चंद्रयान -3 की सफल लॉन्चिंग हो चुकी है और ये चाँद के सफर पर चल दिया है ये काफी ख़ुशी का मौका है लेकिन इसके साथ लोगो के मन में कई सवाल उठ रहे है कि आखिर क्यों चंद्रयान को 1 महीने से ज्यादा का समय लग रहा है ? क्या चाँद के छुपे हुए राज के बारे में चंद्रयान खुलासा कर पायेगा ?
हाल ही में लॉन्च हुए चंद्रयान -3 के बारे में हर कही चर्चा ही चर्चा हो रही है ,,आखिर हो भी क्यों न चंद्रयान -3 को लॉन्च करके एक बार फिर भारत ने चाँद पर पहुंचने की कोशिश शुरू की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी यानि ISRO ने 14 जुलाई 2023 को दोपहर में इस मिशन की उड़ान भरी है और भइया इस ख़ुशी से सभी वैज्ञानिक झूम उठे है , श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान -3 को लॉन्च किया गया। वेल चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2 के मिशन के बारे में तो आप अच्छे से जानते ही होंगे वैसे ये चंद्रयान -3,, चंद्रयान -2 का ही नेक्स्ट पार्ट है। आपको बतादे ISRO का पिछला चाँद पर पहुंचने का मिशन यानि चंद्रयान -2 फेल हो गया था और इसी वजह से चंद्रयान -3 को पिछली सभी कमियों पर नजर रखते हुआ तैयार किया गया है ,यही नहीं ISRO ने चंद्रयान-3 को कई तरह के टेस्ट से चेक किया है,जिससे इस मिशन पर पिछले मिशन की तरह कोई भी गलतियां दोहराई न जाये।
चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग के साथ ही हमारा भारत देश इस मिशन पर कामयाबी हासिल करने वाला 4th (चौथा) देश बन जाएगा। बाकि के देश की बात की जाए तो अब तक केवल रूस , अमेरिक और चीन देश ही चाँद पर सफल लैंडिंग का मिशन पूरा कर पाए है ,,खैर भाईलोग हम चंद्रयान मिशन की बात कर ही रहे है तो आइये इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कुछ पुरानी यादें भी ताज़ा कर लेते है ,,तो जैसा की आप सब जानते ही होंगे चंद्रयान भारत का एक ambitious space प्रोजेक्ट है ,असल में इस प्रोजेक्ट से भारत के साइंटिस्ट चाँद से जुड़ी हुई ज्यादा से ज्यादा जानकारियां जानना चाहते है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की बात की जाए तो साल 2003 में independence day के सुनहरे अवसर पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्पीच देते हुए चाँद से जुड़े हुए इस मिशन का अनोउसमेंट किया था। जिसके बाद साल 2008 में ISRO टीम ने चंद्रयान – 1 को लॉन्च किया था ,चंद्रयान -1 डीप स्पेस में भारत का सबसे पहला मिशन था ,उसके बाद साल 2019 में चंद्रयान – 2 को लॉन्च किया गया ,जिसके बाद मिशन चंद्रयान -3 को 14 जुलाई 2023 को उड़ान दी गयी।
बात करे चंद्रयान -1 की तो 22 अक्टूबर 2008 का दिन भारत के इतिहास में स्पेस की एक बड़ी achievement के साथ सुनहरे शब्दों के साथ दर्ज किया गया है ,क्योकि इस दिन ही भारत ने अपने पहले चंद्रयान के मिशन को सक्सेस्स्फुली लॉन्च किया था। चंद्रयान -1 चाँद के केमिकल , मिनरल और photo-geologist के मैपिंग के लिए चाँद के सरफेस से 100 KM किमी की उचाई से ही चाँद के चारो तरफ घूम रहा था साथ ही आपको बतादे इस स्पेस शिप में भारत ,अमेरिका , जर्मनी ,ब्रिटैन ,स्वीडन और बुल्गारिया के बनाये गए 11 Scientific Instruments थे। इस मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा होने के बाद मई 2009 के दौरान ही orbit को 200 किमी तक बढ़ा दिया गया ,जिसके बाद Satellite ने चाँद के चारो तरफ 3400 से ज्यादा चक्कर लगाए उसके बाद जब स्पेस शिप का कम्युनिकेशन लॉस्ट हो गया तब इस मिशन को 2009 में समाप्त किया गया।
वही बात करे चंद्रयान -2 के बारे में तो सितम्बर 2019 में ISRO के द्वारा लॉन्च किया गया चंद्रयान -2 मिशन फेल साबित हुआ था ,इस स्पेस शिप की क्रैश लैंडिंग हो गयी थी। इस मिशन के फेलियर पर ये भी कहा जाता है कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी कि वजह से ये मिशन फेल हुआ था ,इसके अलावा ये भी माना जाता है कि लैंडिंग साइट छोटी होने कि वजह से ये मिशन सक्सेस नहीं हो पाया। लेकिन भाईलोग चंद्रयान -3 की बात करे तो इसमें पहले के असफल मिशन को देखते हुए काफी अच्छे से तैयारी की गयी है। आपको बतादे चंद्रयान -2 में जहाँ ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे वही इस बार के चंद्रयान 3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर है ,यही नहीं चंद्रयान -3 का लैंडर+रोवर पिछले चंद्रयान से लगभग 250 किमी से भी ज्यादा वजन का है। इसके साथ ही चंद्रयान -3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने ही काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है यही नहीं चंद्रयान -3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर लगाए गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान -3 चाँद के सरफेस तक पहुंच जायेगा।
अब ठहरिया अमेरिका ने लगभग चार ही दिनों में चाँद पर सफलता के साथ कदम रख दिया था वही रूस ने भी तकरीबन चाँद तक पहुंचने में इतना ही समय लिया था लेकिन यहाँ एक सवाल उठता है कि भारत का चंद्रयान -3 क्यों इतना समय ले रहा है आखिर क्या वजह है जो चंद्रयान को चाँद पर पहुंचने में 1 महीने से भी ज्यादा का समय लग रहा है चलिए ये भी जान लेते है लेकिन उससे पहले में आपसे रिक्वेस्ट करूँगा अगर आपने हमारी वीडियो को अभी तक लाइक नहीं किया है तो जल्दी से लाइक करदो यार और चैनल पर नए है तो सब्सक्राइब करना बिलकुल भी न भूले।
चंद्रयान -3 चाँद की सैर पर निकल चूका है अब बस इन्तजार हो रहा है चंद्रयान कि सक्सेस्स्फुली लैंडिंग का लेकिन वही बात कि,, ये इन्तजार 4 से 5 दिन का नहीं बल्कि 1 महिने से जयदा का है,, अब भई लोगो के मन में कई सवाल उठ रहे है कि जब साल 1959 में सोवियत संघ का लूना-2 मिशन चाँद के सफर पर पहुंचा था तब ये केवल 34 घंटे में ही चाँद के सरफेस पर पहुंच गया था।
इसके साथ ही जुलाई 1969 में अमेरिका ने अपना अपोलो -11 मिशन लॉन्च किया था जिसे केवल 4 दिन और कुछ घंटे का समय लगा था ,अब सोचा जाये तो उस समय के हिसाब से आज के समय कि टेक्नोलॉजी तो कई हद तक बढ़ चुकी है ।
असल में चाँद तक पहुंचने में कितना टाइम लगेगा ये तो राकेट के डिज़ाइन और उसकी स्पीड तय करती है ,,चाँद तक कि लंबी यात्रा को कवर करने के लिए हाई स्पीड और सीधा रास्ता यानि जिस रास्ते पर स्पेस शिप सफर करता है उसकी जरुरत होती है। बात करे अपोलो 11 कि तो इसके लिए नासा ने सुपर हैवी लिफ्ट लॉन्चर सर्टेन 5 रॉकेट का यूज़ किया था ,इस रॉकेट की स्पीड की बात की जाए तो ये प्रति घंटे (39000 KM ) से भी ज्यादा की सफर को आसानी से तय कर सकता था रॉकेट के दमदार इंजन ने ही अपोलो 11 को केवल 3.8 लाख KM तक पहुंचा दिया था ,वही बात करे इस मिशन के खर्चे की तो उस समय पर नासा ने इस मिशन के लिए 1300 करोड़ रूपए खर्च किये थे जो आज के समय में देखा जाये तो ये लगभग 8500 करोड़ से भी ज्यादा बैठेगा।
वही हम बात करे ISRO की तो आप सभी इस बात को अच्छे से जानते होंगे की ISRO हमेशा कम बजट में ही बेहतरीन से बेहतरीन काम करके दिखाता है ,इसलिए ISRO ने ग्रेविटी को यूज़ करने के लिए एक दूसरे रास्ते को अपनाया है जो चंद्रयान को चाँद तक पहुचायेगा। चंद्रयान 3 को अर्थ की ऑर्बिट से बाहर ले जाने के लिए LVM3-M4 रॉकेट का यूज़ किया गया है। आपको बतादे ये रॉकेट 640 टन से भी ज्यादा का वजन उठा सकता है ,इसकी लमबाई 13.5 मीटर है ,इस रॉकेट को पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था लेकिन अब इसका नाम बदलकर LVM3-M4 रख दिया गया है।
सबसे ख़ास बात आपको बतादे भारत के चंद्रयान का बजट केवल 600 करोड़ है यानि की नासा के मिशन से मुकाबले देखा जाये तो ये आधे से भी कम है। इसके अलावा रॉकेट को चाँद तक पहुंचने में कितना समय लगेगा ये इस बात पर भी डिपेंड करता है की उसको एनर्जी देने के लिए फ्यूल किस टाइप का है और उसकी क्वांटिटी कितनी है क्योकि जितने कम दिनों में चाँद पर पहुंचना है उतना ही ज्यादा फ्यूल लगेगा और उतना ही ज्यादा खर्चा भी आएगा।
साथ ही आपको बतादे कम पावरफुल और छोटे रॉकेट चाँद तक पहुंचने के लिए चाँद और पृथ्वी दोनों की ग्रेविटी का यूज़ करते है इस वजह से ही उनका ज्यादतर समय इनके चारो तरफ घूमने में ही लग जाता है यानि इनकी परिक्रमा करने में ही लग जाता है ,इसमें फ्यूल बहुत कम खर्च होता है और हमारा चंद्रयान -3 भी इस तरह से चाँद के सरफेस तक पहुंचेगा और यही वजह है की चंद्रयान को चाँद तक पहुंचने में 1 महीने से भी ज्यादा का समय लग जायेगा।
इसके अलावा ISRO चीफ का ये कहना है की चाँद तक पहुंचने में तो केवल 5 दिन का ही समय लगेगा बाकि का समय सेटेलाइट पृथ्वी या फिर चाँद के चारो तरफ घूमने और आगे बढ़ने के लिए उनकी ग्रेविटी का यूज़ करेगा। वेल भाईलोग अब तो आप समझ ही गए होंगे की हमारे चंद्रयान को पहुंचने में इतना समय क्यों लग रहा है।
अब जब चाँद पर जाने के लिए इतनी बातें हो ही रही है तो आइये थोड़ा बहुत चाँद के बारे में भी जान लेते है ,वैसे भाईलोग आप सोच रहे होंगे की चाँद पर तो कोई रहता ही नहीं है क्योकि वहाँ कोई इंसान तो क्या कोई जीव भी नहीं रह सकता ,अक्सर खबरों में वहां एलियन के होने का दावा भी किया जाता है लेकिन इसके लिए कोई ठोस सबूत आज तक नहीं मिल पाए है। पर जरा ठहरिये ये जो फोटो आपको दिख रही है ये चाँद के सरफेस से ली गयी फोटो है। इस फोटो को गौर से देखे तो इसमें किसी इंसान की परछाई नजर आरही है ,इस पिक्चर को यूट्यूब यूजर ने गूगल मैप पर देखा था इस पिक्चर को देखकर कहा गया था की ये कोई एलियन है।
उसके बाद उस यूजर ने उसका वीडियो बनाया और यूट्यूब पर शेयर कर दिया था लेकिन इस बात पर नासा ने कोई कमेंट नहीं किया पर ये बात भी सच है की गूगल मून पर दिखाई जाने वाली पिक्चर को नासा के द्वारा ही जारी किया जाता है इसका मतलब साफ़ है की नासा को भी इस पिक्चर के बारे में पहले ही मालूम होगा पर शायद उनके पास इसका कोई एक्सप्लनेशन नहीं था।
इसके अलावा नासा के पास कुछ दिनों पहले ही चाँद की कुछ इस तरह की पिक्चर्स आयी थी जिसे देखकर तो वैज्ञानिक भी घबरा गए ,,असल में इस पिक्चर में चाँद के ऊपर बने हुए दो बड़े बड़े क्रेटर नजर आ रहे थे और कहा जा रहा है की ये गड्ढे चाँद के ऊपर गिरे किसी बड़े रॉकेट की वजह से हो सकते है ,,लेकिन कहा जा रहा है की इससे पहले भी कई रॉकेट चाँद के सरफेस से टकराये है लेकिन तब चाँद पर एक ही गड्ढा बनता थे लेकिन इस बार यहाँ दो गद्दे नजर आ रहे है और इससे भी बड़ा रहस्य ये की ये रॉकेट आखिर आया कहाँ से ? क्योकि ये न तो नासा का था और न ही किसी और देश का?चीन ने तो इसके लिए साफ़ मना कर दिया है तो क्या है इसका राज कहीं ये एलियन शिप तो नहीं?