भारतीय व्यापार के दो सुपरस्टार: मुकेश अंबानी और रतन टाटा

Mukesh Ambani and Ratan Tata

घर, पैसा और मकान हर चीज की भरपूरि रखने वाले भारत के दो सुपर हीरो कौन है? आखिर इन्हे क्यों सुपर हीरो कहा जाता है ? कौन है ये दो शख्स जो आज हर किसी की जुबान पर रटे हुए है और देश को इनके कामों से क्या फ़ायदा होता है ? क्या है दोनों का इतिहास आइये सब कुछ जानते है।

जब भी भारत के सबसे अमीर व्यापारियों के बारे में बात होती है, तो हर किसी की जुबान पर केवल ये दो नाम सबसे पहले आते है रतन टाटा और मुकेश अंबानी , ये दो ऐसे नाम है जिन्होंने सबसे अमीर बिज़नेसमैन का दर्जा हासिल कर रखा है, एक तरफ रतन टाटा जिन्होंने अपनी कंपनी टाटा इंडस्ट्री को आज इस मुकाम तक पहुंचा दिया है कि बच्चा बच्चा टाटा के बारे में जानता है और टाटा के साथ काम करने की ख्वाइश रखता है वहीँ मुकेश अंबानी जिनकी एक गाड़ी की कीमत में नॉर्मल इंसान बंगला बनवा सकता है, भई ये दोनों ही शख्स रहीसी के मामले में किसी से कम नहीं है लेकिन फिर भी लोगों के मन में एक सवाल जरूर बना रहता है कि आखिर इन दोनों में से ज्यादा अमीर कौन है, कहीं मुकेश अंबानी तो नहीं क्योकि कागजात के अनुसार अंबानी साहब ही रतन टाटा से ज्यादा नेटवर्थ रखते है जबकि दूसरी तरफ रतन टाटा जिन्होंने अपनी कंपनियों की लंबी लिस्ट से पहले ही अंबानी साहब को पीछे छोड़ रखा है।

खेर आइये इन दोनो के बारे में डिटेल में जानते है और शुरुआत में बात करते है रतन टाटा जी की, वाक़ई में कुछ लोग दुनिया में Legend बनने के लिए पैदा होते है, जो अपने महान कामों से दुनिया के नजरिये को बदल देते है उनमे से एक रतन नवल टाटा है, इनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था , इनके फादर का नाम नवल टाटा था जो एक बेहतरीन व्यापारी रहे वहीँ इनकी मदर का नाम सोनू टाटा था, इसके अलावा इनकी जैविक नानी हीराबाई टाटा की बहन थी जो ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा की पत्नी थी , वहीँ रतन टाटा के जैविक पिता हरमुशजी टाटा ब्रूडर टाटा परिवार से थे और इसी टाटा फॅमिली में जन्म हुआ रतन टाटा नाम के जबरदस्त खिलाडी का।

ख़ैर बात करे पढाई लिखाई की तो उन्होंने Cornell University US से Bachelor of Architecture की डिग्री हासिल की , वहीँ 1962 में राटा जी ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल US से एक Advanced Management Program किया जिसके बाद वो अपने फॅमिली बिज़नेस टाटा ग्रुप में शामिल हो गए। जिसके बाद तो रतन जी ने कमाल ही कर दिया हालांकि कंपनी का इतिहास तो इनके जन्म से भी पुराना है, भले ही रतन टाटा जी ने कंपनी को काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया लेकिन इसके पीछे जमशेदजी टाटा का स्ट्रगल छिपा हुआ है जिसे जानना बहुत जरुरी है।

जमशेद जी टाटा करीब 14 साल की उम्र में पढाई के लिए मुंबई पहुंच गए थे, जहाँ से ग्रेजुएशन कम्पलीट करने के बाद उन्होंने अपने बिज़नेस शुरू करने का प्लान बनाया, अब क्योकि उस दौरान अंग्रेज़ों का शासन था तो खुद के बिज़नेस के बारे में सोचना बहुत मुश्किल था लेकिन कहते है ना इरादे और हौसले मजबूत हो तो कोई भी बंदिशें आपके सामने टिक नहीं सकती और ऐसा ही हुआ , साल 1868 का समय था जब जमशेद जी ने अपनी 21 हजार की पूंजी से टाटा ग्रुप की नींव रखी जहाँ शुरुआत में उन्होंने कॉटन कंपनी की शुरुआत की, वो शुरुआत से ही क्वालिटी प्रोडक्ट पर विश्वास रखते थे , वहीँ कहीं न कहीं जमशेद जी अपने नए नए प्लान्स को उड़ान दे रहे थे, उनका सपना था हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर बनाना। स्टील कंपनी खोलना और भारत में एजुकेशन इंस्टिट्यूट खोलना क्योकि वो जानते थे भारत को एक स्ट्रांग देश बनाने के लिए यहाँ का एजुकेशन सिस्टम अच्छा होना चाहिए।

पर अफ़सोस जमशेद जी अपनी आँखों से अपने सपने को पूरा होते हुए नहीं देख पाए थे, जिसके बाद उनके बेटे dorabji tata ने अपने पिता के नक़्शे कदम पर चलते हुए ग्रुप की बागडोर संभाली, उन्होंने पिता के सपने को पूरा करते हुए आयरन एंड स्टील कंपनी की शुरुआत की वहीँ हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर को स्टैब्लिश किया साथ ही उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की शुरुआत की, पर अपने ग्रुप की तरक्की को ज्यादा समय तक ये भी नहीं देख सके, जिसके बाद टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी जहांगीर रतन जी टाटाभाई ने सम्हाली और अपनी मेहनत से उन्होंने पुरानी 14 कमापनियों को चलाते हुए कंपनियों का आकड़ा 95 तक पहुंचा दिया , यही नहीं उन्होंने इडियन की एयरलाइन टाटा एयर लाइन की भी शुरुआत की, जो आज गवर्नमेंट के अंडर एयर इंडिया के नाम से जानी जाती है।

इसके बाद इस ग्रुप में एंट्री हुई रतन नवल टाटा की जिन्होंने इस कंपनी को ना केवल भारत में बल्कि ग्लोबली इतना फेमस कर दिया कि आज दुनिया भर में टाटा ग्रुप का गजब का रुतबा है।

मुकेश अंबानी का जन्म 19 April 1957 को यमन कंट्री की एडन सिटी में हुआ था क्योकि इनके जन्म के दौरान इनके फादर इनकी मदर के साथ इसी शहर में रहते और काम करते थे, इनके फादर का नाम धीरूभाई अंबानी था जो बिज़नेस फील्ड के एक लीजेंड बिजनेसमैन हुआ करते थे वहीँ इनकी मदर का नाम कोकिला बेन अंबानी था, खेर मुकेश जी के परिवार में इनके छोटे भाई अनिल और इनकी दो बहने है जिनका नाम नीना और दीप्ति है।

बात करे इनकी पढाई लिखाई की तो इन्होने अपनी स्कूली पढाई मुंबई शहर के हिल Grange है स्कूल से पूरी की है, साथ ही अपनी ग्रेजुएशन की पढाई इन्होने मुंबई के Institute of Chemical Technology से की है जहाँ से इन्होने chemical Engineering की पढाई पूरी की, अंबानी जी को शुरू से ही पढाई में काफी दिलचस्पी थी इसलिए ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद आगे की पढाई के लिए इन्होने अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया हालांकि यहाँ से वो अपनी पढाई को अधूरी छोड़कर भारत वापस आगये थे और अपने फादर का बिज़नेस ज्वाइन कर लिया था।

वेल जिस तरह टाटा इंडस्ट्री का इतिहास काफी दिलचस्प रहा उसी तरह रिलायंस इंडस्ट्री का भी इतिहास काफी दिलचस्प है जिसकी शुरुआत करने वाले मुकेश अंबानी जी के फादर धीरूभाई अंबानी थे, पढाई लिखाई में धीरूभाई का ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं था इसलिए जल्द ही उन्होंने पढाई से अलविदा कर छोटी मोटी नौकरियां करना शुरू कर दी, हालांकि अपना बिज़नेस करने का सपना तो शुरू से ही उनके मन में पनप रहा था जिसे उन्होंने मुकम्मल करके भी दिखाया।

वीदेशों में काम कर धीरूभाई ने पहले कुछ पैसे इकट्ठे किये जिसके बाद नौकरी को छोड़ वो मुंबई की एक चौल में आ गए और काफी संघर्ष करने के बाद उन्होंने रिलायंस कमर्सिला कॉर्पोरेशन की शुरुआत की जो मसालों और यान पर काम करता था और जैसे ही ये कारोबार सेट हुआ वैसे ही उन्होंने कपड़ो के कारोबार में भी कदम बढ़ा दिए, हालांकि यहाँ कुछ ख़ास रेस्पॉन्स नहीं मिला लेकिन धीरूभाई ने हार नहीं मानी और इसका रिजल्ट ये निकल कर आया कि करीब 70 करोड़ के रेवेन्यू रखने वाले रिलायंस का रेवेन्यू 2002 तक करीब 75 हजार करोड़ हो गया था , बिज़नेस के सक्सेस के चलते रिलायंस का नाम Fortune 500 में भी शामिल हुआ था।

खेर धीरूभाई की मृत्यु के बाद दोनों भाई मुकेश और अनिल अंबानी को बिज़नेस का आधा आधा हिस्सा दे दिया गया, खेर ये तो आप सब जानते ही होंगे कि दोनों भाई का बिज़नेस करने का तरीका कितना अलग रहा जहाँ एक तरफ अनिल जी जो कोर्ट के चक्कर लगाते हुए नजर आते है वहीँ मुकेश अंबानी जी जिनकी नेटवर्थ में दिन बा दिन हिजाफा होता चला जा रहा है।

इस तरह से हमने रतन जी और अंबानी जी दोनों के इतिहास को अच्छे से जान लिया अब बारी है इनकी नेटवर्थ की, रिलायंस रिटेल , रिलायंस पेट्रोलियम और रिलायंस जिओ जैसी कई कंपनियों के मालिक मुकेश माबानी जी की नेटवर्थ लगभग 11,220 crores है, वहीँ जनाब हम रतन टाटा जी के बारे में बात करे जो आज के समय में करीब 135 कंपनियों के मालिक है , आपको जानकार हैरानी होगी की इतनी  सारी कंपनियों के मालिक की नेटवर्थ करीब ₹3,800 crore है जी हाँ जो आकड़े अनुसार मुकेश जी की नेटवर्थ से बहुत ही कम है।

अगर इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करे तो वो केवल इनका भारत के लोगों के प्रति प्यार ही है , असल में टाटा ग्रुप में रतन जी लगभग 1 परसेंट से भी कम के मालिक है, जी हाँ उनके ग्रुप का करीब 66 परसेंट शेयर उनकी ही कंपनियों के अलग अलग ट्रस्ट जैसे, सर रतन टाटा ट्रस्ट , सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और टाटा एजुकेशन ट्रस्ट जैसे कई ट्रस्ट को डोनेट किया जाता है और ये सब इंडिया के एजुकेशन , Livelihood जनरेशन और आर्ट एंड कल्चर जैसे कई अलग अलग सेक्टर में काम कर रहे है, यानी आप समझ ही सकते है कि दान पुत्र के मामले में रतन जी अपने पूर्वजों से कम नहीं है जिस तरह उनके पूर्वजों से भारत के लोगों के लिए उनकी एजुकेशन के लिए अच्छा सोचा , उसी कड़ी में आज रतन जी चल रहे है।

वहीँ हम बात करे अंबानी साहब की तो जनाब ये इस समय पर रिलायंस ग्रुप में करीब 48 परसेंट शेयर के मालिक है, इस बायत से आप समझ ही सकते है जब शेयर्स ही मुकेश जी के लगभग आधे है तो इसका असर नेटवर्थ पर पढ़ना तो बनता है न बॉस।

इसका मतलब ये नहीं है कि दान पुत्र और योगदान के मामले में मुकेश अंबानी जी कहीं नजर नहीं आते , जिस तरह से सालों से टाटा ग्रुप भारत को एजुकेशन सिस्टम में आगे बढ़ा रहा है उसी तरह मुकेश अंबानी अपनी कंपनियों के जरिये भारत को डिजिटल बनाने में अपना पूरा योगदान दे रहे है, आज पूरे भारत में जियो का डंका बजता है अंबानी जी ने अपनी कंपनी जियो से  टेलीकम्युनिकेशन की फील्ड में जो तहलका मचाया है न वो वाक़ई कमाल है जनाब आज उन्ही की वजह से हर कोई मस्त जियो नेट यूज़ कर रहा है वो भी 4G की स्पीड में और कुछ ही समय पहले इन्होने अपने बच्चों के साथ मिलकर जियो गीगा फाइबर नाम की ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू की है जिससे लोगों को तेज स्पीड का नेट कनेक्शन मिलेगा।

यही नहीं मुकेश अंबानी ने साल 2006 में रिलायंस फ्रेश स्टोर्स को स्टार्ट किया था और आज के समय हमारे देश में रिलायंस फ्रेश की लगभग 700 से भी ज्यादा स्टोर्स है , जो  खाद्य पदार्थों और कई तरह के घरेलु उत्पादों को बेचने से जुड़ा हुआ है, इसके अलावा भी वो अक्सर एजुकेशन रिलेटेड कामों के लिए दान करते रहते है।

admin

admin