Interesting Facts about Delhi | History of Delhi | दिल्ली का इतिहास

Interesting Facts about Delhi History of Delhi

            दिल्ली – यमुना तट के किनारे बसा वो शहर है जो आज देश और पॉलिटिक्स के लिए सेंटर का काम करता है। भले ही दिल्ली आज भारत के राजधानी के रूप में दुनिया में अपनी जगह बनाये हुए है लेकिन इतिहास में कभी ये इंद्रप्रस्थ हुआ करता था जिसका कनेक्शन सीधा महाभारत से होता है। दिल्ली की सर्जमी पर कई शक्तिशाली राजाओ ने राज किया है जिसके कारण से ये शहर अपनी महिमा और आपदा का गवाह है। इसके अलावा इस शहर ने कई संस्कृतियों को अपनाया है लेकिन इसके बावजूद इस शहर ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। Interesting Facts about Delhi

            क्या आप जानते है की दिल्ली भारत की राजधानी कैसे बनी? याहा कितने राजाओं ने राज किया? और इतिहास में दिल्ली शहर का क्या महत्व है? खैर अगर आप इन सभी सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो हमारे साथ इस वीडियो में आखिरी तक बने रहे।

            आप जान कर हैरान हो जाएंगे की दिल्ली शहर जो आज इतना बड़ा और हाई-टेक शहर माना जाता है वो महाभारत के युग से ही मौजूद था। आप को बता दे की सबसे पहले शहर का नाम खंडवाप्रस्थ था। लेकिन जब पांडावो ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद हस्तिनापुर को अपने कंट्रोल’ में लिया तब युद्धिष्ठिर ने अपने भाइयों को खंडप्रस्थ सौप दिया लेकिन यहां की जमीन एक दम बेकर थी। तभी श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र से मदद के लिए कहा और फिर भगवान इंद्र ने विश्वकर्मा से कहा, काफी प्रयास के बाद विश्वकर्मा ने इस शहर को बनाया और फिर इसे इंद्रप्रस्थ यानी इंद्र का शहर का नाम दिया।

            अगर इतिहासकारों की माने तो दिल्ली में 7 शहर हैं जो अलग अलग राजवंशों के किलों के इर्द गिर्द विकसित हुए है। और अगर हम नई दिल्ली को भी इसमे शमिल कर ले तो ये कुल 8 शहर हो जाएंगे।

            सबसे पहले हम बात करेंगे 8वीं सदी की जब दिल्ली पर तोमर राजवंश का राज हुआ करता था। तोमर राजवंश 36 राजपूत राजवंशों में से एक थी। दक्षिण दिल्ली का लाल कोट नामक किला भी तोमर राजवंशों के चौथे राजा अनंगपाल द्वारा 1060 में रक्षा के लिए बनाया था। इस फोर्ट का खंडहर आप आज भी दिल्ली के महरौली क्षेत्र में देखा जा सकता है।

            उसके बाद सुन 1179 में पृथ्वीराज चौहान को यहा का राजा बनाया जाता है। पृथ्वीराज चौहान ने ही किले का विस्तार करते हुए इसे दिल्ली का पहला शहर बनाया था। पृथ्वी राज चौहान ने 1180 से लेकर 1192 तक राज किया लेकिन 12 सालो में ही पृथ्वीराज चौहान ने ऐसे करनामो की नीव रखी जिसे इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता है। पृथ्वीराज चौहान एक महान योद्धा थे तभी उन्हे ये अच्छे से मालुम था की भारत पर बाहरी लोगो की नजर है इसलिए उनहोने सारे राजपूतो को एक जुट कर लिया था।

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            तभी जैसे ही मुहम्मद गौरी ने अकरमण किया तभी पृथ्वीराज चौहान ने राजपूतो के साथ मिल कर उसे हर दिया लेकिन उनकी सबसे बड़ी गल्ती अपने नैतिकता को फॉलो करते हुए उसे वापस जाने दिया । पूरे 17 बार मोहम्मद गोरी ने दिल्ली पर अटैक किया और बुरी तरह हार का सामना किया लेकिन 1192 में जब उसने अटैक किया तो पृथ्वीराज चौहान ने हार का सामना किया जहां मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी। पृथ्वीराज चौहान के हत्या के साथ हिंदू राजाओं का शासन भी भारत में खतम हो चुका था क्योंकि अब यहीं से इस्लामिक साम्राज्यों की शुरुआत हो जाती है।

           1206 में मोहम्मद गौरी के मौत के बाद कुतुब-उद-दीन ऐबक ने slave dynasty की स्थापना की। बता दे की कुतुब-उद-दीन ऐबक ही वो शक्स थे जिन्होन कुतुब मिनार को बनवाने का काम शुरू करवाया था जिसे उनके उत्तराधिकारी ने पूरा करवा दिया। कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1290 तक राज किया उसके बाद जलाल-अल-दिन फिरोज खिलजी ने दिल्ली को अपने कब्ज़े में किया और खिलजी वंश का निर्माण किया। इसी राजवंश में दिल्ली का दूसरा शहर सिरी फोर्ट बन कर तैय्यर हुआ। बता दे की सिरी फोर्ट को अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया। इस्के बनवाने के पीछे इसे मंगोलियन के बाहरी अटैक्स से बचाना था । 1316 में अलाउद्दीन खिलजी के मौत के बाद इसका निर्माण रुक गया।

            1320 में दिल्ली पर खुसरो शाह का कब्ज़ा हो गया लेकिन उसके कुछ वक़्त बाद ही घीयास -उद-दीन (ghiyas-ud-din) ने उस पर कब्ज़ा कर लिया और तुगलक(Tughlaq) राजवंश का गठन किया। इसी राजवंश के अंतर्गत 1321 में दिल्ली का तीसरा शहर तुगलकाबाद बन कर तैय्यर हुआ। इस शहर को बनाने के पीछे का कारण भी मंगोलियाई लोगों के हमले से बचना ही था।

            1324 में घीयास -उद-दिन(ghiyas-ud-din) की मौत के बाद अब दिल्ली पे उसका बेटा मुहम्मद बिन तुगलक के राज करने की बारी थी। बता दे की दिल्ली के चौथे शहर का निर्माण मुहम्मद बिन तुगलक ने ही करवाया था जिस्का नाम जहांपनः था। मुहम्मद बिन तुगलक के शासन में भी मंगोलियन का डर खतम नहीं हुआ था यही वजह थी की मुहम्मद बिन तुगलक ने फोर्ट को 1326 में बनवाना शूरू किया। इस फोर्ट की डिजाइनिंग को लाल कोट जिसे किला राय पिथौरा के नाम से भी जानते है और सिरी फोर्ट से लिया गया था।

            अब बारी थी पांचवे शहर की। 1951 में जब फ़िरोज़ शाह तुगलक ने दिल्ली की कमान संभाली तब उन्होंने पांचवे शहर का निर्माण करवा दिया जिसे हम फ़िरोज़ाबाद के नाम से जानते है। 1354 में फिरोज शाह तुगलक अशोक के दो स्तंभ को दिल्ली लाये थे । उनमे से एक स्तंभ उत्तरी रिज (northern ridge ) में है और दूसरा फिरोज शाह फोर्ट के अंदर है।

            तुगलक राजवंश (Tughlaq dynasty )के बाद 1451 से शुरुआत होती है लोधी राजवंश (lodhi dynasty )कि जिसके सम्राट इब्राहिम lodhi को बाबर ने 1526 में हरा कर दिल्ली पर कब्ज़ा कर वहा ka पूरा धन लूट लिया।

बाबर की मौत के बाद जब हुमायु के हाथ 1530 में दिल्ली की गद्दी आई तब 1533 में हुमायु ने दिनपनः नामक फोर्ट का निर्माण करवाया जो दिल्ली के छठवे शहर के रूप में उभर कर आया। हुमायु के राज में ये पूरी तरह से बन नहीं पाया था, जब शेर शाह सूरी ने 1540 में हुमायु को हराकर वहा की गद्दी को अपने नाम कर सुर वंश का गठन किया तभी उन्होन दिनपनाह फोर्ट का काम पुरा किया था। जिसे पुराना किला भी कहते हैं।

            बता दे की उस वक्त मुगलों का पावर सेंटर आगरा ही था। 1639 में शेरशाह सूरी ने मुगल साम्राज्य की राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट की और यहां एक शाहजहांनाबाद नाम का शहर बनाया जो दिल्ली का सातवा शहर था । इसी शहर को हम पुरानी दिल्ली के नाम से भी जाते हैं। जब तक मुगल साम्राज्य रहा शाहजहांनाबाद ही उसकी राजधानी रही।

            1739 में नादिर शाह ने मुगलो से दिल्ली का तख्त छीन लिया था और सालो तक वो अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली को खूब लूटा और याहा के लोगो को बहुत परशान भी किया।

            जब 1857 में अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता की प्रथम युद्ध को suppress किया तभी unhone भारत की राजधानी को दिल्ली से कलकत्ता कर दिया। उसके बाद 1911 में अंग्रेजों ने दोबारा दिल्ली को भारत कि राजधानी बना दिया और एक नए शहर लुटियन(lutyen) शहर का निर्माण किया। जिसको दिल्ली का आंठवा शहर भी कहते हैं जिसे हम नई दिल्ली के नाम से भी जानते हैं।

तो ये थी दिल्ली की महाभारत काल से ले कर आधुनिक काल तक की पूरी कहानी।

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