Indian Gurukul vs Modern School System | भारतीय गुरुकुल बनाम आधुनिक स्कूल प्रणाली

Indian Gurukul vs Modern School System

            आज कल हर जगह मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम का बोल बाला है लेकिन आप को बता दे की पहले के जमाने में मॉडर्न एजुकेशन नहीं बल्की गुरुकुल हुआ करते थे। लेकिन मुगलों और अंग्रेजों की वजह से आज गुरुकुल एकदम लुप्‍त सा हो गया है।

Concept

            अगर बात करे आज के मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम की तो उसमें हम विज्ञान और तकनीक की चीजो के बारे में पढते हैं। जो आज के समय की वास्तविक आवश्यकता बन गई है क्यू की दिन प्रतिदिन हमारी सोसायटी और हमारे आस पास के लोग बहुत तेजी से hi-tech बनते जा रहे हैं। वही बात करे अगर गुरुकुल के बेसिक कॉन्सेप्ट की तो जब हमारे भारत में सिर्फ गुरुकुल हुआ करता था और सब वही पढने जाया करते थे तब हम सोशल प्रैक्टिस, अध्यात्म और हिंदू धर्म से संबंधित चीज़े जैसे वैदिक  चीज़ें पढ़ाई और बताई जाती थी । इसके अलावा उस वक्त हमें manners और values के बारे में भी बताया जाता था जो हमारे survival के लिए आज भी बहुत जरूरी है।

Subjects

            वही बात करे अगर विषयों की तो जहां गुरुकुल में खगोल विज्ञान, चिकित्सा, नैतिकता, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, जीवन कौशल और गणित जैसे विषयों को पढ़ाया जाता था ताकि वो लोग हमें उस दुनिया में एक राजा, प्रशासक योद्धा (administrator warrior)और एक शिक्षक बना सकें। इसके अलावा गुरुकुल में विषयों के अलावा दैनिक जीवन की समस्याओं को भी टैकल करने के लिए ट्रेन किया जाता था।

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वही दूसरी तरफ अगर मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम की बात करे तो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान, भू-राजनीति, गणित, औषधीय अनुसंधान जैसे विषय पढ़ाये जाते हैं। जिससे आने वाले फ्यूचरिस्टिक वर्ल्ड में वो साइंस और टेक्नोलॉजी के फील्ड में योगदान दे पाए।

मेथड ऑफ़ स्टडी (Method of Study)

            दोस्तो अगर अब बात की जाए गुरुकुल के मेथड ऑफ़ स्टडी कि तो उस वक्त छात्र अपने शिक्षक यानि अपने गुरु के घर पर जा कर उनसे पढ़ा करते थे। और वो भी खुले मैदान में। इसका एक फ़ायदा ये भी होता था की गुरु और स्टूडेंट्स के बीच के रिलेशन्स काफ़ी अच्छे होते थे। आप जान कर हैरान हो जाएंगे की उस वक्त जब गुरु छात्रों के लिए अपना धेरो वक्त गवा दिया करते थे लेकिन इसके लिए वो फीस के रूप में एक पैसा भी नहीं लिया करता थे । बल्की इसके बदले छात्र उन्हें रिस्पेक्ट दिया करते थे और वही उनकी गुरु दक्षिणा होती थी।

            इसके अलावा उस वक्त हमें मौखिक रूप से पढ़ाया जाता था और छात्रों को मौके पर ही सब कुछ याद कर लेना पढता था। वो लोग एग्जाम के समय पर भूल ना जाये इसिलिए वो लोग पढाई हुई बातो को बार बार सुनाते थे जिससे वो बात उनके जद्दो जेहन में बैठे जाये और वो उन्हें भूले नहीं। गुरुकुल सिस्टम में होमवर्क जैसा कोई भी कॉन्सेप्ट नहीं हुआ करता था और उस वक्त रैंक और ग्रेडिंग जैसा भी कोई कॉन्सेप्ट नहीं होता था जिससे स्टूडेंट लर्निंग स्किल्स पर ज्यादा फोकस करता था। इसके अलावा दोस्तो गुरुकुल की पढाई महेज़ परीक्षा तक ही सिमित नहीं रहती थी।

            बल्की उन्हे उस पढाई को अपने रियल लाइफ  में अभ्यास भी करना पड़ता था और उसे prove भी करना पड़ता था कि जो कुछ भी उन्होंने अपने गुरु से पढ़ा और सीखा है वो एकदम सही है। इसके अलावा दोस्तो लोगो से कैसे मिलना और बात करना है, दैनिक जीवन की समस्याओं को कैसे सॉल्व करना है वो सब उस वक्त ग्रुप स्टडी के माध्यम से ही डिसकस  किया जाता था।

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            वही बात करे आज के मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम की तो आज के समय में पढाई के नाम पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई है जिसे हम स्कूल कहते हैं। इसमे अलग अलग क्लास के आधार पर डिवीजन कर दिए गए हैं और हर स्टूडेंट अपनी क्लासरूम में पढता है। दोस्तो आज कल एजुकेशन सिस्टम एक बिजनेस बन गया है 

            जैसे बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बना देना, कांच की खिडकिया लगवा देना, एसी और कूलर लगवा देना और फिर इन्ही सब चीजो के नाम पर आज कल के स्कूल पैरेंट्स से मोटी फीस वसुलते हैं और न चाहते हुए माता-पिता को फीस देनी पड़ती है क्योंकि उनके पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं होता। इसके अलावा दोस्तो मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम में ओरल के साथ written स्टडी भी होती है। इसके अलावा आज कल प्रोजेक्टर और 3डी पिक्चर्स के थ्रू भी स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है।

            इस्के बाद मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम में हर एक टाइम इंटरवल के बाद एग्जाम भी होते हैं जिसकी ग्रेडिंग भी निकलती है। ग्रेडिंग के आधार पर ही छात्रों की सीखने की क्षमता का पता लगाया जाता है।

Which is best? 

            अगर देखा जाए तो आज के वक्त की मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम में हम कुछ चीजो पर ही फोकस करते हैं जैसे परीक्षा में पास होने के लिए केवल नंबर ले आना और इसके अलावा किसी तरह एक सुरक्षित नौकरी की तलाश करना जिसमे वो आराम से survive कर पाए।

            लेकिन गुरुकुल सिस्टम में ऐसा बिलकुल भी नहीं था। क्यू की उस वक्त स्टूडेंट्स को रिफ्लेक्टिव लर्निंग पर फोकस करवाया जाता था और उन्हे सेल्फ डाउट और सेल्फ इंक्वायरी करने के लिए मोटिवेट किया जाता था। इस्के मदद से स्टूडेंट्स अपने अंदर की कामियो को जान कर उन्हे इम्प्रूव करने की प्रैक्टिस किया करते थे और जब तक वो परफेक्ट ना हो तब तक कोशिश करते रहते थे। सभी चीजों के अलावा गुरुकुल की पढाई से स्टूडेंट्स डिसिप्लिन, सेल्फ इम्प्रूवमेंट और जिम्मेदरिया उठने जैसी बातो को सिखते थे जिससे जिंदगी भर उन्हे किसी दिक्कत का सामना ना करना पड़े।

            आप जान कर हैरान हो जाएंगे कि पांडव, कौरव, श्री राम और श्री कृष्ण भी उन छात्रों में से एक है जिन्होने गुरुकुल से ही शिक्षा हासिल की थी। जिन्होन हमारे ग्रंथो के मुताबिक जीवन जीने का सही रास्ता ढूंढा था और इतिहास को एक नया नाम दिया था।इसिलिए मेरे हिसाब से गुरुकुल की पढाई ही बेस्ट है क्यू की जो चीज आज हमारी मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम में नहीं है वो तब हुआ करती थी क्यू की वो उनकी अहमियत को जानते थे।

           आप जान कर हैरान हो जाएंगे कि पांडव, कौरव, श्री राम और श्री कृष्ण भी उन छात्रों में से एक है जिन्होने गुरुकुल से ही शिक्षा हासिल की थी। जिन्होन हमारे ग्रंथो के मुताबिक जीवन जीने का सही रास्ता ढूंढा था और इतिहास को एक नया नाम दिया था।इसिलिए मेरे हिसाब से गुरुकुल की पढाई ही बेस्ट है क्यू की जो चीज आज हमारी मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम में नहीं है वो तब हुआ करती थी क्यू की वो उनकी अहमियत को जानते थे।

            लेकिन दुर्भाग्य से 1835 के बाद गुरुकुल सिस्टम खतम हो गया और उसकी जगह ले ली मॉडर्न  एजुकेशन सिस्टम ने। जिसके संस्थापक लॉर्ड मैकाले (lord Macaulay)थे। ऐसा नहीं है की आज गुरुकुल का नमो निशान मिट गया है बल्की आज भी कुछ ऐसी जगह है  जहां गुरुकुल की पढाई होती है।

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