लद्दाख की पहाड़िया, लद्दाख का पर्यावरण, लद्दाख का खुशनुमा माहौल आज संकट में नजर आ रहा है, क्यों आज लद्दाख के लोग अनशन पर उतर आये है, आखिर कौन है ये सोनम वांगचुक ? क्यों इन्होने 21 दिनों की भूख हड़ताल की ? क्या मांगे है लद्दाख के लोगों की आइये सब जानते है।
लद्दाख की कंपा देने वाली ठण्ड में एक, दो दिन या तीन दिन नहीं पूरे 21 दिन तक सोनम वांगचुक ने केवल नमक और पानी के सहारे अपना जलवायु उपवास पूरा किया, खुले आसमान में अपने उपवास को पूरा कर उन्होंने लद्दाख की आवाम में एक अलग ही जोश जगा दिया, जोश एक ऐसी मांग का जिसके लिए आज लद्दाख की आवाम हर नामुमकिन कोशिश करने के लिए तैयार है, पर मांग क्या है ? इसी सवाल के जवाब को हम जानेंगे लेकिन उससे पहले हम सोनम वांगचुक के बारे में थोड़ा डिटेल में जानते है।
अगर आप बॉलीवुड फिल्मो के दीवाने है या थोड़ा सा भी इंट्रेस्ट रखते है तो आपने 3 इडियट्स फिल्म तो जरूर देखी होगी और इस फिल्म में आमिर खान ने जो phunsukh wangdu का किरदार निभाया है, उसने तो वाक़ई लोगों के दिलों को जीत लिया था लेकिन शायद आप फिल्मो की दुनिया से हटकर असल के phunsukh वांगडू के बारे में नहीं जानते होंगे, आपको बता दें फिल्म में निभाया गया phunsukh वांगडू का किरदार असल के सोनम वांगचुक से प्रेरित है।
1 सितंबर 1966 को लद्दाख के Uley -Tokpo नाम के गांव में सोनम वांगचुक का जन्म हुआ, सोनम के फादर एक नेता थे, पढाई पूरी करने के बाद अगर सोनम चाहते तो वो भी राजनीति में कदम रख सकते थे लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग को चुना और इसी फील्ड में आगे बढे, वो मैकेनिकल इंजिनियर बनना चाहते थे, अपने सपने को उड़ान देने की वज़ह से पिता के साथ थोड़ा बहुत विवाद भी हुआ, जिसके चलते सोनम को घर छोड़ना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई को पूरा किया।
अब सोनम चाहते तो इंजिनियर के तौर पर अच्छी जॉब कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि उन्होंने स्कूल में पढ़ाना सही समझा, सोनम साइंस और मैथ्स में अच्छे थे इसलिए उन्होंने लेह में अपना पहला कोचिंग सेंटर खोला, जहाँ से उन्होंने करीब 2 महीने में ही अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल लिया लेकिन इस दौरान सोनम ने ये देखा कि शिक्षा के अभाव के चलते अच्छे बच्चों को भी फेल कर दिया जाता है, जिसके चलते उन्होंने एजुकेशन की फील्ड में Improvement लाने का फैसला किया, साल 1988 में सोनम और उनके साथियों ने मिलकर एक Campaign के तौर पर स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख यानी सेकमॉल (SECMOL) की शुरुआत की, जहाँ वो ऐसे बच्चों को जगह देते थे जिन्हे सिस्टम ने नकारा गया हो, वो उन्हें volunteer बनाकर खुद काम करने के लिए इंस्पायर करते ।आपको बता दें अपने Campaign के चलते वो अब तक करीब 1000 से भी ज्यादा बच्चों को इंस्पायर कर चुके है।
इसके अलावा सोनम वांगचुक ऐसे बहुत से काम कर रहे है जिससे वो आज की जनरेशन को अच्छी एजुकेशन दे सके, उनके भविष्य को सुधारने के लिए वो हर कोशिश करने के लिए तैयार है , जिस तरह उन्होंने वैकल्पिक विश्वविद्यालय पर भी काम किया जहाँ बच्चे हाथ से काम कर सीखते है, यही नहीं वो ऐसे वर्कशॉप पर भी काम कर रहे है जहाँ एजुकेशन फ्री होगी कोई भी फीस नहीं ली जाएगी, इस तरह सोनम बर्फीले इलाके में बच्चों के लिए शिक्षा में सुधार का बीड़ा उठाये हुए है और वहीं इनकी वज़ह से कई फेल हुए स्टूडेंट्स भी शिक्षा प्राप्त कर बड़े वैज्ञानिक बन चुके है।
इसके अलावा सोनम ने पीने के पानी और खेती के लिए भी अपने स्टूडेंट्स के साथ अभियान चलाये हुए है और ये तो कुछ नहीं सोनम ने लद्दाख में खेती और वृक्षारोपण के लिए भी एक नया तरीका भी डेवलप किया है, जिसमे स्थानीय लोगों से कहा गया है कि वो बर्फ के स्तूप बनाये जो 40 मीटर तक ऊँचे हो, करीब 10 हैक्टेयर जमीन को इस तरह के स्तूप से सिंचित किया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 1 करोड़ 60 लीटर लाख पानी की व्यवस्था एक स्तूप से होती है, सोनम की बर्फ पिघलाकर पानी बनाने की ये नई तकनीक बेहद ही कारगर साबित हुई है और इसी तरह आज सोनम का जीवन सभी के लिए इंस्पिरेशन है, वाक़ई सोनम ने अपनी नई सोच और मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी।
सुनकर बड़ा ही अफ़सोस होता है कि लद्दाख के ऐसे सोशल एक्टिविस्ट को 21 दिनों तक भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा वो भी खुले आसमान में जहाँ कंपा देने वाली ठंड हर किसी को बेहाल कर दे, पर ऐसा क्या हुआ जो सोनम वांगचुक को ये कदम उठाना पड़ा चलिए जानते है।
लद्दाख की खुशनुमा पहाड़ियां, वहां की हवा पानी को बचाने के लिए 6 मार्च को एक अनशन की शुरुआत हुई और इसकी शुरुआत करने वाले सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक है, जिन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि उनकी ये भूख हड़ताल 21 दिनों की होगी और उन्होंने अपने अनशन के शुरुआत में लोगों को बताया था की वो आमरण अनशन पर बैठ रहे है और ये अनशन का पहला चरण है और जरुरत पड़ने पर इसे आगे बढ़ाया जाएगा और आखिर कार 26 मार्च को ये पहला चरण पूरा हुआ, 26 मार्च की शाम सोनम वांगचुक ने एक बच्ची के हाथ से जूस पीकर अपने अनशन और उसके पहले चरण को ख़त्म कर दिया।
भले ही पहले चरण को ख़त्म कर दिया गया हो लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अगले चरण और उसकी तैयारियों को लेकर ऐलान भी कर दिया, यानी आप समझ सकते है कि सोनम वांगचुक द्वारा शुरू किया गया ये आंदोलन इतनी आसानी से ख़त्म नहीं होने वाला और ये आंदोलन तब तक ख़त्म नहीं होने वाला है जब तक लद्दाख की मांगे पूरी नहीं हो जाती, पर आखिर लद्दाख की वो कौनसी मांगे है जिसके लिए कंपा देने वाली ठंड में भी 21 दिनों से लद्दाख के लोग अनशन पर बैठे है, तो इन मांगों पर अगर नजर डाली जाए तो उसमे मुख्य मांगे है कि लद्दाख को 6th शेड्यूल में शामिल किया जाए, लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए, इसके अलावा लेह और कारगिल को संसद में अलग अलग सीटें दी जाए और इन मुख्य मांगों में से एक लद्दाख लोक सेवा आयोग का गठन किये जाने की मांग भी शामिल है।
अपनी इन्ही मांगो के चलते आज सोनम वांगचुक और उनके साथ कई हजार लोग खुले मैदान में उनके समर्थन में आये और खूब प्रदर्शन किया, पर यहाँ ऐसा नहीं है कि सोनम वांगचुक ने ये सब डायरेक्ट ही शुरू कर दिया बिलकुल नहीं ,इससे पहले सोनम वांगचुक और सरकार के बीच बात चीत हो चुकी थी, ख़बरों के अनुसार 19 फरवरी 2024 में वांगचुक की सरकार से बातचीत हुई थी और उस मीटिंग से कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने high powered committee का गठन भी किया था और ये बातचीत का दौर 19 फ़रवरी से 23 फ़रवरी तक चला, जिसके बाद 4 मार्च को एक बार फिर बातचीत की गई लेकिन इन सब से कुछ ख़ास रिजल्ट सामने नहीं आया, जिसके चलते 6 मार्च को लेह के कई धार्मिक संगठनों ने लद्दाख में बंद का आह्वान किया था और तब से सोनम वांगचुक अनशन पर बैठ गए।
इंडिया today से बातचीत के दौरान उन्होंने ये भी बताया था कि 2019 में खुद BJP ने लद्दाख को 6th शेड्यूल में शामिल करने का वादा किया था, इसी दौरान एक सवाल के जवाब में सोनम वांगचुक ने ये भी कहा कि हम बिलकुल भी केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं है, बल्कि हमारी तो केंद्र सरकार से ये अपील है कि वो लद्दाख के खिलाफ न रहें, हम बस उनसे अपने वादे पर बने रहने की अपील कर रहे है और अगर हम भारत में रहकर ये अपील नहीं कर सकते तो शायद हमे चीन में जन्म लेना चाहिए ना की भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में।
आपको बता दें 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाते ही दोनों राज्यों की विशेष संवैधानिक पावर को ख़त्म कर दिया गया था, जिसके बाद केंद्र ने जम्मू और कश्मीर को तो राज्य का दर्जा दिया लेकिन लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया, जिसके बाद से ही लद्दाख के लोग पूर्ण राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे है, सोनम वांगचुक का कहना है कि केंद्र-शासित राज्य होने की वजह से इसकी सत्ता केंद्र दिल्ली है और इसी वजह से यहाँ इंडस्ट्रीज आकर यहाँ के पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ कर रही है और साथ ही यहाँ के लोगों के डेवलपमेंट पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है, यही वजह है कि जब तक उनकी मांग नहीं सुन ली जाती ये आवाज ऐसे ही बुलंद रहेगी।
आगे वांगचुक कहते है हम सिर्फ वादे के मुताबिक अपनी मांग कर रहे है और इसे देश द्रोही नहीं कहा जाना चाहिए, साथ ही वो कहते है मैं तो हमेशा से ही अपने हाथ जोड़कर लद्दाख के मन की बात करता हूँ, अब सवाल आता है कि आखिर इस हड़ताल से सोनम वांगचुक को क्या मिला तो इसके जवाब में सोनम वांगचुक खुद कहते है कि उनके हड़ताल के दौरान देश भर से उन्हें समर्थन मिला है, कम से कम 50 देशो में “Friends Of Ladakh” कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, हड़ताल से कुछ हासिल होने के सवाल पर वांगचुक ने ये भी कहा कि हड़ताल के बाद कम से कम मीडिया पर तो इस मुद्दे को लेकर चर्चा होना शुरू हो गई है, लोग इस पर बात कर रहे है, जो स्थानीय लोगों की बड़ी परेशानी है और ये किसी अचीवमेंट से कम नहीं है।
आपको बता दें 26 मार्च को सोनम वांगचुक के अनशन ख़त्म करने से पहले वहां उनसे मिलने एक्टर प्रकाश राज भी पहुंचे थे, जिन्होंने अनशन की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा था, आज मेरा जन्मदिन है मैं सोनम वांगचुक के अनशन का समर्थन करते हुए इसे सेलिब्रेट करता हूँ ,साथ ही उन्होंने लिखा मैं लद्दाख के लोगों के साथ खड़ा हूँ जो हमारे लिए, हमारे देश के लिये हमारे पर्यावरण और हमारे भविष्य के लिए लड़ रहे है, हम उनके साथ खड़े है।
इसके अलावा अपने पिछ्ले चरण को पूरा करने के साथ सोनम वांगचुक ने अपने अनशन के प्लान को भी लोगों के साथ शेयर किया, उन्होंने बताया कि 27 मार्च से महिलाओं का एक समूह 10 दिनों की भूख हड़ताल करने के लिए तैयार है, वो कहते है की मैं तो अपनी हड़ताल और आगे बढ़ाना चाहता था लेकिन महिलाओं ने कहा कि अब वो इसे आगे बढ़ाएंगी , इसके बाद बारी आएगी युवाओं की यानी युवाओं की भी हड़ताल होगी, जिसके बाद बुजुर्गों की भी हड़ताल होगी और साथ ही वो कहते है आगे मैं खुद फिर से हड़ताल कर सकता हूँ।
आज लद्दाख के हजारों लोग लद्दाख की सुरक्षा की मांग कर रहे है आपको क्या लगता है क्या उनकी ये मांग केंद्र सरकार द्वारा सुनी जाएगी ? क्या लद्दाख में फिर से वही शांति सुकून का माहौल बन पाएगा?