इसमें कोई शक नहीं कि हमारा देश भारत एक क़ृषि प्रधान देश माना जाता है। क्योंकि आज भी भारत कि 68 प्रतिशत जनसंख्या क़ृषि छेत्र पर ही निर्भर है. और आप जान कर हैरान हो जायेंगे की धरती का 11 परसेंट छेत्र क़ृषि के लिए ही यूज़ किया जाता है . महात्मा गांधी जिन्हे भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन का एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता माना जाता है उन्होंने तो कृषि को भारत कि आत्मा कह कर सम्बोधित किया था। क्योंकि ये हमारा हमारे देश ही था जिसने पूरे विश्व को कृषि के छेत्र में सबसे ज़्यदा योगदान प्रदान किया। बता दे की भारत में कृषि, सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से कि जाती रही है। तभी से ये हमारे भारत देश को इकोनॉमिकली स्ट्रांग भी बना रही . पूरे विश्व मे भारत का क़ृषि छेत्र मे कितना योगदान रहा इसी टॉपिक पर हम आज बात करेंगे
ऐसे तो हमारे देश ने दुनिया को बहुत से नये और अनोखे अविष्कार दिए हैं। फिर वो सैन्य छेत्र में हो या कृषि के छेत्र में हमारे देश का योगदान हर छेत्र में सर्वोपरी रहा है।
क्या आप जानते हैं कृषि के छेत्र में दुनिया का सबसे पहला उपकरण क्या है? वो है पहिया जी हां जिसे हम चक्का या व्हील भी कहते हैं। इसका अविष्कार भी हमारे भारत देश में ही हुआ था। जिसका इस्तेमाल सबसे पहले कृषि के लिए बैलगाडीयों में किया गया और फिर सारी दुनिया ने उसे हवाई जहाज में लगाया और उसे चलाया।
इसके बाद हमारे देश ने ही दुनिया को सबसे पहला कृषि उपकरण दिया जिसे बोलते है हल। जिसका इस्तेमाल किसानों द्वारा खेत में जोताई के लिए किया जाता है। दोस्तो हमारे देश ने तीन तरह के हल का अविष्कार किया है – जैसे एक फल वाला हल, दो फल वाला हल और तीन फल वाला हल। जिसे हम एकफारा, दुफारा और तीफारा भी कहते हैं। ये सारे तरह के हल हमारे देश में ही बने जिसका प्रयोग फिर पूरी दुनिया ने किया। और इसके इस्तेमाल से खेती करना सीखा।
बस यही नहीं और भी कई सारे कृषि उपकरण जैसे हसिया, हथोड़ा, खुरपी, खुरपा आदि सैकड़ों किस्म के कृषि उपकरण सबसे पहले भारत में ही बने हैं और फिर इसके बाद उन्हें सारी दुनिया ने अपनाया। हज़ारो साल पहले कृषि कि शुरुआत हमारे देश भारत से ही हुई थी और दूसरों ने फिर हमारी नकल करके कृषि करना शुरू कर दिया।
क्या आप कृषि के कार्य में प्रयोग कि जाने वाली विशेष पद्धति के बारे में जानते हैं। कृषि में बीज बोने कि एक खास पद्धति होती है। जिसमे एक सीधे लाइन में बीज को बोया जाता है। ये एक विशेष पद्धति के तौर पर पूरे विश्व में अपनायी गयी है जो कि सबसे पहले हमारे देश भारत ने ही दी थी।
इस विशेष पद्धति के लिए जिस उपकरण का प्रयोग किया जाता है उसे हम अंग्रेजी में ड्रिल plough कहते हैं। जो कि सबसे पहले भारत में ही बना और सारी दुनिया ने इसकी भी नक़ल करके इसे खेती के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
आप लोग में से जो भी लोग खेती या किसानी करते होंगे उन्हें पता होगा कि कृषि करने के लिए सबसे पहले धान के बीज को रोपा जाता है फिर जब पौधा थोड़ा बड़ा होता है तो इसे एक जगह से उखाड़ कर दूसरे जगह पर उसकी रोपाई कि जाती है। अब हमारे देश में इस्तेमाल कि गयी इस तकनीक को भी पूरी दुनिया ने भारत से ही सीखा।
इतना ही नहीं धान के बीज को एक जगह बोना और फिर उसे उखाड़ दूसरी जगह प्रत्यारोपित करना ताकि उदपादन ज़्यादा मिले और खेत का नुक्सान सबसे कम हो, ये तकनीक भी पूरी दुनिया को हमारे देश ने ही सिखाया।
ये जान कर आपको हैरानी होगी कि दुनिया के 155 देश धान का उदपादन करते है। और भारत कि इसी पद्धति कि नक़ल करके ही वो अपने देश में धान का उदपादन करते हैं। यही नहीं पूरी दुनिया में धान इसी प्रकार से ही लगाया जाता है।
इस विषय में एक और इम्पोर्टेन्ट बात आपको जाननी चाहिए वो कि insecticides और pesticides को भी भारत ने ही सबसे पहले बनाया था उसके बाद पूरी दुनिया ने इसे भारत से सीखा। गाय के गोबर से या भैस के गोबर से या आदि चीज़ों से कौन कौन से कीटनाशक बन सकते हैं और किस तरह से उनका उपयोग हमारे खेत में किया जाता है ये सारी चीज़ों को भी सारी दुनिया को भारत ने ही सिखाई।
तो ये तो हमने हमारे देश के कृषि छेत्र में कौन कौन से योगदान है उसके बारे में आपको बताया।
आप जान कर हैरान हो जायेंगे की भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 51 फीसदी भाग पर कृषि, 4 फ़ीसदी पर चारागाह, लगभग 21 फीसदी पर वन है और 24 फीसदी बंजर यानी उनका कोई काम नहीं है। बता दे की भारत के क़ृषि छेत्र के आधे से ज्यादा ज़मीन पर केवल चावल की खेती ही होती है और चाइना के बाद भारत ही वो दूसरा देश है जो पूरी दुनिया मे सबसे ज्यादा चावल की खेती करता है। बात करें अगर ऐसी चीज़ो की जिनके उत्पादन मे भारत पहले नम्बर पर आता है तो वो है आम, केला, चीकू, खट्टे नींबू, काजू, नारियल, काली मिर्च, हल्दी। फलो और सब्जियों के उत्पादन मामले मे तो भारत पूरी दुनिया मे नंबर एक पे है और अगर बात करें भारत के अंदर गेहूं के उत्पादन की उत्तर प्रदेश वो राज्य है जो सबसे ज्यादा गेहूं की खेती करता है।
तो ये है हमारे देश कि प्रसिद्धि जो सारे विश्व में जगजाहिर है।
हमारे देश ने सारी दुनिया को कृषि के छेत्र में जो योगदान दिए है उससे आज जमीनी स्तर पर देश का किसान अब सशक्त होता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा जारी विभिन्न परियोजनाओं से किसानों को अच्छी खासी मदद मिल रही है, जिसका निष्कर्ष आज हमारे सामने है। आप जान कर हैरान हो जायेंगे की भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक उंचाई पर पहुंच गया है। और वर्ष 2021-22 के लिए कृषि उत्पाद का निर्यात 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है।
इतना ही नहीं पूरी दुनिया में आज रूस-यूक्रेन का जो संकट है और जो खाद्यान्न की कमी दुनिया के सामने है, ऐसे में आज भारत ही वो देश है जो उसे पूरा करता हुआ नजर आ रहा है और धीरे धीरे हमारा भारत ‘आत्मनिर्भर’ बनता हुआ नजर आ रहा है।
तो आप देख सकते हैं कि सारी दुनिया ने हमारे देश से कृषि के छेत्र में क्या क्या सीखा। फिर वो चाहे किसी भी प्रकार के उपकरण हो या कृषि करने कि पद्धति ये सभी चीज़ें पूरे विश्व को हमारे देश ने ही सिखाई है। और इसीलिए हमारे देश में कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का रीढ़ कहा गया है।