Bharat ko Sone ki Chidiya Kyo Kaha Jata Hai – भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता है

bharat ko sone ki chidiya kyo kaha jata hai

           जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा ऐसा देश है मेरा, ऐसा देश है मेरा।

गाना सुन कर क्या आपको कुछ याद आया??, जी ज़रूर आया होगा, की कभी हमारा भारत सच में सोने की चिड़िया हुआ करता था, जहा न कीमत चुकाने वालो की कमी थी और न ही दाम लगाने वालो की, पर आज भी भारत के ही कई लोग इस बात को केवल एक बनावटी अफवाह मानते है, क्यों? क्युकी अभी वे भारत के असल इतिहास से परिचित नहीं है। आएये जानते है कि (Bharat ko Sone ki Chidiya Kyo Kaha Jata Hai) भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता है?

            सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत आखिर कैसे वीरान हुआ?? इन सवालों के जवाब के साथ साथ कुछ बेहद रोचक जानकारियां देंगे, तो वीडियो को लास्ट तक देखना मत भूलिएगा, चलिए फिर बिना और कोई देर किए लेके चलते है आपको आधुनिक काल के भारत से और मिलवाते है उसकी सोने की खान से।

            दोस्तो मौर्य साम्राज्य के दौरान भारत धीरे-धीरे समृद्ध होने लगा, क्यों कि मौर्य साम्राज्य के राजाओं ने भारत पर अकल्पनीय शासन किया और गुप्त साम्राज्य के आते-आते भारत विश्व का सबसे समृद्ध देश बन गया था। प्राचीन भारत ग्लोबल बिज़नेस का का सेंट्रल प्वाइंट और दुनिया का सबसे विकसित देश था। इसलिए भारत को पहली शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी तक इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। प्राचीन समय में भारत मसालों के व्यापार में विश्व का सबसे बड़ा देश था। वर्ल्ड के टोटल प्रोडक्शन का 43% प्रोडक्शन अकेले भारत करता था।

            उस समय वर्ल्ड की टोटल में 27% हिस्सा भारत का होता था, जिसमे भारत के घर-घर में कपास से सूत बनाने का काम यानी के कॉटन प्लांट से लोगो के पहनावे के लिए की गई कॉटन क्लॉथ की रचना और लोहे के औजार बनाए जाते थे। इसके अलावा भारत ही वह देश था जिसने लेन देन की प्रक्रिया शुरू की को पहले बार्टर सिस्टम (Barter System) के नाम से जाना जाता था बाद में क्वालिटी के बेसिस पर इसे आयात निर्यात यानी (Export, Import) नाम से जाना जाने लगा और भारत एक्सपर्ट में दुनिया के कोने कोने में कपास, चावल, गेंहूँ, चीनी और मसालों में मुख्य रूप से हल्दी, काली मिर्च, दाल चीनी, जटामांसी आदि का निर्यात करता था। इसके अलावा आलू, नील, तिल का तेल, हीरे, नीलमणि, रेशम, चर्म पत्र यानी भेड़, बकरी आदि के सूखे चमड़े से बना लेखन पत्र, शराब और धातु उत्पादन जैसे- ज्वेलरी, चाँदी के बनी वस्तुएं भी निर्यात की जाती थी।

            भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण हुआ करता था, वो मोर सिंहासन(PeaCock Throne)था।  इस सिंहासन की अपनी एक अलग ही पहचान हुआ करती थी। कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जो धन इस पर लगाया गया था, उतने धन में दो ताज महल बनाए जा  सकते थे। मोर सिंहासन को 17 वीं शताब्दी में शाहजहां(Shahjaha) द्वारा बनवाना शुरू किया गया था। इस सिंहासन को बनवाने के लिए शाहजहां ने अच्छी खासी रकम खर्च करने के साथ इसमें करीब एक हजार किलो सोने का प्रयोग भी किया गया था।

            सिर्फ मोर सिंहासन ही नही भारत के पास ऐसी अनगिनत चीजे थी जिनपर लुटेरों की नज़र होना स्वाभाविक था और उन्ही चीज़ों की गिनती में दूसरे नंबर पर था कोहिनूर हीरा। राजा महाराजाओं की गद्दी की शान बढ़ाते बढ़ाते महाराज रंजीत सिंह(Ranjit Singh) भारत वे आखरी शासक थे जिनके पास यह हीरा निगरानी के लिए पहुंचा, महाराज रंजीत सिंह भारत के एक प्रिय घोड़े का नाम भी कोहिनूर था। राजा रंजीत सिंह ने अपनी वसीयत में कोहिनूर हीरे को उनकी मृत्यु के बाद जगन्नाथपूरी (Jagannath Puri Orissa, India) के मंदिर में देने की बात कही, परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) ने उनकी वसीयत नहीं मानी। कोहिनूर हीरा भारत में राजा रंजीत सिंह की निगरानी में कई दिनों तक सुरक्षित रहा।

             परंतु 1849 में ब्रिटिश फोर्स द्वारा पंजाब जीतने पर सिक्ख शासक रंजीत सिंह की सारी संपत्ति को ब्रिटिश सरकार ने अपने कब्जे में कर लिया। इसके बाद बेशकीमती कोहिनूर को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके और बाकी सिक्ख शासक की संपत्ति  को लड़ाई के मुआवजे के तौर पर रख लिया गया। जुलाई 1850 में इस बेशकीमती, जगमगाते हुए हीरे को इंग्लैंड (England) की महारानी विक्टोरिया(Queen Victoria) के सौंप दिया गया। 

            भारत की अमीरी का असल प्रमाण था उसके मंदिरो को मात्र चढ़ावे के नाम पर कुंटलो की मात्रा में चढ़ा खरा सोना, देवी देवताओं और पूजा पाठ में अपनी अलग छवि बनाने के लिए भारत हमेशा से ही दुनिया के लिए एक सेंटर ऑफ अट्रैक्शन की जगह थी, और प्राचीन काल में हिंदू व्यवस्था की नीव में हर राजा का अपना एक अलग योगदान था, किसी ने सोने का मंदिर ही बनवा डाला तो किसी ने महल जैसे मंदिर को बनवाकर उसे सोने के तहखाने में बदल दिया, ये प्रमाण पूरी तरीके से दर्शाते है की भारत अपने प्राचीन समय में कितना शक्तिशाली और अमीर देश था पर अब आते है वीडियो के दूसरे पड़ाव पर की आखिर कैसे वीरान हुई ये सोने की चिड़िया?? और कैसे भारत की आधारशिला और सोने को खंड खंड में बाट कर लुटेरे अपने देश ले गए?? 

और पढ़ें- भारत-पाक सीमा रेखा की सुरक्षा पर भारत हर साल कितना खर्च करता है?

            7वीं सदी के बाद से बाहरियों ने भारत पर आक्रमण किए और लूट यह सिलसिला 18वीं सदी के अंत तक चला, सांतवीं सदी के बाद से भारत में बाहरी लोगो के आक्रमण शुरू हो गए थे। जिसमें पुर्तगाली(Portuguese), डच(Dutch) तुर्क(Turkish), अरबी(Arabs), इस्लामिक(Islamic), अफगानी(Afghanis), और आखिरी में अंग्रेज(British) शामिल थे पर 1000 वर्षों के मुगलों और अन्य आक्रमणकारी शासकों के शासनकाल के बाद भी वर्ल्ड की GDP में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान करीब 25% था।

            मुगलों ने जब 1526 से लेकर 1793 के बीच भारत में शासन किया उस समय भारत की आय 17.5 मिलियन पाउंड थी। मुगलों के शासन के पहले भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। उस समय की भारत की अर्थव्यवस्था की बात करे तो सन 1500 के आसपास दुनिया की आय में भारत की हिस्सेदारी 24.5% थी जो कि पूरे यूरोप के आय के बराबर थी और इसके बाद अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया।

            अंग्रेजों ने भारत की इस अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया, क्योंकि जब अंग्रेज भारत को छोड़कर गए तब भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान केवल 2-3% रह गया था। अंग्रेजों ने भारत को इस हद तक लूट लिया था कि यह आंकड़ा 25% से 2-3% में आ गया था।

            हालांकि दुनिया चाह कर भी इस सच को नही नकार सकती की 200 साल की गुलामी की बाद भी आज़ादी की मात्र 74 साल बाद भारत आज जिस पायदान पर खड़ा है, वहा पहुंचना किसी पहाड़ को तोड़ रास्ता बनाने जितनी अचंभित बात है। और ये सिर्फ पुराने समय की बात नही है, आज की तारीख में भी भारत के मंदिर इतने सोने चांदी से भरे है की अगर उनके दानपात्र के तले तोड़ दिए जाए तो भारत आज भी अमीरी के मामले में दुनिया को पीछे छोड़ देगा।

            वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) का मानना है कि भारत के पास अभी भी 22000 टन सोना है, जिसमें से  3000-4000 टन सोना भारत के मंदिरों में है। एक अनुमान के मुताबिक़ भारत के 13 मंदिरों के पास भारत के सभी अरबपतियों से भी ज्यादा धन है। वैसे क्या आपको मालूम है की दुनिया में कुल जितना भी सोना है, उसका 11% तो सिर्फ भारत की गृहणियों की तिजोरी में पाया जाता है, और यहां आप एक प्वाइंट और भी एड कर सकते है की भारत ही वो देश है जहा की मैक्सिमम आबादी आज भी गोल्ड में इन्वेस्ट करती है, जो की जीता जागता प्रमाण देता है की, कि भारत कल भी सोने की चिड़िया था और आज भी है।

admin

admin