नटवर लाल की कहानी – Who sold Taj mahal and Red Fort

Who sold Taj mahal and Red Fort

                          हर इंसान की अपनी एक अलग पहचान होती है कोई अच्छा गट है तो कोई पढ़ाई में माहिर होता है लेकिन सोचिए अगर कोई इंसान ठगी करने में माहिर हो और ऐसी महारत हासिल की हो जिसकी चलते ना केवल देश में बल्कि विदेश में भी उसे व्यक्ति की ठगी के किस सुने जाते हैं जी हां एकदम सच है डागले इंसान को गैंग भेज देने का हुनर हर व्यक्ति के पास नहीं होता लेकिन इसका होना नटवरलाल में था आपने हिंदुस्तान में तो देखा होगा लेकिन क्या आप हिंदुस्तान के असली थक बड़े में जानते हैं

                         क्या आपने न्यूट्रल के ठगी किस सुन नहीं तो आज हम आपको बताएंगे की नेटवर्क लाल ने भारत के अनमोल रतन गए जान वाले और प्यार की निशानी मैन जान वाले ताजमहल को बीच रहा था और हैरानी बात तो यह है की केवल एक बार नहीं बल्कि नटवरलाल ने तीन बार ताजमहल बेचा था केवल ताजमहल ही नहीं बल्कि दो बार लाल किला और एक बार राष्ट्रपति भवन भी पेस डाला तो चलिए जानते हैं

                         नटवरलाल ने इतनी बड़ी ठगी कैसे की कौन है नेट वाला मिथलेश कुमार श्रीवास्तव और फिर नटवरलाल का जन्म 1912 में बिहार के सिवान जिले में बंगरा गांव में हुआ एक ऐसा ठक्कर जिसके गांव के लोग इस बात पर गर्व महसूस करते हैं की उनके गांव में पैदा हुए थे नटवरलाल ने अपने जीवन में सैकड़ो लोगों से करोड़ रुपए की ठगी कमजोर उसके 50 से भी ज्यादा फर्जी नाम थे वो फेमस लोगों के फर्जी सिग्नेचर करने माहिर था उसने बड़े-बड़े बिजनेसमैन को चुनाव लगाया था

                         नटवरलाल द्वारा तारा गया पहले इंसान उनका पड़ोसी था हुआ कुछ यूं की नटवरलाल ने अपने पड़ोसी की फजिर साइन करके बैंक से ₹1000 निकाल लिए थे नटवरलाल द्वारा नकली साइन करने के हुनर के चलते उन्हें हिंदुस्तान का सबसे बड़ा ठग बना दिया गया राष्ट्रपति भवन से लेकर ताज महल और लाल किला बेचा जैसा की नटवरलाल नकली साइन करने माहिर थे

                         ऐसे में उन्होंने वो कारनामे कर डाला जो शायद ही किसी ने सपना में सोच होंगे जहां लोग छोटे मोटे पैसों की ठगी करते हैं लेकिन नटवरलाल ने तो ठहरे भैया वो तो बहुत बड़े ठग थे तो इस बार उन्होंने देश की शान कहे जान वाले राष्ट्रपति भवन को भेज डाला बता देंगे समय देश के राष्ट्रपति दो राजेंद्र प्रसाद जी थे इस बार भी नटवरलाल ने अपना के जादू चलाया और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी के साइन करके राष्ट्रपति भवन बीच डाला एक बार राजेंद्र प्रसाद नटवरलाल के पड़ोस वाले गांव में आए थे और इसी दौरान पहले बार नटवर राजेंद्र प्रसाद से मिले ना फिलहाल अपना हुनर राजेंद्र प्रसाद को दिखाने वाले पड़ोस के गांव में पहुंच गए और यही नटवरलाल ने राष्ट्रपति के सामने ऐसी बात की है

                         जिसे हर कोई सुनकर हैरान हो गया की अगर आप कहे तो मैं के सारे कर चुका सकता हूं इसके बदले में उन्हें भारत का कर्ज बना सकता हूं नटवरलाल की बात सुनकर राष्ट्रपति बेहद प्रभावित हुए उन्होंने कहा की तुमने बहुत ही प्रतिभा है लेकिन आपको अपने हुनर का इस्तेमाल सही केमोन के लिए करना चाहिए अगर तुम चाहे तो मैं तुम्हें नौकरी दिलाने की मदद कर सकता हूं

                         लेकिन नटवरलाल को राष्ट्रपति से मिला प्रस्ताव पसंद नहीं आया क्योंकि नटवरलाल में उसके पास तो जादू था जब बस ए रही थी उनके नाम कर सकता था और वो जादू जींद था नकली साइन करने का हुनर बस उसके बाद ना उसके बाद हाल नहीं पहले राष्ट्रपति भवन को भेज डाला और इसके अलावा कहा जाता है की उन्होंने तीन बार आज मैं लोग दो बार लाल कल भी बेचे के लिए जाना जाता है

                         प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर ठगी दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित एक घड़ी की दुकान में सफेद कमी से पहन पहने एक घोड़ा आदमी इंता करता है दुकानदार से कहता है की प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पार्टी के सभी सीनरी लोगों को सपोर्ट के लिए दिल्ली बुलाया इस मीटिंग में शामिल होने वाले सभी लोगों को वो एक घड़ी गिफ्ट करना चाहते तो मुझे आपकी दुकान से 93 घड़ियां चाहिए दुकानदार भी एक साथ इतनी खड़िया को बेचे के लालच में खुद को रॉक नहीं पाया अगले दिन वो बुध आदमी खड़ी लेने दुकान पहुंच दुकानदार को घड़ी पैक करने की बात का कर एक स्टाफ अपने साथ लेकर वहां पहुंच जहां प्रधानमंत्री से अगर बड़े-बड़े ऑफिसर के ऑफिस होते हैं

                         मैं उसने स्टाफ को भुगतान के तोर पर 32829 का बैंक ड्राफ्ट दिया 2 दिन बाद दुकानदार ने रक्षा जमा किया तो वो बैंक वालों ने बताया की वो ड्रॉप फैंस दिए इसके बाद दुकानदार को समझते हुए देने लगी की वो शख्स कोई और नहीं बल्कि हिंदुस्तान का सबसे बड़ा ठग नटवरलाल था इसके बाद कभी फैंस मिनिस्टर वीपी सिंह तो कभी यूपीजीसीन के नाम पर नटवरलाल अलग-अलग शहर में दुकानदारों को चुनाव लगता रहा विदेशियों को भेज डाला एक सरकारी अफसर बनकर नटवरलाल ने विदेश को तीन बार ताजमहल दो बार लाल कल और एक बार राष्ट्रपति भवन और एक बार सांसद भवन तक भेज दिया था

                         और वो भी उसे वक्त जब सारे सांसद उसे भवन में ही थे ना दो लाल ने जब उनको बेचे के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट पर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नकली सिग्नेचर तक कर दिए थे और विदेश से रकम निकाल ली थी 1000 से चोरी की शुरुआत रिपोर्ट की मैंने तो दिल्ली पुलिस की फाइल में मिथलेश कुमार के 50 से भी ज्यादा नाम है उसने सबसे पहले चोरी उसे दूर में ₹1000 की थी अपने पड़ोसी की नकली हस्ताक्षर करके बैंक से पैसे निकले नटवरलाल का ऐसा होना था की वो एक ही नजर में किसी की भी सिग्नेचर कर सकते थे

                         कहा जाता है की एक मौके पर नटवरलाल ने देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का भी सिग्नेचर उनके सामने एकदम हूबहू कर दिया था चीजों से खुद राजेंद्र प्रसाद हैरान र गए थे 90 के दशक से गायब 90 के दशक के आसपास से नटवरलाल का कोई पता नहीं हालांकि 2009 में जब नटवरलाल के लॉयर ने उसके खिलाफ डायर 100 मामलों को हटाने की एप्लीकेशन फाइल की तो नटवरलाल के भाई गंगाराम ने ये का दिया की उसकी मौत कारी 13 साल पहले 1996 में हो गई नटवरलाल का नाम अब एक मुहावरा बन चुका है

                         जो हर जलसा को मेडल के रूप में दिया जाता है उसके खिलाफ आठ राज्यों में 100 से अधिक दर्ज मामले हैं उसके फैसला के मुताबिक 113 साल की उसको सजा हो चुकी नटवरलाल बा बॉलीवुड में फिल्म भी बनी थी नटवरलाल की अंदाज से लगा सकते हैं की बॉलीवुड में उनके नाम पर आधारित फिल्म बनाया जा चुकी है जिसका नाम था राजा नटवरलाल इस फिल्म में परेश रावल और इमरान हाशमी ने बड़ी भूमिका निभाई इसके अलावा आज तक न्यूज़ चैनल ने 2004 में लाल के जीवन पर बेस्ट कई एपिसोड कास्ट की है चलती फिरती जुर्म की पुरी यूनिवर्सिटी

                         बिल्कुल इस तरह लाल का नाम भी सब जानते हैं चाहे किसी महान चैरिटेबल ट्रस्ट डालते हैं और गलत कम करने के लिए लोग जल्दी इंस्पायर भी हो जाते हैं आपको क्या लगता है क्या नटवरलाल जैसे लोग समाज के लिए सही है ऐसे लोगों को खोज का फॉरेन गिरफ्तार करना चाहिए

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