G-20 सम्मिट क्या है? G-20 Summit 2023 India

g20

भारत हर दिन एक नया आयाम हांसिल कर रहा है पहले चन्द्रयान-3 से दुनिया को हक्का-बक्का किया. फ़िर आदित्य एल-1 की सफ़लता से सभी को सोच में डाल दिया और अब जी-20 से भारत में इस बार हुई जी-20 की बैठक एतिहासिक थी क्योंकि इस बार ना सिर्फ़ ज़्यादा से ज़्यादा सदस्य मौजूद रहे बल्कि एक नए देश को जी-20 में जगह भी मिली?तो कौन सा है ये देश?और क्या है जी-20? इसे क्यों बनाया गया?और क्या काम है जी-20 का??ऐसे कई सवाल आपके दिमाग में घूम रहे होंगे और आज हम जी-20 से जुड़े इन्हीं सवालों के जवाब लेकर हाज़िर हैं। 

2022 में बाली में हुई जी-20 की बैठक के दौरान ही जी-20 2023 के लिए मेज़बानी का ज़िम्मा भारत को सौंप दिया गया था तभी से भारत इस बैठक के तैयारियों में जुट गया था ये जी-20 की 18वीं बैठक थी जो सबसे सफ़ल मानी जा रही है मीटिंग का आयोजन भारत के दिल यानी नई दिल्ली में 9 और 10 सितम्बर को हुआ ये आयोजन दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ था इस बैठक में क्या ख़ास रहा ये जानने से पहले चलिए जी-20 को समझते हैं। 

जी-20 क्या है?

जी-20 को आप ग्रुप ऑफ 20 कह सकते हैं जी यानी ग्रुप और 20 यानी 20 देश यानी जी-20 है 20 देशों का समूह दरअसल ये दुनियाभर की मज़बूत ताकतों का एक ग्रुप है जिसमें उस सभी पाॅवरफुल देशों को लिया गया है जिनकी इकाॅनोमी मज़बूत और टिकाउ है.. इन देशों में 19 देश हैं जबकि 20वें देश के रूप में यूरोपियन यूनियन को ग्रुप का हिस्सा बनाया गया है। 

कौन-कौन से देश हैं शामिल?

अब बात करें कि इस ग्रुप में कौन-कौन से देश हैं तो उनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कैनेडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इण्डोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मैक्सिको, रूस सउदी अरब, साउथ अफ्रिका, तुर्किए, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं बता दें कि ये जी-20 दुनिया का सबसे बड़ा ग्रुप है और सबसे मज़बूत भी क्योंकि जी-20 की ऑफ़िशियल वेबसाइड ये बताती है कि इस ग्रुप से जुड़े देश या ये ग्रुप वैश्विक बाज़ार में 80 फीसदी तक हिस्सेदारी रखता है जबकि वहीं पूरी दुनिया की दो-तिहाई 2/3 आबादी को रिप्रेज़ैंट करता है।

जी-20 को क्यों बनाया गया?

अब कई लोगों के मन में ये भी चल रहा होगा कि आखि़र जी-20 को बनाया क्यों गया?क्या ज़रूरत आन पड़ी जो 20 देशों का ग्रुप बना?

तो चलिए ये भी समझ लेते हैं?

दरअसल ये कहानी शुरू होती है 1999 से ये वो समय था जब एशिया ने फाइनेंस क्राइसिस का सामना किया इसी दौरान बर्लिन शहर में जी-8 यानी ग्रुप ऑफ ऑफ 8 कंट्रीज़ की बैठक चल रही थी इसी बैठक के दौरान जी-20 का गठन करने का फैसला लिया गया

इसके बाद साल 2007 में एक बार फ़िर आर्थिक संकट ने पैर पसारे और इस बार लगभग पूरी दुनिया को चपेट में ले लिया.. इसलिए इसे वैश्विक आर्थिक या वित्तीय संकट कहा गया 2007 के फाईनेंशियल क्राइसिस के बाद दुनिया को जी-20 की ज़रूरत पहले से कई गुना ज़्यादा महसूस हुई.. क्योंकि 1999 में जो जी-20 बना था वो आर्थिक मसलों को हर करने के परपस से ही बना था.. लेकिन फ़र्क ये था कि 1999 में जी-20 में सिर्फ़ एशियाई वित्तिय संकट से निपटने के लिए फाइनेंस मिनिस्टर्स और सेंट्रल बैंक के गर्वनर्स को शामिल किया गया.. लेकिन 2007 में आए क्राइसिस के बाद वित्त मंत्रियों, और गर्वनर्स के साथ इसमें सभी 20 देशों के राष्ट्रध्यक्षों को भी शामिल किया गया.. यानी हैड ऑफ़ द कंट्री को साथ ही अब जी-20 के काम का दायरा भी बढ़ गया

जी-20 क्या काम करता है?

जैसे पहले जी-20 को सिर्फ़ वित्तिय मामलों को सुलझाने उनसे निपटने या आर्थिक संकट से जुड़े मुद्दों के लिए बनाया गया था लेकिन 2007 के बाद ये 20 देशों की झोली में सिर्फ़ आर्थिक मुद्दें ही नहीं बल्कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट, हैल्थ, एग्रीकल्चर, एन्वायरमेंट, भ्रष्टाचार, जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) और बिज़नेस जैसे मुद्दे भी आ टपके। बता दें जी-20 में दो बराबर के ट्रैक होते हैं। एक वित्त ट्रैक और दूसरा शेरपा ट्रैक। अब ये क्या हैं? दरअसल वित्त ट्रैक को वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर लीड करते हैं जबकि शेरपा ट्रैक को शेरपा लीड करते हैं। शेरपा नेताओं के निजी प्रतिनिधि होते हैं। वित्त ट्रैक पूरे कार्यकाल के दौरान बैठक करते हैं। वहीं शेरपा ट्रैक इस दौरान हुई मीटिंग्स का supervision या निरीक्षण करते हैं। वहीं ये भी डिसाइड करते हैं कि किस एजेंडा पर चर्चा की जाए। बता दें जी 20 का सबसे बड़ा मकसद ये है कि इसमें शामिल देश एक दूसरे को आर्थिक सहयोग दे सकें और एक दूसरे के साथ मिलकर एक-दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुँचाने वाली रणनीतियों पर काम कर सकें। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें शामिल सभी देशों की कुल जीडीपी दुनियाभर के सारे देशों की 80 फीसदी जीडीपी है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसकी क्या इम्पॉर्टेंस है।

थोड़ा सा और डिटेल में बात करें तो जी – 20 के तहत Global Financial Sustainability जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। क्योंकि अकसर हम सुनते रहते हैं कि डॉलर मज़बूत हो रहा है , रुपये की कीमत गिर रही है। इस देश में मंदी आ रही है, उस देश की करेंसी बहुत ज्यादा गिर गई । वगैरह-वगैरह । तो इसी तरह के मुद्दों पर चर्चा होगी कि आख़िर कैसे फाइनेन्शियल चीज़ों को बैलेन्स में रखा जाए। इसी तरह जैसा कि आजकल ग्लोबल वार्मिंग, greenHouse gasses की प्रॉब्लम्स और Environment वगैरह की प्रॉब्लम्स दुनिया भर के सामने हैं । ये मुद्दा भी जी – 20 में शामिल है। 

जैसे कि हमने बताया कि, भारत जी – 20 की अध्यक्षता कर रहा है। ऐसे में पूरे साल देश भर के अलग – अलग शहरों में मीटिंग्स , सेमिनार और इंवेंट्स वगैरह हुए । अब आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ अगर एक विधायक या सांसद भी जब चलता है तो पूरा ताम-झाम लेकर चलता है। तो सोचिए किसी दूसरे देश से आने वाले डेलीगेशन के साथ कितना ताम-झाम होगा। जैसे स्क्योरिटी गार्ड्स , मीडिया कर्मी वगैरह वगैरह और जैसा कि होता है जब हमारे घर कोई मेहमान आता है तो हम उसकी आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ते बल्कि अपनी कैपेसिटी से कहीं ज़्यादा शो करते हैं ताकि जाने के बाद वो मेहमान जब किसी से हमारा ज़िक्र करे तो हमारी तारीफ़ ही करे। तो इसी तरह का मौका इस बार भारत के पास था और भारत ने इस मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए दुनिया को दिखा दिया कि भारत कुछ भी कर सकता है।

जी-20 की बैठकों की बात करें तो ये सिलसिला साल 2007 से ही शुरू हो गया था जब ग्लोबल इकाॅनोमिक क्राइसिस से निपटने के लिए जी-20 में सभी राष्ट्राध्यक्षों को शामिल किया गया इसके ठीक एक साल बाद यानी साल 2008 में 14 से 15 नवम्बर को अमेरिका के वाॅशिंगटन डी.सी में जी-20 की पहली बैठक हुई इसके बाद साल 2009 में 2 अप्रैल को अमेरिका में ही जी-20 का दूसरा शिख़र सम्मेलन हुआ। फ़िर 2009 में ही 24 से 25 सितम्बर को अमेरिका के पिट्सबर्ग में तीसरी बैठक हुई… इसके बाद 2010 में 26 से 27 जून को चौथा सम्मेलन कैनेडा के टोरंटो शहर में हुआ. जबकि पांचवा सम्मेलन 2010 को ही 11 से 12 नवम्बर को साउथ कोरिया में हुआ। 

इसके बाद 2011 में जी-20 की 6वीं बैठक की मेज़बानी मिली फ्रांस को जिसने 3 से 4 नवम्बर को फ्रांस में बैठक का आयोजन किया इस तरह 2008 से लेकर अब तक जी-20 की कुल  बैठकें हो चुकीं हैं साल 2022 में 15 से 16 नवम्बर को इण्डोनेशिया के बाली में बैठक हुई जहां पहली बार भारत को जी-20 की बैठक की मेज़बानी सौंपी गईं और 2023 का जी-20 शिखर सम्मेलन भारत के नई दिल्ली में 9 से 10 सतम्बर को हुआ। बता दें कि आने वाली बैठक ब्राज़ील में 2024 को होने वाली है यानी जी-20 का 19वां सम्मेलन। बता दें कि जी-20 की बैठक साल में एक बार सदस्य देशों में से एक देश में आयोजित की जाती है। 

भारत में कैसा रहा जी-20?

अब बात करते हैं 2023 में भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन की जिसे एतिहासिक माना जा रहा है.. क्योंकि इस बैठक में कुछ ऐसा हुआ जो अब तक 17 बैठकों में नहीं हो पाया था दरअसल इस बैठक में भारत की तरफ़ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 54 देशों के अफ्रिकी संघ यानी अफ्रिकन यूनियन को जी-20 में शामिल करने का प्रस्ताव रखा और सभी देशों ने इस पर रज़ामंदी भी जताई जिसके बाद अफ्रिकन यूनियन को भी जी-20 का हिस्सा बना लिया गया और इस तरह जी-20 बन गया जी-21 जो वाकय एतिहासिक है। 

भारत ने जी-20 का मोटो रखा था वसुधैव कुटुम्बकम,यानी सारा संसार, एक परिवार और अफिकन यूनियन के जी‘-20 में शामिल होते ही भारत का ये मोटो सफ़ल हो गया वैसे बता दें कि भारत में जी-20 समिट की थीम थी वन फैमिली, वन अर्थ, वन फ्यूचर,यानी एक परिवार, एक पृथ्वी और एक भविष्य

बैठक के दौरान 125 देशों के एक लाख से ज़्यादा मेहमानों ने भारत का दौरा किया वहीं 1.5 करोड़ से ज़्यादा लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हए यही नहीं भारत के सभी यानी 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से भी ज़्यादा बैठकों का आयोजन हुआ इन बैठकों में बिज़नेस 20, कल्चर 20, एनवायरमेंट 20 जैसे मुद्दों पर चर्चा हुईं

भारत में ये बैठकें नाॅर्थ से लेकर, साउथ तक,, वेस्ट से लेकर ईस्ट तक आयोजित हुईं और हर मुद्दे के समाधान पर ख़ास चर्चा की गई आंकड़ों की बात करें तो 10 महीनों में 58 शहरों में बैठकों का आयोजन हुआ और 9 से 10 सितम्बर को हुई इस बैठक के साथ ये आयोजन पूरी तरह से सफ़ल रहा। 

जी-20 की इस अपार सफ़लता के बाद एक बार फ़िर दुनिया भर की नज़रें भारत पर टिक गईं इस बैठक से भारत को हुए फ़ायदे की बात करें तो दुनियाभर के सामने भारत की प्रधानता झलकी आपको बता दें कि इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड के दौरान भारत की जनता को सम्हालने उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उठाए फैसलों के साथ-साथ अन्य मुद्दों से निपटने, चन्द्रयान-3 की सफ़लता के बारे में भी बताया 

कुल मिलाकर कहें तो भारत का गुडगान हुआ साथ ही ये भी बताया गया कि जो भारत आज विकासशील देशों की लिस्ट में हैं वो आने वाले कुछ सालों में विकसित देश के रूप में दुनिया के सामने आएगा और देश जिस हिसाब से काम कर रहा है उससे तो ये तय है की भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।

admin

admin