How Much India Spend on Indo-Pak Border line security every year

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            हर देश के लिए अपनी सुरक्षा करना उतना ही जरूरी होता है, जितना अपनी आबादी को बाकी बुनियादी सुविधाएं मुहैया करना। दुनिया का हर देश अपनी सुरक्षा Internal aur External दोनों ही मोर्चे पर करता है। सीमाओं की सुरक्षा (Border Security) के लिए थलसेना(Army), नौसेना(Navy) और वायुसेना(Airforce) तैनात रहती है, तो वहीं आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस को तैनात किया जाता है। सुरक्षा की एक कीमत होती है और देशों को रक्षा के लिए अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसके लिए हर देश अपना रक्षा बजट निर्धारित करता है।

            हेलो दोस्तो स्वागत है आपका आज के इस वीडियो में दोस्तो जैसा की आप सब जानते है की भारत के अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ ताल्लुकात बहुत अच्छे नही और अब उसकी चीन के साथ भी शान्ति भंग हो चली है ऐसे में आज हम आपको इस वीडियो में बताएंगे की इतनी प्रेशर की स्तिथि में भारत कैसे दुनिया का तीसरा सबसे ताकतवर सैन्यबल बना, तो वीडियो को लास्ट तक देखना मत भूलिएगा, चलिए फिर बिना किसी देरोंके वीडियो को शुरू करते है।

           दोस्तो स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute, SIPRI) पूरी दुनिया के सैन्य बजट(Military Budget) से लेकर रक्षा के बदलते तौर-तरीकों पर नजर रखता है, उसके मुताबिक साल 2019 में पूरी दुनिया का रक्षा बजट 1917 अरब डॉलर था। ये अपने पिछले साल के मुकाबले 3.6% ज्यादा था। भारत रक्षा बजट के मामले में दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल है। SIPRI की सूची के मुताबिक, टॉप 5 देश अपने रक्षा बजट पर जितना पैसा खर्च करते हैं, वो पूरी दुनिया के सैन्य बजट का लगभग 62 फीसदी है। ऐसे में 

            भारत रक्षा बजट के मामले में तीसरे स्थान पर है। इसका रक्षा बजट 71.1 बिलियन डॉलर(Billion Dollar) का रहा। पाकिस्तान(Pakistan) और चीन (China) से निपटने के लिए भारत अपनी जीडीपी(GDP) का 2.4% रक्षा पर खर्च करता है। भारत को अपनी पूर्वी और पश्चिमी (Eastern and Western) सीमा दोनों की रक्षा करनी होती है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी एक Annual Report में कहा कि पिछले साल भारत के पास संयुक्त राज्य अमेरिका (America) और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बजट था। भारत का 71 अरब डॉलर का सैन्य खर्च उसके 2018 के खर्च से 6.8% ज़्यादा था। सैन्य बजट में 1990 से 2019 तक 30 साल की पीरियड में 259% और 2010-19 दशक में 37% की बढ़िया  बढौतरी हुई।

                हालाँकि, जीडीपी के कंटेक्स्ट में, नई दिल्ली का सैन्य बोझ 2010 में 2.7 प्रतिशत से गिरकर 2019 में 2.4 प्रतिशत हो गया, Trends in World Military Expenditure, 2019″ रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के तनाव और कंपीटिशन इसके बढ़े हुए सैन्य खर्च के प्रमुख कारणों में से हैं। कुछ सालो की पहले की रिर्पोट के अनुसार ये खबर थी की केंद्र सरकार भारत-पाकिस्तान समेत बांग्लादेश सीमाओं पर मौजूद बाड़ (Fencing) को बदलने जा रही है। इसके बदले अब ज्यादा प्रभावी एंटी-कट फेंसिंग का प्रोयग किया जाएगा। बीएसएफ (Border Security Force- BSF) सूत्रों ने बताया कि कई खंड़ों (Patches) को बदला जा चुका है और अब सिर्फ एंटी-कट फेंसिंग ही यहां लगाई जाएंगी।

                 सूत्रों के मुताबिक 7.18 किलोमीटर की फेंसिंग लगा दी गई है, जिसकी कीमत 14,30,44,000 है। इसका मतलब एक किलोमीटर फेंसिंग की कीमत लगभग 1.99 करोड़ है। बीएसएफ के मुताबिक सरकार पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमाओं पर मौजूद फेंसिंग को ज्यादा प्रभावशाली फेंसिंग में तब्दील करने का काम कर रही है। अब यहां सिर्फ एंटी-कट फेंसिंग का उपयोग किया जाएगा।

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                  पायलट प्रोजेक्ट(Pilot Project) के तौर पर सिलचार सेक्टर(Silchar Sector) के लाठीटीला(Lathiteela) में    नई फेंसिंग लगाई गई हैं जबकि कुछ खंड़ों में इसका काम अभी चल रहा है। सूत्रों का दावा था कि सीमाओं पर मौजूद कुछ खंड़ों में जो फेंसिंग लगी हैं वो इतनी पुरानी हैं कि उनके जरिए भारतीय सीमा में घुसना बहुत आसान है। जहां पर कमजोर फेंसिंग लगी थी वहीं अहतियात के तौर पर  अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने दो पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत करीब 71 किलोमीटर की दूरी कवर की है, जिसमें 10 किलोमीटर क्षेत्र भारत-पाकिस्तान सीमा और 61 किलोमीटर क्षेत्र भारत-बांग्लादेश सीमा का कवर किया गया है। जिसके बाद सरकार स्टेज-2 और स्टेज-3 के अंतर्गत कुल 1955 किलोमीटर की दूरी एंटी-कट फेंसिंग के जरिए कवर करने की तैयारी में है।

                व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (Comprehensive Integrated Border Management System- CIBMS) परियोजना में सीमा पार अपराधों का पता लगाने और नियंत्रित करने, अवैध घुसपैठ, तस्करी के सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद जैसे बीएसएफ की क्षमता में काफी सुधार होगा। महाद्वीप पर चीन का बढ़ता दबदबा, समुद्री क्षेत्र में  पाकिस्तान की नकारात्मक गतिविधियां और अस्थिर अफ़ग़ानिस्तान के साथ, भारत के लिए खुद को सुरक्षित रखना और सुरक्षा वातावरण बनाए रखना एक जटिल प्रयास है. यह बजट, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है और हाल के वर्षों की उपलब्धियों और आगे बढ़ने का वादा करता है।

                   वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में डोमेस्टिक डिफेंस इंडस्ट्री को प्राथमिकता और अनुसंधान व विकास को मज़बूत करने की ज़रूरत का बात करते हुए रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का बढ़ावा देने का काम किया है।  पिछले कुछ बजटों में रक्षा क्षेत्र सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। सरकार ने लगातार इस क्षेत्र में बजटीय आवंटन के सबसे बड़े हिस्से 13 to14% को खर्च किया है। इस साल भी यही स्थिति है, जिसमें 525,166 करोड़ रुपये रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence, MoD) को आवंटित किए गए हैं।

             यह 46,970 करोड़ रुपये या पिछले वर्ष के 478,196 करोड़ रुपये के आवंटन से 10% अधिक है और हाल के वर्षों में रक्षा बजट में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है।

             बजट में यह बढ़ोतरी कई सुरक्षा घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में हुई है। पूर्वी लद्दाख(Eastern Ladakh) में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army, PLA) के साथ सीमा पर आमना-सामना जो साल 2020 के मिड में शुरू हुआ था अब गतिरोध का रूप ले चुका है। इस मुद्दे पर ताज़ा दौर की बातचीत में बेहद कम प्रगति हुई है। इस बात के पूरे संकेत हैं कि यह गतिरोध लंबे समय तक चल सकता है। इसलिए, भारतीय सेना को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मज़बूत करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीएलए वास्तविक नियंत्रण रेखा(Line Of Actual Control,LAC) पर आगे बढ़ने का दुस्साहस न कर सके।

                कश्मीर में, इस बात के संकेत हैं कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह अपनी गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की जीत एक कैटलिस्ट के रूप में काम कर रही है। इन गतिविधियों ने यह ज़रूरी कर दिया है कि भारत को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।

लेकिन इस सब की background में मोदी सरकार की ओर से सैन्य सुधारों और डिफेंस इंडस्ट्रिसेशन के लिए लगातार किया जा रहा काम भी है। पिछले अक्टूबर में, सरकार ने आयुध निर्माण बोर्डों यानी ओएफबी (Ordnance Factory Boards, OFB) को सात नई रक्षा क्षेत्र से जुड़ी पब्लिक यूनिट्स के रूप में reorganise किया।

                आयुध निर्माण बोर्ड के पेंडिंग इनकॉरपोरेशन को हासिल करने के बाद, सरकार हथियारों, गोला-बारूद, armored vehicles और कपड़ों के प्रोडक्शन में एफिशिएंसी हासिल करने की उम्मीद कर रही है। इससे डिफेंस एक्सपोर्ट को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। फिलीपींस (Philippines) को ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल(Brahmos Cruise Missile) प्रणाली बेचने के लिए हाल ही में 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण रहा है। इस कॉन्टेक्स्ट में रक्षा बजट का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

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