The Kerala Story | The Kerala Story की कहानी की सच्चाई

The Kerala Story

                    क्या वाकई फिल्म The Kerala Story रियलिटी पर बेस्ड है ??? क्या वाकई में 32 हजार लड़कियों को इस्लाम में कनवर्ट किया गया ??? क्या वाकई में ISIS में 32 हज़ार लड़कियाँ भारत से पहुँचीं? या केरला स्टोरी किसी ऐजेडे के तहत बनी है ???क्या है द केरला स्टोरी की असली कहानी??? जानेंगे आज के इस वीडियो में इन सभी सवालों के जवाब, इसलिए अगर जाननी है द केरला स्टोरी की रियल स्टोरी तो बने रहिए वीडियो के आख़िर तक हमारे साथ ।

                    एक समय से फिल्मों पर विवाद छिड़ने का तो जैसे ट्रेन्ड सा बन गया है । इनमें से कुछ के पीछे तो राजनीति शुरू हो जाती होती है तो कुछ मूवीज़ ऐसी भी होती हैं, जिनपर बहस का दौर इसलिए शुरू किया जाता है ताकि ऑडियन्स हाउस फुल कर दे । वहीं कई बार कुछ मार्केट टेक्निक्स भी होती  हैं जिनके चलते विवादों को खड़ा किया जाता है ।

                    फिलहाल की बात की जाए तो एक मूवी आई है – द केरला स्टोरी । जिस पर पब्लिक से लेकर पॉलिटीशियन्स तक दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं । तो चलिए जानते हैं इसी मूवी से जुड़े तमाम फैक्ट्स मूवी से लेकर राजनीति तक आँकड़ों के साथ।

                    तो गाइज़ सबसे पहले मूवी के बारे में जान लेते हैं – ये मूवी केरला में चल रही कुछ सीक्रेट ऐक्टिविटीज के बारे में है । जिसमें लड़कियों का धर्मान्तरण किया जाता है और फिर ISIS जैसी टैररिस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन में उन्हें शामिल किया जाता है।

                    बता दें पिछले साल नवम्बर में इस फिल्म का टीज़र लॉन्च हुआ था । और एक मिनट के उस टीज़र में शालिनी उन्नी कृष्नन नाम की एक लड़की बुर्के में नज़र आती है और कहती है कि वो नर्स बनकर इन्सानियत के लिए कुछ करना चाहती थी लेकिन अब वो फातिमा है – ISIS की एक आतंकी । वो कहती है कि वो अब अफगानिस्तान की एक जेल में है । उसके मुताबिक 32 हज़ार लड़कियों का धर्मान्तरण करके सीरिया और यमन जैसे देशों में भेज दिया गया । तो फिल्म की कहानी इसी लड़की की ज़िन्दगी पर है ।

                    इस लड़की के रोल में ऐक्ट्रेस अदा शर्मा हैं । सुदीप्तो सेन फिल्म के डायरेक्टर हैं और विपुल अमृतलाल शाह फिल्म के प्रड्यूसर हैं । अब इस फिल्म को लेकर उस समय इसलिए बवाल खड़ा हुआ था क्योंकि टीज़र में 32 हज़ार लड़कियों की बात कही गई थी और मेकर्स के मुताबिक ये फिल्म वास्तविक घटनाओं पर आधारित है । इस वजह से फिल्म में बताए गए आँकड़े को लेकर काफी हंगामा हुआ कि आख़िर इस नम्बर का सोर्स क्या है ?

                    इसके बाद जब ट्रेलर आया तो ट्रेलर में एक डायलॉग कुछ यूँ नजर आया – ””’ ये एक ग्लोबल एजेंडा है । अगले 20 साल में केरल इस्लामिक स्टेट बन जाएगा । इसके बाद फिल्म पर छिड़ा विवाद और भी तेज़ हो गया । फिल्म के डायरेक्टर सुदीप्तो सेन ने इस आंकड़े को लेकर कहा कि ”””’साल 2010 में केरल के पूर्व चीफ मिनिस्टर ओमान चांडी oommen chandy ने विधान सभा के सामने एक रिपोर्ट रखी थी। जिसमें कहा गया था कि, हर साल लगभग 2800 से 3200 लड़कियाँ इस्लाम धर्म अपना रही हैं । और इससे आप अगले 10 सालों का हिसाब लगा सकते हैं, तब तक ये संख्या 30 से 32 हजार हो जाएगी ।

                    वहीं जब इस फैक्ट को चैक किया गया तो पता चला कि सीएम ने साल 2012 में state legislature को ये कहा था । लेकिन उस में ये नहीं कहा गया कि केरल में हर साल 2800 से 3200 लड़कियों का धर्मान्तरण हुआ । बल्कि उन्होंने जो आंकड़े दिए थे वो करीब 6 साल से भी ज्यादा के समय के थे यानी 2006 से 2012 के बीच के आँकड़े । इसके अलावा उस ब्यान में महिलाओं के ISIS में शामिल होने जैसी भी कोई बात नहीं कही गई थी । 

                    लेकिन हाँ यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट country reports on terrorism 2020 india के मुताबिक नवम्बर 2020 तक भारत से 66 लोग ISIS में शामिल हुए थे । वहीं observer research foundation की 2019 की रिपोर्ट में कहा गया कि ISIS में भारत से शामिल होने वाले लोगों में से 30 फीसदी केरल से थे । तो ये बात सही तो थी कि केरल से कुछ लोग ISIS में शामिल हुए थे जिनमें कुछ महिलाएं भी थीं । लेकिन जिस भारी भरकम आँकड़े की बात फिल्म मेकर्स कर रहे हैं वो तथ्यात्मक नजर नहीं आते । यही वजह है कि केरल में कई लोग और संघठन मेकर्स को आँकड़े साबित करने पर इनाम देने की बात कर रहे हैं ।

                    इस तरह जब चारों तरफ़ से सवाल खड़े हुए और फिल्म मेकर्स पर प्रेशर बना तो 2 मई को ट्रैलर के डिस्क्रिप्शन से 32 हजार के आंकड़े को हटा दिया गया और सिर्फ़ 3 कर दिया गया और लिखा गया कि द केरला स्टोरी केरल के अलग अलग हिस्सों में रहने वाली 3 युवा लड़कियों की सच्ची कहानियों पर बेस्ड है । इसके बाद जब मामला केरल हाई कोर्ट पहुंचा तो मेकर्स ने टीज़र को हटा लेने की बात कही क्योंकि उसमें 32 हजार लड़कियों की बात कही गई थी ।

                    इसी मामले में बता दें Central Board of Film Certification यानी CBFC ने फिल्म को A सर्टिफिकेट दिया था । ये सर्टिफिकेट देने का मतलब है कि इस फिल्म को 18 साल से कम उम्र के लोग नहीं देख सकते और ये भी जान लें कि ये किसी फिल्म के लिए आखिरी सर्टिफिकेशन होता है । अगर ये भी निरस्त हो जाए या अवैध करार दे दिया जाए तो फिल्म को रिलीज़ नहीं किया जा सकता इसलिए इसके बाद फिल्म के खिलाफ अपील करने वालों ने फिल्म को मिले A सर्टिफिकेट को अवैध घोषित करने की मांग की ।

                    इस पर CBFC ने कहा कि फिल्म में जिस रियलिटी की बात कही गयी है । फिल्म उस पर खरी नहीं है । फिल्म से जुड़ी चीज़ों को अलग अलग हिस्टोरियन्स , ऐक्सपर्ट्स और जर्नलिस्ट्स ने भी वैरिफाई किया है और उनके मुताबिक फिल्म रियलिटी से ज्यादा इमेजिनेशन पर बेस्ड है और ड्रामेटाइज्ड है । इसके बाद फिल्म के डिस्क्लेमर को भी चेंज कर दिया गया । 

                    लेकिन क्योंकि मुद्दा काफ़ी बड़ा बन चुका था इसलिए ये भी जान लें कि इसपर केरल हाई कोर्ट ने क्या कहा? कोर्ट ने कहा कि ये फिल्म ISIS के बारे में है , इसमें इस्लाम या मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं है । कोर्ट ने कहा कि हिंदू संन्यासियों को फिल्मों में तस्कर या बलात्कारी के रूप में दिखाया गया लेकिन इसका कोई विपरीत असर नहीं दिखता । लेकिन कोर्ट ने इस बात को रिकॉर्ड पर रखा जिसमें मेकर्स ने कहा था कि वो 32 हजार वाले आंकड़े को फिल्म में से हटा देंगे । 

                    इसके बाद जब फिल्म पर बैन लगाने के लिए जब हाई कोर्ट में अपील की गई तो  अदालत ने फिल्म पर बैन लगाने से तो इन्कार किया लेकिन मेकर्स को डायरेक्शन्स दीं कि अगर उन्होंने किसी रियलिटी पर बेस्ड मूवी बनाई है तो अपने फैक्ट्स को करेंक्ट कर लें।

                    बात दें पिछले साल फिल्म के टीजर लॉन्च होने से लेकर इस साल ट्रेलर के बाद से फिल्म के रीलीज़ होने तक और रीलीज़ होने के बाद भी फिल्म पर बवाल जारी है । क्योंकि कहीं इस पर बैन लगा है तो कही इसको टैक्स फ्री किया गया है । इस फ़िल्म को पहले मध्यप्रदेश ने टैक्स फ्री किया था और उसके बाद उत्तर प्रदेश ने भी टैक्स फ्री कर दिया । वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने फ़िल्म के बंगाल में रिलीज होने पर रोक लगा दी । बंगाल की टीएमसी सरकार का कहना है कि फ़िल्म से राज्य की शांति व्यवस्था भंग हो जाएगी। इसलिए हमने फिल्म को पश्चिम बंगाल में बैन किया है । पंश्चिम बंगाल में फिल्म को बैन किये जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री से लेकर बीजेपी नेता तक इसका विरोध करने लगे।

                    वहीं कई जगह फिल्म पर लगे बैन को लेकर सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, जब भी कोई फ़िल्म अनकही, होश उड़ाने वाली सच्चाई सामने लाती है तो ये इकोसिस्टम एक तय पैटर्न की तरह बर्ताव करता है. बोलने की आज़ादी ऐसे ही तय समूहों तक सीमित की जा रही है. केरल स्टोरी एक आंखें खोल देने वाली फ़िल्म है, ये केरल को आतंकवाद रूपी दानव से बचाने का समय है।

                    वहीं केरला के मुख्य मंत्री ने फिल्म को लेकर कहा कि फिल्म मेकर्स राज्य में धार्मिक उन्माद को बढ़ावा दे रहे हैं ।  वही प्रधान मंत्री ने इस मूवी को लेकर अपने ब्यान में कहा कि मूवी में आंतकी साजिश को दिखाया गया है। इसके अलावा तमिलनाडु में भी फिल्म को लेकर सिचुएशन अलग ही है क्योंकि वहाँ फ़िल्म को ऑफिशियली तो बैन नहीं किया गया है लेकिन तमिलनाडु में ये कहीं भी स्क्रीन नहीं की जा रही है ।

                    बैन पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने कहा , जो लोग केरल स्टोरी को बैन करने की बात कर रहे हैं वो उतने ही गलत है जितने वो लोग जो आमिर ख़ान की फ़िल्म लाल सिंह चड्ढा बैन करने की बात कर रहे थे. एक बार अगर फ़िल्म सेंट्रल फ़िल्म सर्टिफ़िकेशन बोर्ड से पास हो जाती है तो किसी को भी अतिरिक्त संवैधानिक प्राधिकरण बनने की ज़रूरत नहीं.

                    बता दें पिछले साल मार्च में कश्मीर फ़ाइल्स फ़िल्म आई थी , उस दौरान भी फिल्म पर आरोप लगे थे कि फ़िल्म में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है।  फ़िल्म 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बेस्ड थी। 

                    उस समय उस फिल्म की संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी तक ने तारीफ़ की थी। कश्मीर शायद ऐसी पहली फिल्म थी जिसके लिए केंद्रीय मंत्री और देश के प्रधानमंत्री ने जनता से देखने की अपील की थी और एक बार फिर से प्रधान मंत्री ने किसी मूवी की तारीफ की है । बता दें मूवी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक चुनाव की एक रैली में तारीफ की है ।

                    इस बारे में कोलकाता के हिंदी थियेटर ग्रुप की डायरेक्टर उमा झुनझुनवाला क्या कहती हैं इस पर जरूर गौर करना चाहिए, फिल्म को या किसी प्ले को बैन करना सही नहीं है, लेकिन एजेंडा के आते ही कोई आर्ट, आर्ट नहीं रह जाती. अगर आप किसी मकसद से फ़िल्म बनाते हैं तो वो राजनीतिक हथियार बन कर रह जाती है. 

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