History of Jaat Caste in Hindi | जाटों का इतिहास क्या है? कहां से आए हैं जाट?

History of Jaat Caste in Hindi

History of Jaat Caste in Hindi

                 आप ने जाट कास्ट के बारे मे तो सुना ही होगा जो दोस्ती मे दिलदार बन जाते है और अगर बात दुश्मनी पर आयी तो वो बगावत पर उतर आते है। आप जान कर हैरान हो जायेंगे कि जाट ही वो समुदाय है जो मुग़ल साम्राज्य के सामने पूरी सेना का रूप ले कर अपनी मात्र भूमि के लिए जान देने को भी तैयार थी। बहुत से लोगो का मानना है कि जो लोग हरियाणा मे रहते है वो सभी जाट होते है लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। बहुत से लोग जाट समुदाय कि शानो शौकत, दिलदारी, और दुश्मनी से ले कर उनके पूरे इतिहास को जानना चाहते है।

                 बता दे कि जाट एक किसान समुदाय है जो मैनली पाकिस्तान और उत्तर भारत के छेत्रो मे पाए जाते है . बता दे कि मूल रूप से ये जाट पहले सिंध कि निचली सिंधु घाटी मे चरवही हुआ करते थे, उसके बाद उन्होंने सतरहवी और अथराहवी शताब्दी मे दिल्ली के छेत्रो और पश्चिमी गंगा के छेत्रो मे माइग्रेशन शुरू किया. आज बीस्वी शताब्दी मे जाट समादय बहुत ही प्रभावशाली बन गया है. बता दे कि कुछ श्रोतो से जाट छत्रिय मैने जाते है जबकि कुछ उन्हें वैश्य और शूद्र भी कहते है. वैसे भारत मे उन्हें ज्यादातर ठाकुर और राजपूत जाट कि ही उपाधि मिली है।

                 बात करें अगर जातो कि बनावट कि तो जाट शरीर से काफ़ी लम्बे चौड़े, और सुन्दर होते है इसके अलावा बात करें अगर इनके स्वाभाव कि तो ये खुशदिल मेहनती, उत्साही, बेबाक और दबंग होते है। 

जाट शब्द कि उत्पत्ति 

                 आप के मन मे एक सवाल तो ज़रूर आ रहा होगा कि जाट शब्द आया कहा से तो बता दे कि इस विषय मे बहुत से मत सामने आते है. जैसे एक मत ये है कि जाट शब्द याट से आया है जिसे बाद मे जाट बोला जाने लगा क्यूँ कि या अक्षर जा हो जाया करता है जैसे यमुना का जमुना और यज्ञमान का जजमान और भी बहुत कुछ. इसके अलावा कहा जाता है जाट शब्द कि उत्पत्ति संस्कृत के ज्ञान शब्द से हुयी है. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जाट समुदाय कि उत्पत्ति शिव जी कि जटाओ से हुयी है इसीलिए जटाओ से जाट शब्द कि उत्पत्ति हो गयी. 

जाट समुदाय कि उत्पत्ति 

                 जाट समुदाय कि उत्पत्ति को ले कर भी कई मत सामने आते है . एक पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव की जटाओं से जाट समुदाय की उत्पत्ति हुयी है जो देव संहिता मे भी बताया गया है। कहा जाता है कि शिव के ससुर राजा दक्ष ने हरिद्वार के पास कनखल में एक यज्ञ किया था. उन्होंने इस यज्ञ मे सभी देवताओं को बुलाया पर उन्होंने न तो भगवान शिव को बुलाया और न ही अपनी बेटी सती को ही बुलाया. ये सुन कर माता पार्वती से रहा नहीं गया की उनके पिता ने ऐसा क्यों किया इसीलिए माँ पार्वती ने शिव भगवान से अनुमति ले कर अपने पिता के घर के लिए रवाना हो गयी।

                 वो जैसे ही वहा पहुँचती है तों देखती है वहा भगवान शिव के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके अलावा वहा पर भगवान शिव का अपमान किया गया और उन्हें बुरा भला भी कहा गया। भगवान शिव के अपमान देख कर माँ पार्वती से यज्ञ मे छलांग लगा कर अपनी जान दे दी। जब भगवान शिव को ये बात पता चली तों उन्होंने गुस्से मे आकर अपनी जटाओ से वीरभद्र को जीवित किया और उसे यज्ञ भन्ग करने का आदेश दिया।

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                 वीरभद्र ने वैसा ही किया और माता पार्वती के पिता दक्ष का सर भी काट दिया. उसके बाद जब ब्रम्हा और विष्णु भगवान शिव जी को मनाने पहुचे और भगवान शिव को भी अपने जितना दर्जा दिया। तभी से भगवान शिव और जाटो को बराबर का दर्जा मिला. और उसके बाद भगवान शिव ने माँ पार्वती के पिता दक्षा को पुनर्जन्म भी दे दिया।

                 अगर बात करें दूसरे मत कि तो कहा जाता है कि जाट शब्द कि उत्पत्ति ज्येष्ठा शब्द से हुयी है . जब राजसया यज्ञ के बाद युधिष्ठिर को ज्येष्ठा कि उपाधि मिली तभी से युधिष्ठिर कि पीढ़ी दर पीढ़ी संतान ज्येष्ठा से जेठाराम और फिर जाट कहलाने लगे . कुछ लोगो का तो ये भी मानना है कि पांडवो ki जीत के बाद श्री कृष्णा ने युधिष्ठिर को ज्येष्ठा कहा था।

केटेगरी 

                 जातो कि केटेगरी कि बात करें तो इसमें भी काफ़ी विवाद है . बहुत से राज्यों मे जाटो को जनरल केटेगरी मे रखा गया है वही दूसरी तरफ़ बहुत से राज्यों मे उन्हें OBC केटेगरी मे शामिल किया गया है . पंजाब और हरियाणा दो ऐसे राज्य है जहा जाटो को जनरल केटेगरी मे रखा जाता है क्यूँ कि इन दो राज्यों मे इन्हे किसी तरह का रिजर्वेशन नहीं मिलता है . 2016 मे इसीलिए उन्होंने OBC के अंडर आने के लिए और रिजर्वेशन पाने के लिए आंदोलन किये थे। आंदोलन के पहले भी कई ऐसे राज्य थे जैसे दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जिन्होंने जाटो तो OBC मे शामिल करने कि रजामंदी सौप दी थी।

पापुलेशन 

                 अगर बात करें जाटो के पापुलेशन कि तो बता दे कि जाट जब से पॉपुलर होने लगे है तभी से इनकी पापुलेशन भी बहुत तेज़ी से बढ़ी है . हर साल इनकी पापुलेशन मे इजाफा होता जा रहा है जिससे दुनिया भर मे ये काफ़ी प्रभावशाली बनते जा रहे है . बता दे कि 2019 मे जाटो कि पापुलेशन लगभग 31 मिलियन थी . वही अगर बात करें 2020 कि तो ये आकड़ा 32.2 मिलियन तक बढ़ गया और  2021 मे ये आकड़ा 32.6 मिलियन तक पहुंच गया . इसके साथ ही अगर बात करें स्टेट वाइज जाटो के पापुलेशन के परसेंटेज के बारे मे तो हरियाणा मे लगभग 29 परसेंट तक जाट पाए जाते है पंजाब मे 25 परसेंट जाट पाए जाते है राजस्थान मे 15 परसेंट दिल्ली मे 10 परसेंट और 8 परसेंट और बाकि के बच्चे हुए वेस्टर्न उप मे पाए जाते है। 

जाट किस धर्म को मानते है ? 

                 जैसा कि हमने बताया कि मैनली जाट छत्रिय कहलाते थे और बता दे कि छत्रिय हिन्दू कहलाते है इसका मतलब है कि जाट हिन्दू धर्म को ही मानते थे। उन्हें किसी और धर्म के बारे मे कोई भी ज्ञान नहीं था . जब जाट दूसरे धर्मो के बारे मे जानने लगे तो उन्होंने अपने छेत्र के प्रमुख धर्म को अपनाना शुरू कर दिया . अधिकतर पश्चिम पंजाब के जाट मुस्लिम धर्म को अपना लिए और पूर्वी पंजाब के जाट सिख धर्म को अपना लिए . दिल्ली और आगरा के बीच रहने वाले जाट हिन्दू धर्म को अपना लिए।

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