इस इमारत की एक-एक दीवार पर लिखी है भारत की गौरव गाथा। इस इमारत में ब्रिटिश हुकूमत के आगमन के साथ ही हिंदुस्तान में उनके सूरज के अस्त होने का काउंटडाउन शुरू हो गया था, जैसा की आप सब जानते है की राष्ट्रपति भवन भारत के लिए उसकी एक सबसे महत्वपूर्ण धरोहर जैसा है, जो प्राचीन भारत में बनी सबसे महंगी इमारतों में से भी एक है, और आप इस बात से भी वाकिफ जरूर होंगे की राष्ट्रपति भवन में ही भारत का राष्ट्रपति रहता भी है, ये अमेरिका के व्हाइट हाउस और इंग्लैंड की क्वीन के बंगले से भी कही बड़ा है
सबसे पहले हम बात करेंगे राष्ट्रपति भवन के इतिहास और इसकी भव्यता के बारे में। राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का सरकारी निवास स्थान है। सन 1950 तक इसे वायसराय हाउस भी कहते थे। ये इमारते तब अपने अस्तित्व में आई जब भारत की राजधानी को कोलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।
राष्ट्रपती भवन की शुरुआत कैसे हुई ?
1911 में जब अंग्रेजों ने कोलकाता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला लिया , तो वो एक ऐसी इमारत बनाना चाहते थे, जो आने वाले कई सालों तक एक मिसाल बने। रायसीना हिल्स पर वायसराय के लिए एक शानदार इमारत बनाने का फैसला किया गया ।
इस इमारत का नक्शा बनाया एडविन लुटियंस ने। लुटियंस ने हर्बट बेकर को 14 जून, 1912 को इस आलीशान इमारत का नक्शा बनाकर भेजा। राष्ट्रपति भवन यानी उस समय के वायसराय हाउस को बनाने के लिए 1911 से 1916 के बीच रायसीना और मालचा गांवों के 300 लोगों की करीब 4 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया। लुटियंस की यही तमन्ना थी कि ये इमारत दुनिया भर में मशहूर हो और भारत में अंग्रेजी राज्य का गौरव बढ़ाए।
किन शिल्पकारों की कलाकृति से बना राष्ट्रपति भवन
इस भवन के मुख्य शिल्पीकार ‘एडविन लैंडसीर लुटियंस’ थे, जबकि इसके प्रमुख इंजीनियर ‘हग कीलिंग’ थे। राष्ट्रपती भवन का अधिकतम निर्माण कार्य ठेकेदार हारून-अल-राशिद के द्वारा किया गया। प्रारम्भ में इस भवन के निर्माण के लिए 4 लाख पौंड स्टर्लिंग राशि व्यय करने हेतु निर्धारित की गयी थी। इस इमारत को कुछ इस तरह से बनाने का फैसला किया गया कि दूर से ही पहाड़ी पर ये महल की तरह नजर आए, और अगर बात एक सही समय काल की करे तो राष्ट्रपति भवन को बनने में 17 साल लग गए।
17 साल में बना राष्ट्रपति भवन
1912 में शुरू हुआ निर्माण का काम 1929 में खत्म हुआ।इमारत बनाने में करीब 70 करोड़ ईंटों और 30 लाख पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। उस वक्त इसके निर्माण में 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च हुए थे। राष्ट्रपति भवन में प्राचीन भारतीय शैली, मुगल शैली और पश्चिमी शैली की झलक देखने को मिलती है। राष्ट्रपति भवन का गुंबद इस तरह से बनाया गया कि ये दूर से ही नजर आता है।
राष्ट्रपति भवन की वास्तु विशेषताऐं
चार मंज़िल राष्ट्रपति भवन में कुल 340 कमरे हैं। 2 लाख वर्ग फुट में बने इस भवन में 70 करोड़ ईंटें तथा 30 लाख क्यूविक फुट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। भवन के निर्माण में स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियाँ और जालियाँ भारतीय पुरातत्त्व पद्धति का अनुकरण हैं।
भवन के स्तम्भों पर उकेरी गई घंटियाँ हिन्दू, जैनऔर बौद्ध मन्दिरों की घंटियों की अनुकृति हैं। जबकि इसके स्तम्भों के निर्माण की प्रेरणा कर्नाटक के मूडाबिद्री में स्थित जैन मन्दिर है।इसके गुम्बद के बारे में लुटियंस का मानना था की यह गुम्बद रोम के सर्वदेवमन्दिर (पैन्थियन आफ रोम) की याद दिलाता है। लेकिन विश्लेषकों का विचार है कि गुम्बद की संरचना सांची के स्तूप के पैटर्न पर की गई है। और पहली बार 26 जनवरी, 1950 को यह भवन प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का सरकारी आवास बना, तब से भारत के राष्ट्रपति का यह आवास है।
एक नजर में राष्ट्रपती भवन के कुछ अमेजिंग फैक्ट्स पर
- राष्ट्रपति भवन जो राष्ट्रपति निवास के नाम से भी जाना जाता है, इटली के रोम स्थित क्यूरनल पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निवास स्थान है।
- इसके निर्माण कार्य में करीब 29,000 लोग लगाए गए थे।
- इसमें राष्ट्रपति कार्यालय, अतिथि कक्षों और कर्मचारी कक्षों समेत 340 कमरे हैं।
- इसमें 750 कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से 245 राष्ट्रपति के सचिवालय में कार्यरत हैं।
- इसे 700 मिलियन इंटों और 3 मिलियन घन फीट पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है।
- इसे रायसीना हिल पर बनाया गया है जिसे (रायसिनी और माल्चा) दो गांवों के नाम पर नाम दिया गया था और इस महल के निर्माण के लिए इन गांवों को हटा दिया गया था।
- स्वतंत्रता से पहले इसे वायसरॉय हाउस के नाम से जाना जाता था और यह भारत का सबसे बड़ा निवास स्थान था।
- प्रत्येक वर्ष फरवरी के महीने में राष्ट्रपति भवन के पीछे बने मुगल गार्डन को उद्यानोत्सव नाम के त्योहार के दौरान जनता के लिए खोला जाता है।
- इसमें अलग–अलग आकार वाले कई उद्यान हैं जैसे आयता कार, लंबा और गोलाकार। सबसे मनमोहक दृश्य गोलाकार उद्यान का हैं। जिसमें सीढ़ीदार कटोरानुमा फूलों के खेतों में अलग–अलग रंगों में फूल खिले हुए हैं।
- गौतम बुद्ध की प्रतिमा जो चौथी–पांचवीं शताब्दी के आस–पास गुप्त काल के दौरान कला एवं संस्कृति के स्वर्ण युग से सम्बंधितहै। यह प्रतिमा राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल के पीछे है।
- गौतम बुद्ध की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसकी उंचाई इंडिया गेट के बराबर है।
- एक और रोचक तथ्य यह है कि राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में एक साथ 104 अतिथि बैठ सकते हैं। इतना ही नहीं इसमें न सिर्फ संगीतकारों के लिए गुप्त दीर्घा है लेकिन इसमें प्रकाश की व्यवस्था भी अद्भुत है क्योंकि ये भूतपूर्व राष्ट्रपतियों की तस्वीरों पर लगी है, जो खानसामों के लिए कब परोसना है, कब नहीं परोसना है और कब कक्ष की साफ– सफाई करनी है, का संकेत देती है।
- राष्ट्रपति भवन के उपहार संग्रहालय में किंग जॉर्ज पंचम की चांदी की 640 किलोग्राम की कुर्सी रखी है। इस कुर्सी पर दिल्ली दरबार में वे 1911 में बैठे थे।
- राष्ट्रपति भवन के मार्बल हॉल में वायसरॉय और ब्रिटिश राजपरिवार के कुछ दुर्लभ चित्र और मूर्तियां रखी हैं। अद्भुत बात यह है कि इसमें हमारे वर्तमान राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी की सजीव मोम की प्रतिमा रखी है। इस प्रतिमा को आसनसोल के कलाकार ने बनाया था।
- राष्ट्रपति भवन का अशोका हॉल– इसमें मंत्रियों के शपथग्रहण आदि जैसे समारोह होते हैं। साथ ही इसमें फारस के कजर शासक फतेह अली शाह के अद्भुत चित्र रखे गए हैं। इतावली चित्रकार कोलोन्नेलो द्वारा जंगल विषय पर बनाए गए कुछ चित्र भी रखे हुए हैं।
- एक और आश्चर्यजनक बात यह है कि राष्ट्रपति भवन में बच्चों के लिए दो दीर्घाएं हैं। एक में बच्चों के काम यानि ‘बच्चों द्वारा’ किए गए काम को प्रदर्शित किया गया है और दूसरे में बच्चों की रूचि यानि ‘बच्चों के लिए’ का अलग–अलग वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है।
- सबसे अद्भुत राष्ट्रपति भवन का विज्ञान एवं नवाचार गैलरी है। इसमें एक रोबोट कुत्ता है। इसका नाम क्लम्सी है जो बिल्कुल असली कुत्ते जैसा दिखता है।
- “अ टॉकिंग वॉल” और “ए प्लैनेट वॉल” दिलचस्प ऑडियो-वीडियो प्रदर्शनी है जो बच्चों में रूचि पैदा करता है।
- एक आभासी तबला जो आगंतुकों को बजाने और बिना छुए उसकी ध्वनि को सुनने में सक्षम बनाता है, आदि।
- प्रत्येक शनिवार को सुबह 10 बजे से 30 मिनटों तक चलने वाला ‘चेंज ऑफ गार्ड’ समारोह आयोजित किया जाता है और यह जनता के लिए भी खुला होता है यानि राष्ट्रपति भवन में इस समारोह को देखने के लिए सिर्फ आपको अपना फोटो पहचानपत्र दिखाना होता है।