही जानता है, यही होती है Ego Lifting जिसमे हम एक ही मोमेंट को ऐसा समझ लेते है कि बस यही समय है जो कुछ करना है कर लो , बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में ये केवल आदमियों की ही बात नहीं है बल्कि महिलाएं भी Ego Lifting में खूब आगे निकल जाती है जहाँ आदमी लोग हैवी हैवी वेट उठाते है, वहीँ महिलाएं ज्यादा से ज्यादा टफ एक्सरसाइज करती है लेकिन अफ़सोस ये बिना होश के जोश में किये हैवी वेट और टफ एक्सरसाइज से उनकी बॉडी वैसी नहीं हो पाती जैसा वो चाहते है और इसका बॉडी पर बहुत ही कम असर होता है लेकिन यहाँ उनके काम आता है Steroids जो उनके मिनिमम असर को मैक्सिमम दिखाने के काम आता है।
आखिर ये स्टेरॉयड है क्या ? यही सोच रहे है न आप तो आपको बता दें कि ये कुछ और नहीं बल्कि मेल सेक्स हार्मोन्स Testosterone के SYNTHETIC हार्मोन्स है जो उनके अंदर नेचुरली प्रोड्यूस होते है, वहीँ फीमेल्स में भी ये हार्मोन्स प्रोड्यूस होते है लेकिन बहुत कम क्वांटिटी में और ये भी इस वजह से ताकि इसके जरिये फीमेल्स की बोन डेन्सिटी और Libido यानी सेक्स डिज़ायर दोनों हैल्थी बने रहे और ये सब बॉडी में नेचुरली होने वाला एक प्रोसीजर है लेकिन आज के समय में क्या ? सब कुछ आर्टिफीसियल चल रहा है जिसके चलते स्टेरॉइड्स भी आर्टिफीसियल यूज़ किये जा रहे है लेकिन उससे होता क्या है कि जब भी ये आर्टिफीसियल एस्ट्रोइड्स लोग यूज़ करते है तो उसका असर बॉडी के अलग अलग पार्ट्स में जैसे hair follicles, बोन्स, मसल्स, किडनी और नर्वस सिस्टम जैसे हर पार्ट्स में पड़ता है, जहाँ कुछ पर सही रहता है लेकिन कुछ पर जान से हाथ धो बैठने वाली नौबत भी आ सकती है, जैसा की हमने शुरुआत में आपको बताया था।
ऐसा नहीं है कि सरकार की तरफ से इसपर कोई एक्शन नहीं है , बिलकुल है एनाबॉलिक स्टेरॉयड के खतरनाक असर को देखकर तो दुनिया के कई देशों में इसे ban तक कर रखा है क्योकि ये एक तरह का मेडिकल ड्रग है जिसका यूज़ करके कई बिमारियों का इलाज भी किया जाता है लेकिन इतना सब कुछ पता होने के बाद भी आज के समय में इसका यूज़ करना कॉमन ही है , जी हाँ बात हो strength स्पोर्ट में बॉडी बिल्डिंग, ओलंपिक और वेट लिफ्टिंग हर जगह स्टेरॉयड का खूब यूज़ किया जाता है क्योकि ये मसल्स मास , स्ट्रेंथ और पावर आउटपुट तेजी से बढ़ाते है और वहीँ बॉडी बिल्डिंग के दीवानों की तो कुछ कहो ही मत जो बिना किसी Prescription के illegal ही इन स्टेरॉयड का यूज़ कर रहे है।
अब यहाँ तक तो आप समझ ही गए होंगे कि बॉडी बिल्डर्स और वेट लिफ्टर्स की क्या कहानी है, कैसे वो इन चीजों का यूज़ करके अपनी बॉडी को सबसे बेहतर दिखाना चाहते है लेकिन सच बात तो ये है कि जो हमे दिखता है वैसा कुछ होता ही नहीं है, सारा मामला तो आर्टिफीसियल ही है लेकिन हाँ इस बात में कोई शक नहीं है कि जो दिखता है वही बिकता है और आज के समय में तो कौन डोले शोले की , परफेक्ट बॉडी की ख्वाइश नहीं रखता न सिर्फ लड़के बल्कि अब तो लड़कियों ने भी यहाँ एंट्री मार ली है जो कसरत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।