मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन धरती पर रहती है

मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन धरती पर रहती है

            गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के 18 प्राचीन महाकब्यो मे से एक है वैष्णवी सहयाता के एक भाग है और भगवान विष्णु और गरुड़ के बिच मनुष्य जीवन को अर्थ को लेकर वर्तालब रूप में लिखा हुआ है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद जीवन अंतिम क्रिया कर्म और पूर्ण जन्म जेसी बातों पर विश्वास और चर्चा करते है । इसी लिए हिन्दू धर्म में इंसान मृत्यु के बाद आखरी क्रिया कर्म के समय इसका उपचारण क्या करते है ।हमने आपके लिए गरुड़ पुराण से खास कर इनी सवालों का जवाब ढूंढे। 

            मृत्यु के बाद क्या हो ता है? मृत्यु के ठीक पहले मृत्यु के दौरान मृत्यु के बाद क्या होता है ऐ गरुड़ पुराण में ऐ अच्छे से समझाया गया है जब एकदम से कोई इंसान की मृत्यु होती है तो हमारे रिश्ता एक दम से टूट जाता है।और अकसर से ऐ कामना करते है की क्या उनसे कभी फिर मिलना होगा या फिर बात हो पाएगी। पर मृत्यु के बाद आत्मा को इन स्टेंस् को क्रॉस करना पड़ता है। 

Number 1

            Astral cord टूट जाता है जब मृत्तु होती है तो Astral cord टूट जाता है जो की एक तरह से शरीर और आत्मा के बीच कनेक्सन है astral cord काटने से आत्मा शरीर से मुक्त हो जाती है और शरीर से बाहर और ऊपर निकल जाता है ।और इतने समय तक शरीर में बने रहने की वजह से आत्मा को उसे छोड़ने में मुस्कुल अति है तो यो छोड़ने से मना करती है यो शरीर से निकल कर वापस घुस जाती है और इधर उधर भटकती है । हमे मरने के बाद चेहरे और हाथ और पैरों के मामूली हिलने से पता चलता है ।जेसे हमारे लिए किसी की मृत्यू को स्वीकार करना मुस्कील होता है । वैसे ही आत्मा भी शरीर को मृत्यु मानने से इंकार कर देता है। तब भी जिंदा रहने का अहसास रहता है लेकिन astral cord टूटने से ऐ सरीर से अलग हो चुकी होती है ।और यो वहा नही रह सकती उसी शरीर से निकल कर ऊपर की तरफ जाना ही होता है क्युकी कोई चुमक या बाल होता है जो की उसे ऊपर की तरफ खींचखीं ता है। 

Number 2

            Earth sole चक्रों से disconnection मौत से लगभग 4.5. घंटा पहले इंसान के पेरो के नीचे इस्थ्थ earth sole चक्र अलग हो जाते है ।जिसका मतलब है धरती से संबंध टूट जाता है । इंसान की मृत्यू से कुछ घंटे पहले उसके पैर ठंडे पड़ जाते है ।जब मृत्यु का सही समय आता है ।तो कहा जाता है की मृतु देवतायम आते है ।और आपके आत्मा को ले कर चले जाते है।

Number 3

            शारीर से छुटकारा जब अंतिम क्रिया कर्म हो जाता है। तो आत्मा मन लेती है उसका इस धरती पर रहने का माध्यम खत्म हो चुका है। और वह शरीर जो उसने इतने सालों तक अपना रखा था, अब पंचतत्व में लीन हो चुका है आत्मा तब एकदम आजादी में। मेहसूस करती है शरीर में रहते हैं समय जो भी सीमा और रुकावट थी अब यो खत्म हो चुकी है । आत्मा बस सोचने से ही कही या जा सकता हैं 7 दिन तक आत्मा अपने शरीर के साथ रहते समय की पसंद की जगह पर घूमती रहती है जेसे की उसका सबसे पसंदीदा केफिक बगीचे में सुबह की शेर office वगैरह अगर आत्मा धन दौलत से बहुत लगाव महसूस करती है। तो आत्मा तिजोरी के पास भी रहेगी। अगर बच्चों से बहुत लगाव हो तो बच्चों के पास रहेगी और उन्हें प्यार करेगी । 7 दिन बाद आत्मा अपने परिवार और धरती को अल्बीदा कहती है ।और इस धरती से दूर होने लगती है और दूसरे दुनिया में प्रवेश करने लगती हैं। 

Number 4

            भौतिक शरीर का अंत इस चरण में आत्मा को लोगों के विचार एक सौर की तरह सुनाई देते हैं। हो चाहे उसके घर वाले हो या कोई भी आत्मा उन सब से बात करने की कोशिश करती है। और यो चिल्ला चिल्ला कर कहती है। मैं अभी मरा नहीं हूं, लेकिन उसे कोई भी सुन सकता धीरे-धीरे आत्मा को एहसास होता है कि वह शरीर मार चुका है। और वापसी का कोई तरीका नहीं इस चरण में आत्मा लगभग 12 फीट या काहू की छत की ऊंचाई पर तैर रही होती है और आस पास हो रहा सब कुछ सुनती ओर देखती है। 

Number 5

            पूर्वज से मिलाव मृत्यु के बाद 11वीं और 12वीं दिन हिंदू सभ्यता में लोग होम प्रार्थनाएं और रिति रिवाज करवाते हैं। जिसे आत्मा अपने पूर्वजो नजदीकी दोस्तों, स्तों रिश्तेदारों और मार्गदर्शक मिलती है। पहले से मृत पूर्वजों का ऊपरी दुनिया में स्वागत करते हैं और गले लगते है जैसे हम अपने धरती पर अपने दोस्त और परिवार को बहुत समय बाद मिलने पर लगाते हैं। उसके बाद आत्मा अपने मार्ग दर्शकों के साथ धरती पर पूरी जिंदगी को महान कार्मिक बोर्ड की मदद से कहने परखा जाता है। यहीं पर एक दिव्य प्रकाश की उपस्थिति में पूरा जीवन देखा जाता ह

Number 6

            सुरंग- सुरंग कहते है की बड़ी सी सुरंग होती है जो आत्मा को एस्ट्रल क्लीन तक पहुंचने से पहले पार करनी होती है और इसलिए कहा जाता है कि मृत्यु के बाद में 12 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हमें सारे अंतिम संस्कार और रिति रिवाज ठीक से करने होते हैं और प्रार्थना करनी होती। हमें आत्मा से क्षमा याचना मांगने पड़ते है ताकि वह अपने साथ कोई भी नकारा आत्मा भाव जेसे की दुः ख कुरूद नफरत ने साथ ना ले जाए कम से काम उसके परिवार और नजदीकी रिश्तेदारों को यही करना चाहिए। यह सारे रीती रिवाज प्रार्थनाएं नकारा आत्मा ऊर्जा आत्मा के लिए भोजन का काम करती है और उसे आगे की यात्रा में मदद करती है। उस सुरंग के अंत में बहुत तेज रोशनी होती है। जो दर्शाती है की अस्टोर्ल वर्ड में प्रवेश कर रही है लेकिन अगर उसके घर वाले ही रीति-रिवाज और प्रार्थना नहीं करते तो आत्मा सुरंग को पार नहीं कर पाती और फिर यही धरती पर फंस जाती है। और ना तो हेस्टल क्पालेन तक पहुंच पाती है और ना ही धरती पर कोई शरीर में होती है। इसलिए धारती पर भटकती रहती है। इसलिए किसी की मृत्यु के बाद भी उसके परिवार को अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभानी चाहिए और उसकी आत्मा को अंतिम यात्रा में मदद करनी चाहिए

Number 7

            जीवन का सार्ग यहां पर कोई जज नही होता ना ही कोई भगवान आत्मा खुद ही अपनी जिंदगी समेशा करती है। जिसे पूरी जिंदगी यो दुसरो जज करती थी आत्मा अपने साथ हुए बुरे के लिए कुरोध होती है और बदला लेने की इच्छा रखती है। किसी का जो बुरा किया है उसके लिए पच्चाती है और उसके लिए ख़ुद ही साजा मांगते है जेसे की आत्मा शरीर से और अपने मैसेज नहीं जुड़ी होती है। इसलिए आखिरी फैसला उसके अगले जीवन का आधार बनता है और इसी आधार पर आत्मा ही अगले जीवन के लिए रूप रेखा तैयार करती है। जिसे ब्लूप्रिंट कहते है।

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            हर घटना और मुसीबतें झेलनी होगी और हर चेतावनी जिसका सामना करना होगा। इस एग्रीमेंट में लिखी जाती है यहां तक की आत्मा उम्र? बेक्तित और हालात भी ख़ुद ही चुनती है। उदाहरण के लिए किसी इंसान ने पिछले जीवन में किसी की बेरहमी से हत्या की और मरने के बाद जीवन की समीक्षा करते हुए उसे बहुत पछतावा हुआ और उसके सजा खुद को देने के लिए आत्मा अगले जीवन में खुद की किसी बीमारी से ग्रस्त देती है या अन्य कोई भी मुसीबत है जिससे उसको अपने किए के लिए सजा मिले। खुद को खुद ही जज करके आत्मा ब्लूप्रिंट बनाती है। जितना ज्यादा पछताव होगा। 

आत्मा को इन सारी चीजों को पार करके, अपनी मुक्ति की प्राप्ति होती है, और कुछ इस प्रकार आत्मा ये कुछ दिन धरती पे बिता कर, अपने लक्षय की ओर बढ़ जाती है।  

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