When Mughal robbed India | मुगलो ने भारत को कब कब लूटा?

when Mughal robbed India

          दोस्तो ये तो हम सब लोग जानते हैं की एक जमाने में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था यही वजह रही है की हमेंशा से बाहरी देश की भारत पर बुरी नजर रही है। पहले मुगलो ने भारत पर लगभग 200 साल तक राज किया और भारत को लूटते रहे और उसके बाद अंगरेजो ने कोई कसर नहीं छोड़ी भारत के बचे बचाए धन को लूटने में। तकरीबन 400 साल तक भारत का धन बहार वालो ने लुटा और भारत को इस कगार पर ला कर खड़ा कर दिया की भरता को इकोनॉमिकली बैलेंस होने के लिए बाहर के देश से उधार लेना पड़ा गया।

          भारत में पैसा तो बहुत था लेकिन मुगलों के राज में वो पैसा हमारा हो कर भी हमारा नहीं था। उस वक्त भारत की जीडीपी पूरे दुनिया में सबसे बड़ी जीडीपी हुआ करती थी लेकिन मुगलों के लूटपाट से भारत की जीडीपी लगातार गिरती चली गई। सावल तो ये है की उन लोगो ने इतने पैसे कैसे और कब कब लूटे? आज की वीडियो में हम इसी बारे में बात करेंगे तो वीडियो में लास्ट तक जरूर बने रहना और अगर चैनल को अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया तो प्लीज कर दे हम आगे भी ऐसी ही वीडियो ले कर आते रहेंगे।

          तो दोस्तो कहानी शुरू होती है बाबर से जिसने मुगल राज की स्थापना की थी। अब आप सोच रहे होंगे की बाबर आया कहा से था और वो था कौन जिसमे भारत में घुस कर उसे लूटने की हिम्मत हो गई। तो बता दे की बाबर उज़्बेकिस्तान(Uzbekistan ) का रहने वाला था। यही से बाबर नाम का वार लोड उठा और धीरे-धीरे बाबर ने आस पास के सभी क्षेत्रों को अपने कंट्रोल मे करना शुरू कर दिया और फिर ये भारत की तरफ बढ़ने लगा।

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          भारत आ कर बाबर ने सबसे पहले दिल्ली को अपने निशाने पे लिया और 21 अप्रैल 1526 को पानीपत युद्ध में lodi dynasty के आखिरी रूलर इब्राहिम लोदी( Ibrahim lodi) को हरा कर दिल्ली सल्तनत की गद्दी को अपने नाम किया। 

          दिल्ली को अपने कंट्रोल मे लेते ही वहा का सारा खजाना बाबर ने जप्त कर लिया और उसे लूटना भी शुरू कर दिया। दिल्ली की गद्दी पाने की खुशी में उसने सबसे पहले दिल्ली के लोगो में उड़ाना शुरू किया लेकिन दिल्ली के सभी लोगो में नहीं बल्कि सिर्फ मुस्लिम पर ही जो उसके समुदाये के थे। उसके बाद उसने हीरे, जवाहरत, खूब ढेर सारे पैसे, और ढेर सारे कीमती तौफे अपने उजबेकिस्तान के रिश्ते में उड़ा दिए ।

          ये सब उड़ाय हुए पैसे बाबर ने थोड़े ही कमाँये थे बल्की वो तों हमारे सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत का खज़ाना था। इसके अलावा उसे अपनी सेना, और प्रजा पर भी खूब पैसे उड़ाए और हर काबुल निवासी को एक एक चांदी के सिक्के दिए जिससे खुश हो कर प्रजा ने तो बाबर को कलंदर के टाइटल से ही नवाज दिया। इस्के अलावा बाबर ने धर्म के नाम पर भी खूब खरचे किए जैसे मक्का, मदीना, मकबरे, और मस्जिद को बनवाने में जिसमे कोई मामुली खरचा नहीं हुआ था। और ये पैसा भी भारत देश का ही था जो बाबर बेधड़क हो कर उड़ाया जा रहा था।

          पानीपत युद्ध के बाद बाबर ने खानवा का युद्ध, चंदेरी का युद्ध और घाघरा के युद्ध पर भी बड़ी जीत हासिल की और जीते हुए सारे छेत्रों की गद्दी को अपने नाम कर वहा का सारा धन ज़प्त कर लिया। अपनी जिंदगी के चार बड़े युद्ध मे जीत हासिल करने के बाद 26 दिसंबर 1530 में बाबर की मृत्यु हो गई।

          लिटरेली बाबर ने जो हड़पा था उसे  वो कभी बहुत एन्जॉय नहीं कर पाया लेकिन उसने भारत में मुगल वंश की नीव रख दी थी जिस्के सदियो बाद तक उनका राज चलता रहा। मुगलो के आने के पहले जहां भारत की जीडीपी 28.9% थी वही बाबर के आने के बाद मात्र चार सालो में जीडीपी 24.5% पर पहुच गई। लेकिन असल मायने मे कहानी तो अभी शुरू ही हुई थी।

          दोस्तो आप ने बाबर के पोते अकबर का नाम तो जरूर सुना होगा। मुग़ल राज में अकबर ही एक मातृ ऐसे राजा थे जिन्होने प्रजा को अपना समझ कर उनके लिए ढेरो अच्छे काम किए जैसे सती प्रथा का खात्मा करना, विधवाओं की शादी कर के उन्हे एक अच्छी जिंदगी देना और भी बहुत से अच्छे काम उन्होंने किये। लेकिन ऐसा नहीं है की अकबर ने भारत को लूटने में कोई भी कसर छोड़ी हो।

          जहां अकबर ने हिंदुओं के तीर्थस्थान पर जाने के लिए लगने वाले टैक्स को माफ किया वही उन्होंने मुसलमानों के तीर्थ स्थान पर जाने के लिए भी लगने वाले टैक्स पर रोक तो लगायी लेकिन वो मक्का जाने वाले टूरिस्टस के लिए 6 लाख रुपये तक डोनेट भी करते थे। उस वक्त 6 लाख रुपये की बहुत ज्यादा कीमत हुआ करती थी और आप इस बात का अंदाज ऐसे लगा सकते है कि उस वक्त एक नाई की पर मिंथ सैलरी मात्र 50 पैसे ही हुआ करती थी। इसके अलावा अकबर ने अपने शान-ओ-शौकत में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उनका रहन सेहेन एक दम नवाबो से भी कहीं ज्यादा था जिसमे बहुत से पैसे खर्च होते थे।

          याहा तक बात करे उनके बेगामो की तो हर साल अकबर की बेगमे ही लगभग 10 लाख तक लुटाया करती थी। इसके अलावा अकबर उस वक्त के सारे पुराने किलो को गिरवा कर उन्हे वापस से बनवाया था। अब आप अंदाजा लगा ही सकते है कि जहां आज एक छोटा सा घर बनाने में इतने पैसे खर्च हो जाते हैं तो उस वक़्त उन किलो को बनवाने मे कितना खर्चा आया होगा। उसके बाद अकबर ने फतेहपुर सीकरी कंस्ट्रक्शन भी शुरू करवाया था जिसमे अलग से पैसे खर्च हुए थे। वही बात की जाए अकबर के बेटे जहांगीर की तो जहांगीर द्वारा कयी बार राजधानी बदले जाने के कारण भारत का बहुत पैसा बेफ़िज़ूल बहाया गया था ।

          Well अगर बात मुगलो के पैसे उड़ाने की हो रही तो हम ताजमहल को कैसे भूल सकते हैं, जिसे शाहजहां ने अपनी खास बेगम मुमताज बेगम की याद में बनवाया था। ताजमहल 22 सालो में बन कर तैय्यार हुआ था जिसे 20 हजार मजदुरो ने मिल कर बनाया था। और आप हैरान हो जाएंगे जब आप ताजमहल को बनाने की कीमत सुनेंगे तों । बता दे की ताजमहल को बनाने में उस वक़्त पूरे 3.2 करोड़ रूपए खर्च हुए थे।

          जहां की आम जनता एक रोटी के टुकड़े की मोहताज थी और जहां के नाई की एक माहिने की सैलरी 50 पैसे हुआ करती थी वहा लाखो करोड़ो रुपये यू ही बरबाद किये जा रहे थे। इसके अलावा बात् करे 1628 की जब शाहजहा ने परशियन नौरोज़ के लिए बड़ा उत्सव रखा गया था उस दौरान शाहजहां ने अपनी खास बेगम मुमताज को 50 लाख रुपए दिए थे वही बेटी जहांआरा को 20 लाख रुपए दिए थे। मतलब पानी की तरह पैसे बहाये जा रहे थे।

          और ये तों कुछ भी नहीं बात करे अगर शाहजाहा के पीकॉक थ्रोन की तो आप को बता दे की इसमे 1150 किलो सोना और 230 किलो कीमती स्टोन जड़े हुए थे। इस तख्त में शाही कोहिनूर भी जड़ा हुआ था। आप को बता दे की इस पीकॉक थ्रोन की किमत पूरे 1 करोड़ थी जिसकी कीमत आज 5.5 अरब है। वेल दोस्तो अब आप ही बताओ की एक सिन्हासन में इतने सोने और स्टोन्स की क्या ज़रुरत? अपने व्यूज हमें कमैंट्स कर ज़रूर बताये।

          वेल एक रिपोर्ट के मुताबिक ये भी सामने आया है की शाहजहा के राज में पूरे साल के रेवेन्यू का 36.5%, 68 राजकुमारों को उड़ाने के लिए दिया जाता था वही 25%, 587 मिनिस्टर्स को, और इस्के बाद जो बचता था वो करोड़ो आवाम में जाता था। यानी प्रजा को रोटी मिले या न मिले उसकी कोई भी फिकर मुगलो को नहीं थी। इसके अलवा औरंगजेब का नाम तो आप ने सुना ही होगा जिसे मुगल राज का सबसे क्रूर राजा भी कहा जाता था।

          अगर उनकी बात की जाए तो उन्होंने कई मुस्लिम देशों में 70 लाख रुपये तक भेजवाये जो उन देशों के रेवेन्यू का दोगुना थी। इस्के अलवा इन्होंने परशिया के राजकुमारो पर भी लगभग 30 लाख रूपए पानी की तरह बिना सोचे समझे बहा दिए जिस्का कोई भी हिसाब नहीं था।

          पैसा लुटाने के अलावा में मुगलो ने कुछ भी नहीं किया है, वेल आप का इस बारे में क्या सोचना है हमें कमेंट कर जरूर बताएं।

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