ये तो आप सभी जानते हैं कि भारत ने इस बार जी-20 की मेज़बानी की लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि राष्ट्रपति जी को डिनर के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र में प्रसिडेंट ऑफ इण्डिया President of India नहीं बल्कि प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत President of Bharat लिखा गया था?तो क्या सच में इण्डिया अब भारत बन चुका है?क्या संविधान के आर्टिकल नम्बन-1 के साथ छेड़छाड़ की जा चुकी हैऔर आखि़र क्यों इण्डिया बनाम भारत का मुद्दा आग की तरह फ़ैल रहा है?आखि़र क्यों सरकार इण्डिया को बनाना चाहती है भारत? चलिए समझते हैं।
साल 2004 की बात है जब यूपी विधानसभा ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें संविधान में कुछ संधोधन की बात कही गई थी ये प्रस्ताव आर्टिकल नम्बर 1 को लेकर था कि India That is Bharat की जगह Bharat That is India किया जाए लेकिन उस वक्त बीजेपी सरकार ने इसका विरोध किया और सदन से वाॅक आउट कर लिया,जिसके बाद बिना बीजेपी के मुलायम सिंह यादव ने ये प्रस्ताव पास करवाया तब बीजेपी ने अपने इस वाॅक आउट के पीछे का रीज़न बताते हुए कहा था कि दोनो नाम ठीक हैं क्या ही प्रोब्लम है इससे देश फालतू के मुद्दों में फंसेगा और कुछ होना है नहीं।
लेकिन अब वही बीजेपी सरकार इण्डिया बनाम भारत (India vs Bharat) की जंग छिड़ चुकी है ,अब इण्डिया को भारत बनाने की ज़िद की जा रही है, हालांकि देखा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं हैं क्योंकि 1600 में आई ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ ही भारत में अंग्रेज़ों ने पैर पसार दिये थे और करीब 200 सालों तक देश के लोगों को अपने ही देश में अंग्रेज़ों की गुलामी करनी पड़ी।
ना जानें कितने शहीदों, वीर सपूतों के बलिदान के साथ 1947 में देश आज़ाद हुआ और आज हमें आज़ाद हुए 76 साल भी हो चुके हैं लेकिन सवाल ये घूम रहा है कि बीजेपी गवर्नमेंट तो सत्ता में 2014 से बनी हुई है तो अचानक गुलामी का वो पल याद कैसे आया?अचानक इण्डिया को भारत बनाने का ख़्याल क्यों आया?
वैल इसके पीछे का कारण है ईण्डिया नहीं नहीं देश का नाम नहीं बल्कि ऑपोज़िशन के गठबंधन का नाम I.N.D.I.A , अब ये गठबंधन का क्या चक्कर है?ये समझने से पहले चलिए ये समझते हैं कि देश को भारत या इण्डिया नाम मिला कैसे?
इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो देश के तीन नाम मिलते हैं। भारत, इण्डिया और हिन्दुस्तान। इनमें से हिन्दुस्तान नाम सबसे पुराना है हालांकि बहस यहां भारत बनाम इण्डिया को लेकर है तो हम भी बात इन्हीं दोनों की करेंगे।
भारत देश का नाम भारत कैसे पड़ा इसे लेकर कई कहानियां हैं। जिनमें से सबसे फ़ेमस है राजा भरत की कहानी। महाभारत के आदिपर्व की मानें तो महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की एक बेटी हुई जिसका नाम था शकुंतला,, बाद में शकुंतला और हस्तिनापुर के महाराज दुष्यंत का गंधर्व से विवाह हुआ और उनको एक पुत्र हुआ जिसका नाम था भरत, बाद में इसी भरत के नाम पर देश का नाम पड़ा भारत।
श्रग्वेद में देखें तो भारत को आर्यव्रत के नाम से जाना जाता था श्रग्वेद और वैदिक काल को खंगालें तो पता चलता है कि एक ट्राइब जिन्हें भारताज कहा जाता था वो आर्याव्रत में सबसे जरूरी जनजाति थी बाद में इन्हीं के नाम से देश का नाम भारत पड़ा।
वहीं रामचरित मानस को पढ़े तो राजा दशरथ के बेटे के नाम पर देश का नाम मिलता है कहते हैं कि राजा दशरथ के पुत्र का नाम भरत था और इन्हीं के नाम पर देश भारत कहलाया जबकि जैन धर्म की बात करें तो इनका मानना है कि श्रषभ देव जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे उनके बेटो में से एक थे भरत इनमें से भरत के नाम पर देश को भारत नाम मिला। इसके अलावा पुराणों से भारत को खोजे तो ये नाम भारतवर्ष से मिला था वर्ष यानी कि काॅन्टीनेंट और दोनों को मिलाकर भारतीय लोगों का काॅन्टीनेंट।
वैसे बता दें कि भारत को कई जगह जम्बूद्वीप के नाम से भी पहचाना जाता है जी हां आज भी एशियाटिक कमेटी जिसमें थाईलैण्ड, मलेशिया, जावा और बाली जैसे देश है ये आज भी भारत को जम्बूद्वीप के नाम से जानते हैं,, ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के कुछ हिस्सों में जम्बू पेड़ सबसे ज्यादा है अशोक के शिलालेखों पर जम्बूद्वीप का जिक्र मिलता है
चलिए अब ये भी जान लेते हैं कि देश का नाम इण्डिया कैसे पड़ा?
इण्डिया शब्द की उत्पत्ति तो इण्डस वैली से होती है यानी सिंधु घाटी से। बाद में इसी इण्डस वैली के कारण भारत का नाम इण्डिया पड़ा हालंकि इण्डिया नाम अंग्रेज़ों के टाइम में सबसे ज़्यादा प्रचलित रहा। लेकिन इससे भी पहले जाएं तो भारत को क्रिस्टोफ़र कोलम्बस christopher columbus की वजह से इण्डिया नाम मिला, दरअसल जब क्रिस्टोफ़र कोलम्बस ने अमेरिका को खोजा तो उन्होंने सोचा कि उन्होने इण्डिया को ढूंड लिया है यही रीज़न है कि अमेरिका के नेटिव्स को रेड इण्डियन कहा जाता है।
इसके अलावा कोलम्बस पहले कैरेबियन सागर पर बने एक आईलैण्ड पर उतरे थे जिसे उन्होंने इण्डिया का नाम दिया था। बाद में यूरोपियन्स को समझ आया कि ये तो कोलम्बस की गलती थी तब इण्डिज़ बन गया वेस्ट इण्डिज़ और भारत जो सिर्फ़ इण्डिया होना चाहिए था वो बन गया ईस्ट इंडीज़ इसलिए आपने देखा होगा कि जितनी भी यूरोपियन कम्पनियां भारत में आईं उन्होंने अपने नाम में ईस्ट इण्डीज़ जोड़ रखा था।
जैसे ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी, ईस्ट इण्डिया कम्पनी और डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी। इस तरह अंग्रेज़ों और उससे भी पहले से भारत इण्डिया बना हुआ है। 1947 में भी जब देश आज़ाद हुआ था तब काॅन्स्टीट्यूशन constitution को लिखने के लिए कमेटी बनाई गई थी जिसे ड्राफ्टिंग कमेटी कहा जाता है इस कमेटी के हैड थे डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर जी, अब जब संविधान लिखकर पूरी तरह तैयार हो गया तो ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्यों के बीच बहस छिड़ गई बहस थी देश के नाम को लेकर।
कुछ लोग भारत को समर्थन दे रहे थे तो वहीं कुछ इण्डिया के सपोर्ट में थे इस बहस को खत्म करवाने के लिए वोट डलवाए गए आपको यकीन नहीं होगा लेकिन इस वोटिंग के दौरान इण्डिया और भारत दोनों को ही बराबर वोट मिले इसलिए ये डिसाइड किया गया कि देश का नाम भारत और इण्डिया दोनों होगा।
इस तरह काॅन्स्टीट्यूशन में आर्टिकल नम्बर-1 में इण्डिया दैट ईज़ भारत india that ease bharat लिखा गया जिसके बाद 2004 में भारत दैट ईज़ इण्डिया की मांग उठी लेकिन बीजेपी ने विरोध किया पर अब यही बीजेपी इण्डिया शब्द को आर्टिकल नम्बर 1 में से पूरी तरह साफ़ कर देना चाहती है।
जिस वजह से पूरे देश में एक देश, एक चुनाव, ‘एक देश एक राशन कार्ड और एक देश एक कानून की तर्ज पर एक देश तो एक ही नाम होना चाहिए यानी इण्डिया या भारत की बहस छिड़ गई है और सबसे ज़्यादा हल्ला कर रहे हैं ऑपोज़िशन वाले।
दरअसल ऑपोज़िशन पार्टी जैसे आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, सपा, बसपा वगैरा इसलिए हल्ला मचा रही हैं क्योंकि उनके गठबंधन का नाम इण्डिया I.N.D.I.A है हालांकी नाम डाॅट में है लेकिन है इण्डिया ही तो अब ऑपोज़िशन वालों का ये कहना है कि हमने गठबंधन का नाम इण्डिया रख लिया तो अब सत्ता पक्ष वाले देश का नाम ही बदल देंगे ,इण्डिया शब्द को ही हटा देंगे ये कहां की राजनीति है भाई?
ऐसा हमारा नहीं विपक्षी पार्टियों का कहना है राहुल गांधी सहित अरविंद केजरीवाल और ईवन ममता दीदी का भी यही कहना है कि मोदी जी 2024 के इलैक्शन्स से डर गएं हैं उन्हें भी कहीं ना कहीं समझ आ गया है कि विपक्ष एकजुट होकर मज़बूत हो रहा है इसलिए जनता को इण्डिया वाली खिचड़ी चटाई जा रही है।
वहीं बीजेपी सरकार का कहना है कि उन्होंने इण्डिया को भारत बनाने का सपना बहुत पहले ही देख लिया था शायद इसलिए जी-20 की बैठक में डिनर के लिए जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी को इन्वाइड किया गया तो पत्र में प्रसिडेंट of इण्डिया नहीं बल्कि प्रेसिडेंट of भारत लिखा गया।
लेकिन आपको इस टाॅपिक को समझने की ज़रूरत है क्योंकि अगर इण्डिया भारत हो चुका है तो इण्डियन पीनल कोट हो जाएगा भारत पीनल कोड, रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया हो जाएगी रिज़र्व बैंक ऑफ़ भारत. इण्डियन एडमिनिस्ट्रैटिव administrative सर्विस हो जाएगी भारत एडमिनिस्ट्रैटिव सर्विस और नोट पर से अगर इण्डिया हटाया गया तो बेशक आम जनता को बहुत परेशानी होगी। एक बार फ़िर नोटबंदी हो सकती है, इतना ही नहीं इण्डिया के नाम पर जितनी भी चीज़ें भारत में काॅन्टीन्यू continue हैं वो सब भारत के नाम पर करनी पड़ेंगी इससे सरकार का तो पता नहीं लेकिन हां आम आदमी का बहुत नुकसान होगा।
वैल देखा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन इससे कोई फ़ायदा भी नहीं है क्योंकि दोनों ही नाम ठीक हैं शायद इसलिए देश की नाम की इस अपील पर 2000 में सुप्रीम कोर्ट भी खारिज का ठप्पा लगा चुका है लेकिन अब क्योंकि जी-20 के डिनर के लिए राष्ट्रपति जी को भेजे गए पत्र में प्रसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है तो ज़्यादातर लोगों का सोचना है कि इण्डिया अब भारत बन चुका है।