Biography of Aryabhatta | आर्यभट्ट का जीवन परिचय

Biography of Aryabhatta

Biography of Aryabhatta

                 आर्यभट्ट का नाम  तो आप ने सुना ही होगा। जी हा हम उन्ही आर्यभट्ट की बात कर रहे हैं जो 0 (शून्य) की आविष्कार के लिए पूरे दुनिया में जाने जाते हैं। आर्यभट्ट एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री, गणितज्ञ और शिक्षक थे। आप को बता दे की आर्यभट्ट ने ना केवल शून्य का आविष्कार किया बल्कि उन्होन पूरी गणित को हिला कर रख दिया। उन्होनें जीरो के अलावा और गणित को बहुत से बड़े योगदान दिए हैं।

                 हम ये भी कह सकते हैं की आर्यभट्ट ही वो शख्स थे जिन्होंने मैथ्स में जान डाली थी। लेकिन जब अंग्रेज भारत आए तो उन लोगो ने पूरी दुनिया में ढिंढोरा बाजा दिया की गणित उन्होनें दी है लेकिन झूठ तो झूठ ही होता है। आर्यभट्ट के नाम पर पहली सैटेलाइट भी लॉन्च हुई थी, ऐसे में आर्यभट्ट को काई मयिनो में ट्रिब्यूट दिया जाता है। पूरी दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो आर्यभट्ट के बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं।

                 इसिलिए आज की वीडियो में हम उनके जिंदगी के बारे में विस्तार से बात करेंगे तो वीडियो में आखिरी तक जरूर बने रहिएगा और अगर आप ने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं  किया तो प्लीज कर दे हम आगे भी ऐसी ही वीडियो ले कर आते रहेंगे। तो चलिये वीडियो को शुरू करते हैं।

                 आर्यभट्ट के जन्म के मामले में बहुत से मत सामने आते हैं। किसी का कहना है की आर्यभट्ट का जन्म 476 CE में पटना के कुसुमापुरा में हुआ था और  550 CE में उनकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन वही दुसरी तारफ ये भी कहा जाता है की आर्यभट्ट नर्मदा और गोदावरी नदी के बीच की जगह जो अश्मक नाम से जानी जाति थी वहा पर हुआ था। इसके अलावा अगर बात करे इनकी शिक्षा का तो आर्यभट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। इसके बाद  इसी यूनिवर्सिटी में ये हेड बने रहे और वही पर उनकी प्रयोगशाला भी थी जहां वो पढ़ते थे और अपने सारे रिसर्च भी करते थे।

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                 आर्यभट्ट ने बहुत से योगदान दिए लेकिन उनमे से आर्यभटिया नाम की जो किताब लिखी थी वो एक दम हैरान कर देने वाली थी। जब उन्होंने ये किताब तैय्यर की थी तब इनकी उमर मेहज 23 साल की थी। मात्र 23 साल की उमर में ही उन्होंने पूरे सोलर सिस्टम की gutthiyan सुलझा कर रख दी थी। उस दौर में जब आर्यभट्ट ने किताब को तैय्यर किया उस वक्त तकनीक के नाम पर कुछ भी नहीं था न कंप्यूटर था न टेलीस्कोप था न कुछ लेकिन फिर भी उन्होंने इतना कुछ बताया की सौर प्रणाली में सूरज मौजूद है और वो वहां स्थिर है, पृथ्वी उसके इर्द गिर्द घूमती है और वो अपने axis पर भी घूमती है।

                 इसके अलावा उन्होंने पृथ्वी और सूरज के बीच की दूर भी बतायी थी, उन्होंने पृथ्वी के रोटेशन का समय भी बताया था।ये सारी चीजो की गणना उन्होंने कर दी थी। इसके अलावा दोस्तों आज के टाइम पे जो मैथ्स हमें मॉडर्न स्कूल में पढाई जाति है जैसे त्रिकोणमिति, (trigonometry),अंकगणित, बीजगणित, द्विघात समीकरण, एपी, जीपी, ज्यामिति इन सब का स्पष्टीकरण हमें आर्यभटीय में मिलता है।

                 इसके अलावा सबसे हैरान कर देने वाली बात तो ये है की जैसा कहा जाता है की आर्यभट्ट ने सभी चीजो का एकदम सटीक मूल्य दिया था तो वो सारे मूल्यों को उन्होंने आर्यभटिया में संस्कृत कोड की मदद से उल्लेख किया। उन्होंने किसी भी तरह के संख्यात्मक मूल्य की मदद नहीं ली थी।

                 आर्यभट्ट के कई वर्क्स खो भी गए हैं। अब जाहिर सी बात है आज से 1600 साल पहले जिस किताब को तैय्यर किया था उसे इतने सालो तक रखना बहुत मुश्किल है। अगर बात करे इनके दूसरे किताब की तो उसका नाम था आर्य-सिद्धांत। इस किताब के भी कई सारे works खो चुके हैं। मूल रूप से ये किताब खगोल विज्ञान पर आधारित थी। इसके अलावा इनकी तीसरी किताब भी थी जिसका नाम है अल-नंफ। ये किताब आर्यभट्ट के एक अनुवाद के रूप में दावा करता है, लेकिन इसका संस्कृत नाम अज्ञात है।

                 आर्यभट्ट की इन तीनो किताब में से आर्यभटीय किताब सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। अगर आर्यभटीय किताब के बारे में आगे बात करे तो ये किताब को 4 पाठ में विभाजित किया गया है जिसमे कुल 108 versus पाए जाते हैं। इसके हर एक versus को बड़ी गहराई से लिखा गया है और उसका हार एक versus एक पूरे विषय से जुड़ा हुआ है।

                 किताब का सबसे पहला पाठ गीतिका पद कहलाता है जिसमे टोटल 13 versus मौजूद है। इस लेसन में टाइम से रिलेटेड जितनी भी थ्योरी है वो बतायी गई है। जैसे युगो के बारे में,ग्रहों की परिक्रमा के अवधि के बारे में और भी बहुत कुछ।

                 इसके बाद बात आती है गणितपद की। इसमे टोटल 33 versus पाए जाते हैं। जैसा कि इसका नाम है इसमें  हमें गणित के सारे सिद्धांत मिल जाते हैं। जैसे त्रिकोणमिति, क्षेत्रमिति, अंकगणित, बीजगणित, द्विघात समीकरण, एपी, जीपी, ज्यामिति वो सब का स्पष्टीकरण हमें इस लेसन में मिलते हैं।

                 इसके बाद तीसरा पाठ आता है कलाक्रियापद। क्या सबक मुझे अच्छा लगता है कुल 25 बनाम मिलते है। मूल रूप से सबक मुझे समय की विभिन्न इकाइयों जैसे विषयों के स्पष्टीकरण मिलते हैं जैसे ग्रहों की स्थिति के नंगे मुझे, ग्रहण के बारे मे और क्रांति और रोटेशन की गति की अवधि को कवर किया गया है।

                 उसके बाद बारी आती है किताब के आखिरी सबक की जिस्का नाम है गोलापदा । इसमे त्रिकोणमिति, ज्योमेट्री के साथ साथ शेप ऑफ अर्थ जैसे विषयों का विवरण देखने को मिला है। इस्के अलवा इज लेसन मी हम एस्ट्रोनॉमी के टॉपिक्स जैसे राशि चिन्हों के नंगे में भी स्पष्टीकरण देखने को मिला है।

                 सभी उल्लेखो में इनका सबसे अच्छा उल्लेख त्रिकोणमिति का माना जाता है जो आज के गणित का 50% विषय अकेले ही कैप्चर कर लेता है। इनहोन ट्रिग्नोमेट्री की पूरी टेबल का अविष्कार कर दिया था।

                 इसके अलावा ये तो हर कोई जानता ही है की आर्यभट्ट ने 0 की खोज की थी। इसके अलवा इन्होने प्लेस वैल्यू सिस्टम-वन्स, दहाई, सौ, हजार इन सब की भी खोज की थी। इसके बाद अगर बात करे इनके और भी आविष्कार की तो इन्होने पाई की वैल्यू भी दी थी। वो भी approx value नहीं बल्कि एक दम सटीक 5 महत्वपूर्ण संख्याएं की मूल्य में खोज कर अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है।

                 इन्होने एरिया ऑफ़ circle भी find करना  बता दिया था jaise पाई को सर्कल के रेडियस के स्क्वायर से गुणा करेंगे और सर्कल का क्षेत्रफल निकल जाएगा। इसके बाद इन्होने त्रिभुज के एरिया का भी फार्मूला बता  दिया था। इसके बाद इनहोन इक्वेशन्स को इंट्रोड्यूस किया जिससे हम बड़े बड़े प्रॉब्लम्स को ग्राफ के थ्रू सॉल्व कर लेते हैं। इसके बाद इन्होने एस्ट्रोनॉमी, हेलियोसेंट्रिज्म की जितनी भी थ्योरी इंट्रोड्यूस की वो सब एक दम हिला कर रख देने वाली थी।

आप देख सकते हैं की मात्र 23 साल की उमर में ही जीनियस आर्यभट्ट ने सब कुछ बता दिया।

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