क्या है भारत का नया मिशन? क्या करने वाली है 2 सितम्बर को भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ? क्या शुरू हो रहा है एक और नए मिशन का सफर?
दुनिया में हर जगह हर कोने कोने में भारत ,,भारत की स्पेस एजेंसी इसरो और इसरो का सफल चंद्रयान -3 के चर्चे हो रहे है इन चर्चो के और बड़ी बड़ी तारीफ का तो हक़दार बनता ही है हमारा भारत और भारत की इसरो स्पेस एजेंसी क्योकि इसरो के चंद्रयान मिशन ने इम्पॉसिबल दिखने वाले मिशन को पॉसिबल करके जो दिखाया है जिसको सोचने पर भी कई देशो के पसीने छूट गए क्योकि चाँद के साउथ पोल पर पहुंच पाना और वहां सफल लैंडिंग करना कोई चूरन चटनी का खेल थोड़ी न है लेकिन हमारे चंद्रयान -3 ने ये बड़ी ही सफलता के साथ करके दिखाया है हालांकि इस बीच कई बड़ी बड़ी चुनौतियां आयी कई बड़े पड़ाव आये लेकिन उन सभी को पार करते हुए चंद्रयान के लैंडर से सक्सेस्फुली लैंडिंग की और चाँद के साउथ पोल पर भारत का परचम लहरा दिया और भई लगा पड़ा है चाँद की खोज करने में।
वैल अगर आप सोच रहे है की इसरो ने चंद्रयान -3 चाँद पर पहुंचा दिया है और अब इसरो का काम यहाँ ख़तम हो गया और अब तो कई सालो तक भारत के स्पेस मिशन का इन्तजार करना पड़ेगा तो आप यहाँ गलत है जनाब क्योकि भारत की इसरो अब रुकने वालो में से नहीं है बल्कि इसरो ने तो अब ठान लिया है की अंतरिक्ष की हर जगह हर प्लेनेट में भारत का विश्व विजय तिरंगा फहराना ही फहराना है तभी तो इसरो ने चंद्रयान की लैंडिंग से पहले ही अपने दूसरे मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी और ये मिशन हमारी पृथ्वी को विटामिन डी D देने वाले प्लेनेट पर होने वाली है जी हाँ बिलकुल सही समझ रहे है आज हम बात कर रहे है सूरज की क्योकि भारत के इसरो ने अपने सोलर मिशन की तैयारी कर ली है जो आने वाले समय में सूरज पर अपना कमाल दिखाने वाला है।
हाल ही में भारत का दबदबा स्पेस में कुछ इस कदर बढ़ता जा रहा है की अब तो शायद वो समय आने में देरी नहीं है की इसरो को अंतरिक्ष के कोने कोने में महारथ हासिल हो जाएगी और हमारा भारत दुनिया में तो अपना इतिहास कायम कर ही चुका है साथ ही अंतरिक्ष में भी भारत अपना लोहा मनवाने वाला है। वैल चाँद तक के सफर को पार करने के बाद इसरो की पूरी तैयारी हो चुकी है सूरज के सफर पर निकलने की ,,आपको बतादे पृथ्वी से करीब करीब 151.13 मिलियन KM की दूरी पर है सूर्य और हमारा इसरो इस सूरज के छुपी हुए रहस्यो को जानने में जुट गया है जी हाँ पृथ्वी से सूरज तक के सफर को तय करने के लिए इसरो तैयार हो गया है और सूरज पर स्टडी करने के लिए भारत का पहला स्पेस प्रोग्राम है आदित्य एल वन मिशन (Aditya-L1 Mission) जिसका लॉन्चिंग समय काफी नजदीक आचुका है।
14 अगस्त को इसरो ने भारत के आदित्य L-1 मिशन से जुड़ी ये तस्वीरें शेयर की थी साथ ही ये भी बताया था की सूरज के सफर पर जाने वाले सूर्य यान को श्री हरी कोटा के Satish Dhawan Space Centre (SDSC) से जल्द ही रवाना किया जायेगा और वैज्ञानिको का कहना है की आदित्य L -1 सूरज के क्रोमोस्फेयर और कोरोना हिस्से की जानकारी खोजेगा और उसपर अपनी स्टडी करेगा वैल आपको बतादे इसरो की कहानी यहीं ख़तम नहीं होती है बल्कि इसरो ने तो आने वाले सालो की तैयारी करना शुरू कर दी है। आपको हमारे भारत का वो ऐतिहासिक पल तो याद ही होगा जब इसरो के मंगल यान ने पहले ट्राय में ही कामियाबी हासिल की थी जिससे वो मंगल पर पहले ट्राय में पहुंचने वाला पहला और चांद पर सक्सेस्फुली पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था और इस बड़ी कामियाबी के पलों को याद करते हुए बताया जा रहा है की इसरो ने मंगलयान -2 को लॉन्च करने की भी तैयारी कर ली है जिसके बारे में कहा जा रहा है की वो आने वाले साल में लॉन्च कर दिया जाएगा।
इस बात में तो कोई शक नहीं है की हमारा भारत स्पेस की दुनिया में एक नया इतिहास रचने जा रहा है और इसरो के ये नए नए जबरदस्त मिशन्स को सुनकर तो यार दिल गार्डन गार्डन ही हो जाता है और हो भी क्यों न हमारा भारत आज कहाँ से कहाँ आचुका है क्योकि एक वो समय भी था जब भारत को किसानो का देश कहा जाता था लेकिन आज हमारा देश टेक्नोलॉजी और स्पेस मिशन के मामले में दुनिया के किसी देश से कम नहीं है और इस तरह से हमारा भारत आगे बढ़ता ही जाएगा। वैल आइये हम ज़रा सूरज के सफर को तय करने वाले सूर्य यान के बारे में भी जान लेते है।
अब हम बात करे सूरज मिशन आदित्य L1 की तो ,जैसा की हमने आपको पहले बताया ही है की ये इसरो का एक ऐसा मिशन है जिसके जरिये भारत पहली बार सूरज पर स्टडी करने जा रहा है ,,असल में सूरज से जुड़ी हुई कुछ ऐसी बातें है जो वैज्ञानिको के मन में काफी खटकती है वो ये की आखिर क्यों सूरज की सतह जिसे फोटोस्फीयर (Photosphere) कहते है वो करीब 6000 डिग्री सेल्सियस गरम कैसे है और ये तो कुछ नहीं सूरज का केंद्र यानी Core का टेम्प्रेचर लगभग 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस है और इन सभी सवालो के बारे में जानने के लिए इसरो ने आदित्य L -1 मिशन को तैयार किया है।
बात करे सूरज पर भेजने वाले मिशन्स के बारे में तो आपको बता दे अब तक सूरज पर तकरीबन 22 मिशन भेजे जा चुके है साथ ही इन मिशन को पूरा करने वाले देशो में यूरोपियन, जर्मनी, अमेरिका स्पेस एजेंसी शामिल है ,जिसमे सबसे ज्यादा मिशन नासा ने भेजे है आपको बतादे बताया जाता है की यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर अपना पहला सूर्य मिशन साल 1994 में लॉन्च किया था और जर्मनी स्पेस एजेंसी ने अपना पहला सूर्य मिशन साल 1974 में भेजा था वहीँ हम बात करे नासा की तो नासा ने अपना पहला सूर्य मिशन साल 1960 में भेजा था जिसका नाम पायोनियर-5 (Pioneer-5) मिशन था आपको बतादे नासा ने अकेले करीब 14 मिशन सूरज पर भेजे है।
इसके अलावा बात करे नासा के पार्कर सोलर प्रोब parker solar probe नाम के मिशन की तो इसे साल 2018 में लॉन्च किया गया था ,नासा का ये सूर्य मिशन डेल्टा IV हेवी रॉकेट पर लॉन्च किया गया जिसका मकसद unprecedented expansion यानी अभूतपूर्व विस्तार से सूरज की स्टडी करना है ,,खबरों के द्वारा बताया गया था की साल 2021 में पार्कर सोलर प्रोब सूरज के आठवें चक्कर के दौरान 18.8 सोलर रेडियस पर specific magnetic and particle conditions का सामना करना पड़ा था वहीँ हम बात करे भारत के आदित्य L-1 मिशन की तो खबरों के अनुसार इस मिशन की प्लानिंग साल 2008 से ही हो गयी थी लेकिन इसरो के और भी कई मिशंस के दौरान इस मिशन को स्किप करना पड़ा था और जैसे ही इस मिशन के लिए बजट का बिल पास हुआ उसके बाद से ही इस मिशन पर ध्यान देना शुरु हो गया।
मिशन की तैयारी के दौरान इसमें कई तरह के चेंजिस भी किये गए क्योकि शुरुआत में इस मिशन को 800 KM लॉ अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करना था लेकिन बाद में वैज्ञानिको ने सोचा की अगर इसे L -1 पॉइंट में भेजा गया तो ये सूरज की बेहतर जानकारी हम को दे सकता है इसी वजह से इस मिशन को आदित्य से आदित्य L -1 कर दिया गया। असल में वैज्ञानिको द्वारा बताया गया है की L -1 पॉइंट वो जगह है जहाँ सेटेलाइट ग्रेविटेशनल फ़ोर्स फील नहीं करता है , वैल जिस तरह चंद्रयान की सफलता से भारत अंतरिक्ष की दुनिया में अपना सिक्का जमा चुका है इसी तरह सूरज के इस मिशन से भारत की स्पेस पावर और पावरफुल होगी लेकिन ये बात तो सच है कोई भी मिशन हो एक मिशन में लगभग हजारो लाखो करोडो का खर्च आता है और ऐसा ही कुछ आदित्य L -1 का है इस मिशन का एस्टिमेटेड बजट 378 करोड़ है।
हमने अपने आदित्य L -1 मिशन के बारे में इतना कुछ जान लिया अब ज़रा हम सूरज जिसका सफर आदित्य L -1 तय करने जा रहा है उसके बारे में भी जान लेते है जैसा की हमने आपको पहले बताया था की सूर्य के कोर का टेम्प्रेचर लगभग 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है वहीँ इसकी सतह जिसे फोटोस्फीयर (Photosphere) कहते हैं वो लगभग 6000 डिग्री सेल्सियस गर्म होता है आपको बतादे ये सूरज का इतना ज्यादा गर्म टेम्प्रेचर होता है की इससे हमारी पृथ्वी का बड़े से बड़ा सॉलिड मेटल भी पिघल सकता है यानी हमारी अर्थ में ऐसी कोई सॉलिड चीज नहीं है जो सूरज की गर्मी का सामना कर सके।
अब जैसे की एक्साम्पल के तौर पर देखे तो हम आयरन को सबसे ज्यादा सॉलिड मेटल मानते है लेकिन ये जो आयरन होता है वो करीब 1538 डिग्री सेल्सियस के टेम्प्रेचर में पिघल जाता है और इस हिसाब से आप सूरज के टेम्प्रेचर का अनुमान लगा सकते है की वो कितना गर्म है तो इस हिसाब से अगर हम सूरज के सरफेस तक जाने की सोचते है तो हमे इतना टेम्प्रेचर फेस करना पड़ेगा जिससे शायद हमारी हड्डियां भी न बच पाए।
अब हम बात करे अपने इसरो के वैज्ञानिको की तो भई हमारे वैज्ञानिको को इस मिशन से काफी उम्मीदें लगी हुई है क्योकि आदित्य L-1 के जरिये स्पेस में मौसम की मोबिलिटी सूरज के टेम्प्रेचर , सोलर स्टॉर्म एमिशन और अल्ट्रावॉयलेट रेज के धरती और साथ ही ओज़ोन लेयर पर पड़ने वाले इफेक्ट्स पर स्टडी हो सकेगी बतादे बताय जा रहा है आदित्य L -1 मिशन को 2 सितम्बर यानि शनिवार को लांच कर दिया जाएगा। इसके साथ ही वैज्ञानिको का ये मानना है की मिशन की मदद से हमे अलग अलग तरह की इनफार्मेशन मिल सकती है जिससे पृथ्वी पर होने वाली मुसीबतों परेशानियों के बारे में पहले से अलर्ट किया जा सकेगा।
आपको क्या लगता है क्या चंद्रयान -3 के जैसे हमारा आदित्य L -1 मिशन भी सक्सेसफुल होगा