The New Parliament House of India
क्यों नहीं कराया गया पुरानी संसद में ही सुधार ? क्यों इतना खर्चा करके कराया गया नई संसद का निर्माण ? क्या फर्क है नयी और पुरानी संसद में ? कौन हैं नई संसद के आर्किटेक्ट ? और कौन थे पुरानी संसद के आर्किटेक्ट ?
28 मई 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत के नए Parliament House का Inauguration करेंगे। अब क्योंकि भारत के नए Parliament House का Inauguration है इसलिए हर किसी के लिए ये एक दिलचस्प खबर है । लेकिन दूसरी दिलचस्प बात ये है कि ये Inauguration हिंदुत्व विचारक – विनायक दामोदर सावरकर की 140वीं जयन्ती के मौके पर होगा और इस बात को आप समझ सकते हैं कि सावरकर को लेकर पहले भी विचारकों में काफ़ी मतभेद रहे हैं ।
हम यहाँ बात कर रहे हैं भारत के नये Parliament House की जो कि Central Vista Redevelopment Project का हिस्सा है और अब ये नया Parliament House बनकर तैयार भी हो चुका है। इसे पहले वाले Parliament House के ठीक सामने बनाया गया है । इसके Inauguration के बाद पुराने Parliament House की जगह इसका इस्तेमाल किया जाने लगेगा।
पुराने और नए पार्लियामेंट में फर्क
नये Parliament House को बनाने का काम दोस्तों 10 दिसंबर 2020 को शुरू किया गया था जिसे 20 मई 2023 को पूरा कर लिया गया । ये भी जान लें कि इसे चीफ़ आर्किटेक्ट बिमल पटेल की देखरेख में टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने develop किया है। इमारत को डिजाइन करने के लिए अहमदाबाद स्थित आर्किटेक्चर कंपनी एचसीपी डिजाइन / HCP Design को चुना गया था। इसे बनाने में करीब 862 करोड़ की बारी भरकम रकम लगी है ।
नये पार्लियामेंट के चीफ़ आर्किटेक्ट बिमल पटेल के बारे में बता दें । उनका पूरा नाम – बिमल हसमुख पटेल है जो कि भारत के जाने-माने आर्किटेक्ट हैं और गुजरात के रहने वाले हैं। वो अर्बन प्लानिंग में 35 सालों से भी ज्यादा प्रोफेशनल वर्क, रिसर्च और टीचिंग का एक्सप्रीएंस रखते हैं । वो CEPT University के अध्यक्ष और अहमदाबाद में HCP Design Planning And Management Private Limited के हैड भी हैं ।
जैसा कि हमने बताया कि नया Parliament House पुराने Parliament House के ठीक सामने है , इसी तरह पुराने Parliament House और Parliament House में और भी कई फर्क हैं ।
जैसे एक डिफ्रेंस है दोनों की शेप को लेकर – क्योंकि पुराना Parliament – circular है जबकि नया triangular shaped building है ।
इसी तरह नये Parliament का एरिया 64 हज़ार 500 सौ sq मीटर से भी ज्यादा है । जबकि पुराने Parliament का साइज़ इससे 17 हज़ार sq मीटर कम है और सिर्फ़ size ही नहीं बल्कि इसकी capacity भी पिछले Parliament से ज्यादा है । क्योंकि नये Parliament में 1272 लोगों के बैठने कैपेसिटी है । वहीं Lok Sabha Chambers 888 rajya sabha chambers 384 हैं । बता दें नये Parliament House में 4 फ्लोर हैं ।
क्यों थी नये Parliament की ज़रूरत
Ministry of Housing and Urban Affairs के मुताबिक – पिछला Parliament 93 साल पुराना है इसलिए structural safety की जरूरत है । वही पुरानी संसद में जो facilities available हैं वो कुछ ज्यादा बेहतर नहीं हैं । इसलिए लोकसभा और राज्यसभा भवन के लिए नए संसद भवन की ज़रूरत है।
इसके अलावा अभी के Parliament में जगह की कमी है । 93 साल पुराने Parliament में इतनी ज्यादा मरम्मत की जा चुकी है कि अब इसका कोई फायदा नहीं है और मौजूदा बिल्डिंग को फायर नॉर्म्स के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया है। पुराने Parliament में यूज़ किया जाने वाला communication infrastructure और technology पुराने हो चुके हैं।
इसी तरह बैठने के हॉल भी ज्यादा बड़े नहीं हैं और डॉक्यूमेंट्स वगैरह रखने के लिए भी ज्यादा जगह नहीं है केवल पहली दो बेंचों में ही डेस्क की जगह है। यही नहीं आजादी के बाद पुराने Parliament में दो एक्ट्रा स्टोरीज़ बनाने की वजह से दोनों सदनों के चैम्बर्स में नेचुरल light भी ठीक से नहीं आती और ventilation भी ठीक नहीं है।
जब नये पार्लियामेंट के बारे में इतना जान रहे हैं तो थोड़ा सा पुराने के बारे में भी जान ही लेना चाहिए । बता दें पुराने Parliament को 1921 में बनाना शुरू किया गया था और 1927 से इसका यूज़ किया जाने लगा । तो इस तरह इसे तकरीबन 96 साल पुराना माना जा सकता है । आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके ऑरीजिनल डिजाइन का भी कोई रिकॉर्ड या डॉक्यूमेंट नहीं है जिस वजह से इसमें जो भी नये चेंजेज़ और मॉडीफिकेशन्स किए गये थे वो ज़रूरत पड़ने पर और खास तरीके से ही किए गए हैं ।
जैसे इसके बाहरी गोलाकार भाग के ऊपर 1956 में बनाई गई दो नई मंजिलों ने सेंट्रल हॉल के गुंबद को छुपा दिया और मूल भवन के अगले हिस्से को बदल दिया। जैसा कि हमने बताया कि पहले वाले Parliament में MPs के लिए Seating Space ज्यादा नहीं है और ऐसा इसलिए है क्योंकि इसको full democracy के हिसाब डिज़ाइन नहीं किया गया था । इसके अलावा 1971 के Census के बेस पर लोकसभा सीटों की संख्या 545 है और अभी तक ये उसी संख्या के हिसाब से बनी हुई है । अब सीटों की संख्या पर लगी ये रोक 2026 में खत्म हो जाएगी । जिसके बाद ज्यादा लोगों के लिए बैठने की जगह कम पड़ेगी ।
फिलहाल सेंट्रल हॉल में केवल 440 लोगों के बैठने की जगह है। वहीं जब Joint Sessions होते हैं तो संख्या बढ़ जाती है । ऐसे में आने-जाने के लिए तंग जगह होने की वजह से सेफ्टी को लेकर भी जोखिम रहता है ।
इसी तरह की दूसरी बहुत सी प्रॉब्लम्स भी हैं जैसे वॉटर पाइप लाइन्स, सीवर लाइन्स , एयर कंडीशनिंग, फायर सिस्टम, सीसीटीवी, और ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी बहुत सी चीज़ों को एड किया गया चुका है जिसे वजह से बिल्डिंग की खूबसूरती पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है । वहीं फायर सेफ्टी की प्रॉब्लम ज्यादा बड़ी है क्योंकि इमारत को मोडर्न फायर स्टैंडर्ड्स के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया है। इसी तरह communications infrastructure भी पुराना है और सभी हॉल में आवाज़ से जुड़ी चीज़ों को भी सुधारने की जरूरत है ।
पुराने Parliament House की History
अभी की यानी पुरानी संसद को ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स सर एडविन लुटियंस / Sir Edwin Lutyens और हर्बर्ट बेकर / Herbert Baker ने डिज़ाइन किया था । उस समय इसे Council House कहा जाता था और इसमें इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल / Imperial Legislative Council हुआ करती थी।
जब 1956 में ज्यादा जगह की ज़रूरत पड़ी तो संसद में दो और मंजिलों को जोड़ा गया । इसी तरह 2006 में भारत के 2500 साल पुराने rich democratic heritage के लिए इसमें Parliament Museum को जोड़ा गया था। वहीं ज़रूरत के हिसाब से और भी बहुत से छोटे-छोटे मोडिफिकेशन किये गये थे ।
जैसा कि पुरानी संसद circular shape में है तो दोनों आर्किटेक्ट्स – हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने इसे गोलाकार शेप इसलिए दिया था ताकि काउंसिल हाउस के लिए कोलोसियम डिजाइन की फीलिंग आए । फिर 1918 में इसके डिज़ाइन का ब्लूप्रिंट फायनल किया गया ।
इसके बाद 1921 में इसे बनाने के लिए यूज किए जाने वाले पत्थरों और मार्बल की कटाई-छंटाई के लिए करीब 2500 पत्थर काटने वालों और राजमिस्त्रियों को लगाया गया था। यही नहीं काम तेजी से हो सके – इसके लिए मोडर्न मशीनों और क्रेन्स का यूज़ भी किया गया था । और इस तरह 1922 में इसकी फाउण्डेशन रखी गयी थी और 1927 इसका इनेगोरेशन किया गया ।
नये पार्लियामें पर objection की वजह
केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 20,000 करोड़ रुपये अलॉट किए थे । जबकि उस समय देश भर में कोरोना फैल रहा था जिसकी वजह से हेल्थ सेक्टर में पैसे की ज़रूरत थी । इसलिए Opposition ने इस स्कीम को केंसल करने और इस पैसे को कोरोनोवायरस से निपटने के लिए की जा रही कोशिशों में लगाने के लिए जोर दिया था ।
वहीं स्कीम को सपोर्ट करने वालों का तर्क था कि पुरानी संसद एक इतिहासिक इमारत है अगर इसके साथ बदलाव किया जाता है तो इसकी कोई इंपोर्टेंस नहीं रह जाएगी । इसलिए अच्छा होगा कि एक नई संसद का निर्माण किया जाए ।
सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान
जैसा कि हम बता चुके हैं कि नई संसद सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान का हिस्सा है जिसके बारे में सितंबर 2019 में विचार किया गया था। जिसके बाद इसके लिए करीब 20 हज़ार करोड़ के खर्चे का एस्टीमेट लगाया गया था जिसमें सभी new development और redevelopment शामिल हैं ।
इसके अलावा नयी IGNCA building, सुरक्षा अधिकारियों के लिए सुविधाएं और उपराष्ट्रपति और पीएम के लिए official residence, pm office , एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव, Cabinet Secretariat जैसे बहुत से नये डेवलपमेंट शामिल हैं। इन सभी स्कीम्स को साल 2026 तक पूरा किया जाएगा।
इन सभी स्कीम्स में से कुछ की वास्तविक लागत के बारे में तो जानकारी है लेकिन कुछ के बारे में नहीं है जो कि सेंट्रल विस्टा विकास/पुनर्विकास मास्टर प्लान का हिस्सा हैं। क्योंकि इन स्कीम्स पर जब डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी और टेंडर के बाद काम सौंप दिया जाएगा – तब इनकी लागत के बारे में पता चलेगा ।