Reality Of Mr and Mrs | Mr and Mrs की हकीकत

Reality Of Mr and Mrs

Reality Of Mr and Mrs

              इन दिनों ‘श्री’ और ‘श्रीमती’ शब्द केवल शादी और निमंत्रण पत्र में छपे पाए जाते हैं। क्योंकि आज कल तो ज़माना मिस्टर एंड मिसेस का चल चुका है।

              श्रीमती(Shrimati) और श्रीमान(Shriman) जैसे शब्द किसी भी इंसान के नाम से पहले एक टाइटल या फिर  prefix से कई गुना अधिक हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि south east Asia में कम से कम भाषाएं ‘श्री’ का प्रयोग करती हैं। क्या आपको मालूम है कि ‘श्री’ और ‘श्रीमती’ का वास्तव में क्या अर्थ है?? और ये असल में मिस्टर(Mister) और मिसेज(Missus) के बराबर क्यों नहीं है। ओरिजनली इन टाइटल्स का वैवाहिक स्थिति से कोई लेना-देना नहीं था।

              Cambridge University  के इतिहासकार डॉ. एमी एरिकसन(Dr Emi Erikson) बताते हैं कि ‘मिसेज’ और ‘मिस’ शब्द ‘मिस्ट्रेस (Mistress)’ से बने हैं जबकि ‘मिस्टर’ ‘मास्टर(Master)’ से आया है। बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि ‘मिस्ट्रेस’ दोनों abbreviations ‘मिसेज’ और ‘मिस’ का मूल शब्द है, जैसे मिस्टर ‘मास्टर’ का ही रूप है। अठारहवीं शताब्दी के मध्य मे, मालकिन शब्द आमतौर पर एक विवाहित महिला के बजाय उच्च आर्थिक या सामाजिक पूंजी वाली महिला को संदर्भित करती थी। 18वीं शताब्दी में श्रीमती के रूप में रिफेरेंसेड एक महिला आवश्यक रूप से विवाहित नहीं मानी जाती थी।

              18वीं शताब्दी के अंत में ही श्रीमती का उपयोग वैवाहिक स्थिति से जोड़ा गया। मिस टाइटल जो मूल रूप से युवा लड़कियों के लिए था, एक उच्च सामाजिक स्थिति की अविवाहित महिला को संदर्भित करने के लिए एक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। ये युवा, सामाजिक रूप से महत्वाकांक्षी महिलाएं थी जो अपना खुद का एक टाइटल चाहती थीं जो उनके सामाजिक वर्ग को चिह्नित करे, लेकिन उन्हें पुराने व्यवसायी और घर के मुखिया के साथ एक समूह में शामिल नहीं किया, जो आमतौर पर श्रीमती की उपाधि धारण करती थी।

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              ‘श्री’ या ‘श्रीमति’ शब्द भारत में काफी खास है लेकिन हम इसका इस्तेमाल करने से आज हिचकिचाते फिरते हैं। ‘ओम’ और ‘स्वस्तिक’ के बाद, ‘श्री’ वैदिक सनातन धर्म (हिंदू धर्म) में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय प्रतीक है। यदि ‘ओम’ आध्यात्मिक है, तो श्री को आध्यात्मिक और भौतिकवादी दोनों माना जाता है।

               इसलिए ‘श्री’ शब्द भारतीय पुरुषों को संबोधित करने के लिए प्रयोग होता है। आपके मन में भी सवाल उठ रहे होंगे की आखिरकार श्रीमान और श्रीमती का वास्तव में क्या अर्थ है? तो आपको ये बता दे की यह शब्द संस्कृत से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है सबसे अमीर, उच्चतम, सर्वोच्च और दिव्य। संस्कृत में इसका मूल शब्द ‘श्रयणे’ है जिसका अर्थ है सेवा करना (भगवान)। पौराणिक अर्थों में यह धन की देवी और अनंत गुणों से भरपूर लक्ष्मी का प्रतीक है। ‘श्री’ नाम का अर्थ आम तौर पर धन, शांति, भरपूर समृद्धि से है।

              वैष्णव परंपराओं में, “श्री” एक श्रद्धेय शब्दांश है और इसका उपयोग सर्वोच्च भगवान विष्णु की पत्नी, देवी लक्ष्मी को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जिन्हें श्रीनिवास यानी जहां लक्ष्मी निवास करती है, इस के नाम से भी जाना जाता है।

              South East Asia की भाषाओं में इस शब्द का प्रभाव कितना अच्छा उसका एक example आप ऐसे समझ सकते है की भारत की बाकी लोकल भाषाओं में भी इसके मतलब मिल जायेंगे। संस्कृत में ‘श्री’ को तमिल में ‘थिरु’, मलय में ‘सेरी’ बर्मी में ‘थिरी’ माना जाता है। आमतौर पर, यह सम्मान, सम्मान करने और सम्मान देने के लिए एक उपाधि है।

              बहुत ही सामान्य शब्दों में इसका अर्थ है श्रीमान, यानी के कभी-कभी इसका अर्थ श्रीमान हो सकता है, और कभी इसका अर्थ “महान” होता है। इसका उपयोग हिंदू देवताओं, बड़ों, शिक्षकों, पवित्र में देवताओं को संबोधित करने के लिए किया जाता है। पुरुष और कोई भी व्यक्ति। पवित्रता और देवत्व शब्द के साथ जब लिखा या बोला जाता है।

              श्री, श्रीमती और सुश्री रूपों के साथ, अक्सर हिंदू, बौद्ध, सिख और जैनियों द्वारा ‘धार्मिक’ अर्थ में उच्च चरित्र के आदरणीय व्यक्तियों के नामों के सम्मानजनक suffix के रूप में उपयोग किया जाता है। व्यक्तियों को संबोधित करते समय, पुरुष सदस्यों को संबोधित करने के लिए ‘श्रीमान’ का उपयोग किया जाता है और श्रीमती का उपयोग महिलाओं को संबोधित करने के लिए किया जाता है। 

              ‘श्री’ का अर्थ और प्रयोग भारतीय संदर्भ में बहुत ही अनूठा है। अन्य भाषाओं में इसका कोई समान-अर्थ उपसर्ग नहीं है, और आज के समय में इस शब्द का एक बड़ा प्रतियोगी विशेष रूप से ‘मिस्टर’ शब्द जो अंग्रेजी में नाइटहुड के पद के तहत पुरुषों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए और जाने जाने वाले शीर्षक के रूप में ही उत्पन्न हुआ था।

              पर इन सब आधुनिक बातो के एक तरफ कर अगर आज के समय में पति अपनी पत्नियों और घर की ग्रहलक्ष्मियो को बुलाने और पुकारने के लिए उन्हें प्यार से मिसेस कहते है जिसका मतलब उन्हे मालूम ही नहीं होता भारत में असल में आज भी ऐसे कई परिवार आपको ढूंढने से मिल जायेंगे जो न कभी अंग्रेजी को पूरी तरह से अपना पाए और न ही भारतीय रह पाए, क्युकी मिसेस शब्द का इतिहास यूरोप और फ्रांस से जुड़ा है जहा से सालो से पहले तो बच्चा ना करने की परंपरा थी,

              फिर जब उससे वे प्रांत उभर पाए तो उन्हें आज तक वैवाहिक जीवन को अपनाने में विफल रहे है भारत और चुनिंदा कुछ और देशों को छोड़ कर दुनिया में livin Culture बहुत फेमस है बड़े बड़े सितारे, खिलाड़ी उद्योगपति बिना शादी किए ही जिन भी महिलाओं के साथ संबंध बनाते है उन्हे ही denote करने के लिए मिसेस शब्द का प्रयोग होता है न की पत्नी के लिए और मिस्टर में ठीक इसका उल्टा यानी की कोई भी स्त्री जो बिना शादी के ही संबध बनाती है तो उन्हें ही मिस्टर denote किया जाता है। बैरहाल ये तो थी इन शब्दों के असल मायने भारतीय संस्कृति के बिलकुल ही विपरीत है

              इसके अलावा आज कल के समय में अंग्रेजी का एक और शब्द जो की बड़े ज़ोर शोर से प्रचलित है वो है ‘ Maidam’ जो की असल में एक फ्रेंच वर्ड ma-daam (मदाम) से बना है जिसका मतलब होता है मेरी स्त्री होता है, जिस शब्द को भारत में हर पराई स्त्री को संबोधित करने के लिए किया जाता है तो अब अब इन सब से अंदाजा लगा सकते है की कैसे हम खुद ब खुद अपनी संस्कृति और परम्पराओं का गला घोट कर बाकी अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल कर रहे है जो की भारत के चलन और रीतियों के बिलकुल विरुद्ध है।

              सालो से वेदों और पुराणों का पिता माने जाने वाले भारत में अगर हिंदी और संस्कृत से बने शब्दो को सम्मान न मिले तो फिर ये तो भारतीय होने के नाम पर शर्म की बात होगई की जिस देश की भाषा से विदेशों की भाषा की उत्पत्ति हुई हो आज वो भारत में की आधुनिक और घरेलू भाषा के ऊपर अपने पैर पसार चुका है, भारत की कोई भी राष्ट्रीय भाषा नही है क्युकी सबको अपने अपने वर्ग की भाषा बोलने का अधिकार है

              जैसे की आप सब जानते है की भारत एक Multi Lingual और डायवर्सिटी वाला देश है तो ऐसे में विभिन्न कल्चर का होना स्वाभाविक है पर उन कल्चरो का स्तंभ तो भारतीय ही होना चाहिए, न की विदेशी। एक भारतीय होने के नज़रिए से सोचिए और अपनी सही राय बनाइए।

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