कैसे बना नेपाल इतना बड़ा हिन्दू राष्ट्र | How did Nepal become such a big Hindu nation?

Nepal become Hindu nation

आज हम आपको एक ऐसे देश की सैर पर लेके जाने वाले है जिसे स्वर्ग का टुकड़ा माना जाता है , ये देश एक ऐसा देश है जहाँ कभी भी विदेशियों का बोलबाला नहीं हुआ, साथ ही इस देश में मौजूद ऊँचे ऊँचे पहाड़ इस देश की सुंदरता में चार चाँद लगाते है, चार चाँद ही नहीं बल्कि यहाँ के ऊँचे पहाड़ तो इस देश की शान बने हुए है, वैसे अगर आप अभी भी इस देश को नहीं पहचान पाए है तो हम आपको बतादे यहाँ बात हो रही है भारत के पड़ोसी देश नेपाल की, जी हाँ वही नेपाल। जिसे हिन्दू राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। 

मन को लुभाने वाली हरियाली , दिल को छू जाने वाली आबो हवा , ऊँचे ऊँचे पहाड़ और इतिहास की याद दिलाने वाली एतिहासिक चीजों से भरा नेपाल देश एक ऐसा देश है जिसकी संस्कृति से लेकर हर एक चीज बेस्ट है  , हिमालय की गोद में बसा ये प्यारा से देश साउथ एशिया का सबसे पुराना देश माना जाता है, यही नहीं इस खूबसूरत देश को देवताओं के घर के नाम से भी जाना जाता है, यहां एक तरफ बर्फ से ढंकी हुईं पहाड़ियां हैं तो वहीँ दूसरी तरफ है एतिहासिक तीर्थस्थान, जो लोगों को अपनी ओर अट्रैक्ट करते है। वैसे जिस तरह ये देश हर जगह से दिलचस्प नज़र आता है।   

नेपाल ” नेपाल हिमालय में बसा हुआ एक बेहद ही खास देश है जिसे उसकी संस्कृति और ऊँचे ऊँचे पहाड़ों की वजह से जाना जाता है, यही नहीं इस देश में और भी बहुत सी ऐसी चीजे है जो इसे दुनिया के और देशों से अलग बनाती है, 147,181 square kilometer में बसा ये देश Area के हिसाब से दुनिया का 95वां सबसे बड़ा देश है और पापुलेशन के हिसाब से ये देश दुनिया का 49वां सबसे बड़ा देश है , ये देश लगभग 30.72 मिलियन लोगों का घर बाना हुआ है।        

नेपाल में अलग अलग तरह की सांस्कृतिक विरासतें मौजूद है , इस देश का नाम नेपाल भी वैदिक काल के रिकॉर्ड से ही लिया गया है , ये ही एक ऐसा देश है जहाँ अंतिम हिन्दू साम्राज्य था और तो और इस देश में बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम जी का अलग ही क्रेज आपको देखने को मिलेगा और वो दिखे भी क्यों न यार, गौतम बुद्ध जी का जन्म भी नेपाल में ही हुआ था जी हाँ साउथर्न नेपाल के लुंबिनी में। नेपाल एक multi-ethnic देश है जिसकी ऑफिसियल लैंग्वेज नेपाली है।  

नेपाल के काठमांडू का नाम तो अपने सुना ही होगा , ये इस देश की राजधानी है इसके साथ ही ये नेपाल का सबसे बड़ा शहर भी है , नेपाल के नार्थ में चीन का बॉर्डर है जबकि south, east और west में भारत का बॉर्डर है।  नेपाल देश में तिब्बतन , मुस्लिम , बुद्धिस्ट, और क्रिस्चियन लोग बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं वहीँ यहां आपको हिन्दू धर्म के लोग सबसे ज्याद देखने को मिलेंगे, वैसे यहाँ एक ख़ास बात और है वो ये कि नेपाली लोगों को गुरखा Gurkha के नाम से भी जाना जाता है क्योकि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर और सेकंड वर्ल्ड वॉर में उन्होंने जो वीरता दिखाई थी वो काबिले तारीफ़ थी उसीके चलते आज भी उन्हें जाना जाता है।       

ये तो हम सब जानते ही है की नेपाल देश हिमालय में बसा हुआ है और साथ ही ये देश दुनिया के सबसे ऊँचे पहाड़ों का भी घर है, जिनमे माउंट एवरेस्ट भी शामिल है जी हाँ वही माउंट एवरेस्ट जिस पर चढ़ने के लिए हज़ारों लोग जाया करते है, वहीँ हर दिल की तमन्ना ये होती है की एक बार यार इस पहाड़ के दर्शन हो जाएँ , वैसे नेपाल की हमारे देश के साथ यार बेहद अच्छी हमजोली है जिसके चलते हम बिना वीसा पासपोर्ट के इस देश के सुहाने मौसम, बर्फीले पहाड़ों  और हरियाली से भरपूर नज़ारों का मस्त लुफ्त उठा सकते है।     

इसके अलावा नेपाल देश की भारत और यूनाइटेड किंगडम के साथ अच्छी दोस्ती है, साथ ही ये देश  SAARC का founding member भी है, इसके अलावा ये देश यूनाइटेड किंगडम नेशन और Bimstec का भी मेंबर है और इस तरह से हर चीज में बेस्ट ये देश दुनिया के इम्पोर्टेन्ट देशों की गिनती में गिना जाता है।     

खैर यहाँ तक तो हमने नेपाल के बारे में ऑलमोस्ट सब कुछ जान लिया, अब आइये हम इसके इतिहास पर नज़र घुमाते है की आखिर क्या है इसका रहस्य और कैसे बना था ये सबसे बड़ा हिन्दू राष्ट्र?   

नेपाल के इतिहास के पन्नो को अगर खोला जाए तो ये देश हमे अशोक साम्रज्य का ही एक हिस्सा नज़र आएगा, असल में ये बात है तीसरी शताब्दी की जब नेपाल में अशोक साम्रज्य हुआ करता था ,इसके बाद आयी चौथी शताब्दी जब नेपाल ने सम्राट समुद्रगुप्त की सत्ता को अपना लिया था और इस तरह आठवीं शताब्दी के आते ही तिब्बत ने यहां पर हमला कर दिया और उसके बाद तिब्बत का ही यहाँ बोलबाला हो गया और इस तरह से इस देश में कई परेशानियां आई ,, तब नेपाल की हालत बत से बत्तर होती चली गई और ऐसे ही समय बीतते बीतते 11 वीं शताब्दी आ पहुंची और इस शताब्दी में ठाकुरी वंश का बोलबाला होने लगा और इस तरह काफी समय तक ठाकुरी वंश के राजा यहां राज्य करते रहे। 

इन सब के बाद इस देश में मल्ल वंश का उदय हुआ जिसके बाद यहाँ का नज़ारा पूरी तरह से बदल गया , मल्ल वंश के सबसे पॉपुलर शासक यक्षमल्ल जी ने लगभग 1426 BC से लेकर 1475 BC तक जमकर यहाँ राज्य किया और अपनी मृत्यु से पहले ही  यक्षमल्ल ने राज्य का बटवारां करने का फैसला ले लिया था उन्होंने अपने बेटों और बेटियों में राज्य का बटवारा कर दिया था जिसके चलते नेपाल को दो rival states में बांट दिया गया, जिसमे एक काठमांडू और दुसरा भातगांव हुआ लेकिन यहां मुसीबतें कम नहीं बल्कि बढ़ती जा रही थी, क्योकि यहाँ आपस में ही झगडे होना शुरू हो गए और इन झगड़ों का फ़ायदा उठाने के लिए दूर से ही एक जाती देश को निशाना बना रही थी।

असल में ये ट्राइब गोरखा थी, जो वेस्टर्न हिमालया से यहाँ पर नज़रें टिकाए हुए थी और उस जाती ने लड़ाई का फ़ायदा उठाते हुए अपनी आर्मी को पावरफुल बनाया और नेपाल में अपना अधिकार जमा लिया, जिसके बाद गोरखा जाती का ही बोलबाला होने लगा लेकिन यहाँ से नेपाल का नज़ारा बिलकुल ही अलग हो गया क्योकि गोरखा जाती ने न केवल यहाँ अपना अधिकार जमाया बल्कि अपनी आर्मी पॉवर को और भी ज़्यादा बढ़ाकर नेपाल को एक पॉवरफुल राज्य बना दिया।     

अब इस तरह नेपाल को पॉवरफुल बनाकर उन्होंने पैर फैलाना शुरू कर दिए ,19 वीं शताब्दी के आते आते उन्होने अपने राज्य की सीमा बढ़ाने का फैसला लिया और अपनी साउथ की सीमा बढ़ाकर ब्रिटिश भारत की नार्थ सीमा तक मिला दिया लेकिन उनके इस कारनामे की वजह से बड़ी लड़ाई छिड़ गई और 1814 से 1816 ईस्वी के बिच नेपाल और अंग्रेजों में जमकर युद्ध हुआ और इस खतरनाक युद्ध के  बाद दोनों में Treaty of Sugauli साइन की गई और इस ट्रीटी के अकॉर्डिंग नेपाल ने अपने राज्य के कुछ भाग ब्रिटिश सरकार को दिए , इस तरह से युद्ध की शांति हुई, इसी दौरान एक फ्लैग ट्रीटी भी हुई यानी ध्वज संधि, जिसके अकॉर्डिंग नेपाल में जो फॉरेन पालिसी थी वो उस समय की ब्रिटिश भारत की सरकार के द्वारा देखि जाती थी एक तरह से कण्ट्रोल की जाती थी और इस तरह से अभी परेशानियों का सामना करते हुए नेपाल एक आजाद देश ही बना रहा।    

इस तरह से काफी समय बिता जिसके बाद राजा महेंद्र सामने आये, ये समय था 1951 से 1960 का जब राजा महेंद्र पंचायत के सिस्टम को लेकर आए और इस तरह से नेपाल में Multiparty Democracy को डेवलप किया गया , इसके बाद साल 1990 में राजा महेंद्र के बेटे राजा बीरेंद्र ने parliamentary government को resume कर दिया, जिसके बाद करीब 10 सालों तक माओवादी उग्रवाद कम्युनिस्ट का सामना करना पड़ा और इस तरह से लगातार नेपाल में कई पोलीटिकल उथल पुथल चलती रही और साल 2008 के आते आते राज शाही का भी एन्ड हो गया , अब राजशाही का तो एन्ड हो ही गया था और तो नेपाल में अंग्रेजों के दौरान देखी गई उथल पुथल के चलते उस समय के शासको ने फैसला लिया क्यों न नेपाल को constitutional कंट्री बनाया जाए ??      

इसके बाद साल 2015 में हुई दूसरी statutory assembly में constitutional कंट्री के बारे में चर्चा की गई, जिसके बाद 20 सितंबर साल 2015 में ही नेपाल के लिए नया कोंस्टीटूशनल लागु किया गया, इस तरह नेपल के  कोंस्टीटूशनल में सभी सिटीजन्स को अपनी इच्छा से धर्म का पालन करने की आजादी दी गई जी हाँ इससे पहले एक मात्र नेपाल ही ऐसा देश था जो हिन्दू राष्ट्र था लेकिन साल 2015 में लागु किए गए संविधान के बाद से ये देश secular देश बन गया।   

वैसे आज भी जब नेपाल की पॉपुलेशन पर नज़र घुमाई जाए तो सभी धर्मो से ज्यादा नेपाल में हिन्दू धर्म को मानने वाले आपको मिलेंगे , यही नहीं आपको बतादे नेपाल में बहुत से ऐसे ग्रन्थ मौजूद है जो हाथ से लिखे गए है जिन्हे संस्कृत भाषा में लिखा गया है जिससे हम अनुमान लगा सकते है की पुराने समय में नेपाल में संस्कृत को काफी माना जाता था। 

इसके अलावा  अगर हम ग्रंथो के अकॉर्डिंग बात करे तो महाभारत में भी नेपाल के बारे में जिक्र किया गया है, जिसमे वहां के राजा कर्ण की जीत की चर्चा गई है , साथ ही आपको बतादे नेपाल को भारत का ही एक हिस्सा माना जाता था और इनका रिश्ता भी काफी पुराना है लेकिन ख़बरों के अनुसार दोनों के रिश्तों में फिलहाल गरमाहट चल रही है, हालांकि यह गर्भाहट कई बार नर्मियत में भी बदलता नजर आती है लेकिन समय-समय पर दोनों ही देश के बीच कुछ खींचतान भी देखने को मिलती है हालांकि दोनों के रिश्ते में नमी है या शक्ति यह कह पा रहा है थोड़ा मुश्किल है।

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