आप सब ने ब्लैक होल के बारे में तो सुना ही होगा और ब्लैक होल से जुड़े रहस्य के बारे में जानने के लिए आप भी बहुत उत्साहित होंगे। तो आज आप की इसी उत्तेजना को बढ़ाने के लिए आज हम आपको ब्लैक होल के विकास से लेकर उससे जुड़े सभी फैक्ट्स बताएंगे। ब्लैक होल ब्रह्मांड में रहने वाले अजीब अवधारणाएं में से एक हैं। साइंटिस्ट के लिए ब्लैक होल वो मिस्ट्री है जिसे वो आज तक सुलझा रहा है, तो आम इंसान के लिए इसके अस्तित्व को समझना ही एक बड़ा टास्क है। तो चलिए जानते हैं की ब्लैक होल की उत्पत्ति क्या है? क्या होगा अगर हम या कोई बड़ी फ्लाइट या कोई सैटेलाइट ब्लैक होल में गिर जाए? यूनिवर्स में ब्लैक होल का इवोल्यूशन कैसा हुआ? और क्या ब्लैक होल कोई खतरा है?
ब्लैक होल कैसे बनता है?
सीधा -सीधा बताया जाए तो ब्लैक होल का संचार स्टार्स से होता है, जिसे हम आकाशीय पिंड (सेलिस्टियल बॉडीज/ celestial body ) भी कहते हैं पर इसके प्रक्रिया को समझना इतना भी आसान नहीं है।
तो चलिए ब्लैक होल को समझनें के लिए शुरुआत करते हैं आकाश की उस टिमटिमाटे चीज़ से जिसे हम स्टार समझते है।
सितारे (stars ) ज्यादातर हाइड्रोजन परमाणु के एक बहुत बड़े पैमाने पर संग्रह होते हैं, जो की अपनी गुरुत्वाकर्षण (ग्रेविटी /gravity ) की वजह से एक बहुत बड़े गैसीय बादल से collapse हो जाते हैं। इनके कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन होने की वजह से हाइड्रोजन एटम हीलियम एटम्स में बदल जाते हैं। इस परमाणु रूपांतरण ( atomic कन्वर्शन ))से बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा रिलीज होती है।
यही रिलीज होने वाली एनर्जी रेडिएशन के फॉर्म में ग्रेविटी के अगेंस्ट पुशिंग फोर्स लगाती है और यही लगाने वाला फोर्स एक नाजुक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। स्टार तभी तक स्थिर रहता है, जब तक परमाणु फ्यूजन का प्रक्रिया चलता रहता है। पर कुछ ऐसे सितारे जिनका वज़न हमारे सूरज से भी ज्यादा होता है उनमे गर्मी और कोर प्रेशर की वजह से फ्यूज़न क्रिएट होने पर और भी भारी तत्व होते हैं जैसे की कार्बन, नियॉन, ऑक्सीजन और सिलिकॉन। ये प्रक्रिया तब तक चलता है जब तक की आयरन फॉर्मेशन ना हो जाए। आपको ये जानकर हैरानी होगी की आयरन से पहले के सभी प्रोसेस में हाई एनर्जी रिलीज होती है पर वो फ्यूजन जिससे आयरन जेनरेट होता है उसमे कोई नई एनर्जी रिलीज नहीं होती।
ये आयरन स्टार के सेंटर में फॉर्म होता है और तब तक लगातार फॉर्म होता रहता है, जब तक आयरन लेवल एक क्रिटिकल अमाउंट तक ना पहुंच जाए । ऐसा होने के कारण ग्रेविटी और रेडिएशन के बीच का नाजुक बैलेंस ब्रेक हो जाता है और कोर collapse हो जाती है साथ ही सेकंडो में, स्टार implode हो जाता है।
लाइट की ¼ स्पीड से मूव करने की वजह से, कोर में और भी ज्यादा मास कॉन्सेंट्रेट हो जाता है और इसी वजह से हमें ब्रह्मांड के सभी भारी एलिमेंट्स मिलते हैं। फिर एक सुपरनोवा धमाका होता है जिस में स्टार खत्म हो जाता है। अगर विस्फोट होने वाले स्टार का मास हाई हो तो स्टार का पूरा मास collapse होकर ब्लैक होल फॉर्म होता है। इतने लंबे और जटिल प्रक्रिया के बाद फॉर्म होता है, सबसे बड़ा रहस्य ब्लैक होल।अब सवाल आता है कि , स्टार विस्फोट से फॉर्म हुआ ये ब्लैक होल आखिर दिखता कैसा है?
ब्लैक होल दिखता कैसा है?
अगर हम ब्लैक होल को देखे तो हमें सिर्फ उसका इवेंट horizon ही दिखाई देता है जो की ब्लैक स्फेयर जैसा दिखता है। इवेंट horizon के अंदर जाने के लिए किसी भी ऑब्जेक्ट या लाइट की स्पीड भी लाइट से भी ज्यादा होना चाहिए जो की अब तक तो असंभव है।
आप तो जानते ही होगे की रोशनी से तेज कुछ भी ट्रेवल नहीं कर सकता। इसी लिए हम ब्लैक होल की सीमा देख सकते हैं जिसमें से कुछ भी वापस नहीं आता, अब क्यूंकि वहा से कोई रिफ्लेक्शन नहीं आती है, इस लिए अब तक की खोज में तो यही पाया गया है की ब्लैक होल के अंदर कुछ भी मौजूद नहीं है।
क्या होगा अगर हम ब्लैक होल में गिर जाएं ?
अंदर जाने पर बिल्कुल क्या होता है ये आज तक पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है पर वैज्ञानिक का मानना है की, अब तक के शोध के लिए एक ही चीज संभव है। और वो है,
क्विक डेथ (quick death ) – ब्लैक होल अंदर से बहुत घुमावदार होता है जैसे ही हम इवेंट horizon क्रॉस करते हैं एक ही दिशा संभव होती है और हम एक ही दिशा में गिरते हैं। और ब्लैक होल के अंदर मास इतना सघन होता है की हमारे सेल्स फट जाती है और जैसे -जैसे हमारी बॉडी स्ट्रेच करती है, तब हमारी बॉडी हॉट बॉडी ऑफ प्लाज्मा में कन्वर्ट हो जाती है और इस वजह से हमारी मौत हो सकती है। हमारी मौत का एक कारण और भी हो सकता है, और वो है टक्कर, क्योंकि जैसे ही हमारी बॉडी इवेंट horizon क्रॉस करती है हमारी बॉडी फायरवॉल से टकराती है और इस कारण की वजह से भी तत्काल मौत पूरी तरह से संभव हो जाती है।
ब्लैक होल की साइज
आपको बता दे की ब्लैक होल भी अलग-अलग साइज के होते हैं।
1.स्टेलर मास ब्लैक होल, जिनका साइज सूरज के मास से भी थोड़ा ज्यादा ही होता है और डायमीटर asteroid के जितना होता है। ऐसा सुनकर शॉक तो लगा ही होगा, और ये कल्पना करने पर तो और भी खतरनाक लगता है |
- फिर आते हैं सुपर मैसिव ब्लैक होल जो हर गैलेक्सी के सेंटर में होते हैं और ये लगभग अरब साल से फीड कर रहे हैं। वर्तमान में सबसे बड़ा ज्ञात ब्लैक होल S5 0014+81 हैं |जिसका मास सूरज के 40 अरब गुना है और उसका डायमीटर 236.7 अरब किमी है। ये दूरी सूरज से प्लूटो के दूरी का 47 गुना है।
ब्लैक होल कब गायब होगा?
चाहे कोई भी ब्लैक होल कितना भी पावरफुल क्यूं ना हो अंततः समय के साथ वो evaporate हो ही जाएगा। वो प्रक्रिया जिसे वो evaporate करेंगे उसका नाम है हॉकिंग रेडिएशन| इसे समझने के लिए एम्प्टी स्पेस पर गौर कीजिये, एम्प्टी स्पेस सच में एम्प्टी नहीं होती बल्कि वो वर्चुअल पार्टिकल्स से भरी हुई होती है जो पॉप अप करते रहते हैं और एक दसरे को खत्म करते हैं। और जब ये एनीहिलेशन ब्लैक होल के किनारे पर होता है, तो कोई भी वर्चुअल पार्टिकल ब्लैक होल में चला जाता है और कोई भी पार्टिकल एस्केप कर जाता है जिसकी वजह से रियल पार्टिकल फॉर्म जाता है।
कुछ इसी तरह से ब्लैक होल से एनर्जी एस्केप कर जाती है। ये प्रक्रिया शुरू में तो बहुत धीरे-धीरे होता हैं पर जैसे जैसे ब्लैक होल छोटा होता जाता है ये प्रक्रिया तेज़ हो जाता है। जब ब्लैक होल का मास सिर्फ एक बड़े asteroid जीतना बचता है तब वो कमरे का तापमान पर रेडिएशन करता है।
जब उसका मास एक माउंटेन जितना होता है तब वो सूरज के गर्मी के बराबर रेडिएशन एमिट करता है। और अपनी लाइफ के लास्ट सेकेंड्स में ब्लैक होल की रेडिएशन अरबों परमाणु बम विस्फोट के बराबर हो जाती है।
पर ये प्रक्रिया बहुत ही धीमी होती है। यूनिवर्स के सबसे बड़े ब्लैक होल जिने हम जानते हैं उन्हे evaporate होने में लाखों साल का समय लगेगा। ये इतना धीमा होता है की जब लास्ट ब्लैक होल evaporate होगा तब कोई भी उससे देखने के लिए नहीं होगा। तो क्या सच में कोई नहीं होगा सबसे बड़े ब्लैक होल को evaporate होते देखने के लिए?