Indian Political System Explain | भारतीय राजनीतिक व्यवस्था कैसे काम करती है

Indian Political System Explain

Indian Political System Explain

               इंडियन पोलिटिकल सिस्टम के बारे मे आप कितना जानते है ? वेल अगर आप को इसके बारे मे पूरी जानकारी नहीं हैं तो आज कि वीडियो ख़ास आप के लिए ही होने वाली है क्यूँ कि आज हम इंडियन पोलिटिकल सिस्टम के बारे मे डिटेल मे बात करने वाले है . इसीलिए वीडियो मे लास्ट तक ज़रूर बने रहना . 

               पूरी दुनिया मे जितनी भी Countries मौजूद है वो सब अपने अलग अलग गवर्नमेंट सिस्टम या यु कहे कि पोलिटिकल सिस्टम को एग्जीक्यूट करते है जो उनके एनवायरनमेंट मे सटीक बैठता है . पूरी दुनिया मे मैनली 5 तरह के गवर्नमेंट सिस्टम को फॉलो किया जाता है जैसे मोनार्ची , डिक्टटोरशिप , कम्युनिस्ट , रिपब्लिक और डेमोक्रेटिक . मोनार्ची सिस्टम मे राजा या रानी पूरी कंट्री को गवर्न करते है वही बात करें डिक्टटोरशिप कि तो इस सिस्टम मे कुछ लोगो का ग्रुप या आर्मी राजा को हटा कर कब्ज़ा कर लेती है .रही बात कम्युनिस्ट सिस्टम कि तो इस सिस्टम मे गवर्नमेंट सिंगल पार्टी द्वारा चलायी जाती जो कुछ लोगो से मिल कर बनी हो

               अब बात करते है कि रिपब्लिक सिस्टम के बारे मे तो रिपब्लिक सिस्टम मे देश के प्रमुख यानि राष्ट्रपति का चुनाव होता है वही डेमोक्रेटिक मे शाशन के प्रमुख का चुनाव होता है जैसे कि प्राइम मिनिस्टर . अब बात करें भारत कि तो भारत एक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कंट्री है यानि भारत मे रिपब्लिक सिस्टम और डेमोक्रेटिक सिस्टम दोनों को फॉलो किया जाता है . 

इसके अलावा गवर्नमेंट सिस्टम और 3 हिस्सों मे बता हुआ है जिसे हम फेडरल सिस्टम , यूनिटरी सिस्टम और कांफ्रेंडरल सिस्टम कहते है . 

फेडरल सिस्टम –

               बात करें अगर फेडरल सिस्टम कि तो इस सिस्टम मे सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट दोनों इक्वली पार्टिसिपेट करते है . पावर्स के मामले मे दोनों ही गवर्नमेंट मे पावर डिवाइडेड रहती है . सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट कोई भी डिसिशन लेने के लिए और यूज़ एग्जीक्यूट करने के लिए pure तरह se फ्री होती है . 

यूनिटरी सिस्टम –

               वही बात करें अगर यूनिटरी सिस्टम कि तो ये सिस्टम काफ़ी सख्त सिस्टम होता hai क्यूँ कि जिस भी देश भी देश मे ये सिस्टम होता है वहा सिर्फ सेंट्रल गवर्नमेंट कि ही चलती है और स्टेट गवर्नमेंट को सेंट्रल गवर्नमेंट कि ही बात माननी पढ़ती है जैसे कि चाइना .

कांफ्रेंडरल सिस्टम – 

               कांफ्रेंडरल सिस्टम मे आप अपने मनन कि कर सकते हो . लाइक वहा पे सेंट्रल गवर्नमेंट का स्टेट गवर्नमेंट पर किसी भी तरह का दबाव नहीं रहता , अगर स्टेट गवर्नमेंट चाहे तो सेंट्रल गवर्नमेंट को फॉलो कर सकती है और अगर ना चाहे तो वो अपने रूल्स और रेगुलतिओन्स के हिसाब से भी स्टेट को गवर्न कर सकती है . 

               बात करें इंडिया कि तो इंडिया मे फेडरल सिस्टम का चलन है . और ये बात तो आप भी बखूबी जानते होंगे कि अपने भारत देश मे सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट दोनों के पास पावर्स होती है . 

               अब सबसे पहले बात कर लेते है सेंट्रल गवर्नमेंट कि . तो सेंट्रल गवर्नमेंट के 3 पार्ट्स होते है जिसे लेगीस्लाचर , एग्जीक्यूटिव और जुडीशियरी कहते है . सबसे पहले बात करेंगे लेगीस्लाचर कि . जैसा कि हमने बचपन मे ही पढ़ा था कि लेगीस्लाचर यानि पार्लियामेंट मे दो हाउस होते है , एक होता है Upper House aur ek hota hai लोअर house. अपपर हाउस को हम राज्य सभा के नाम से जानते है

               जिसे हम कौंसिल ऑफ़ स्टेट कहते है और वही लोअर हाउस को हम लोक सभा के नाम से जानते है जिसे हम हाउस ऑफ़ थे पीपल भी कहते है . लोकसभा के मेंबर्स डायरेक्ट जनता द्वारा इलेक्शन किये जाते है वही राज्य सभा के मेंबर्स स्टेट के MLAs के थ्रू इलेक्ट किये जाते है . इन दोनों हाउसस को पार्लियामेंट मे MPs यानि मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट रिप्रेजेंट करते है . 

               जब बिल पास होता है तो वो लोक सभा के पास जाता है और फिर वहाँ से उसे राज्यसभा के पास रिव्यु के लिए रेफेर किया जाता है . यहाँ राज्य सभा उस बिल को कैंसिल नहीं कर सकती है , वो बस उसमे कुछ अमेन्दमेंट के लिए भेज सकती है या फिर उसे 14 दिन के लिए डिले कर सकती है . वही मनी बिल के मामले मे तो राज्यसभा का कोई भी इन्वॉल्वमेंट नहीं होता है . 

               उसके बाद बात करें अगर एग्जीक्यूटिव कि तो एग्जीक्यूटिव का काम लेगीस्लाचर द्वारा बनाये गए किसी भी ऑर्डर्स और बिल्स को पास कर के उन्हें एग्जीक्यूट करना होता है .अब बात करें अगर इसके सब पार्ट्स कि तो इनके 2 पार्ट्स होते है – पोलिटिकल एग्जीक्यूटिव और परमानेंट एग्जीक्यूटिव . 

               पोलिटिकल एग्जीक्यूटिव मे लाइक प्राइम मिनिस्टर , प्रेजिडेंट्स , गवर्नर या चीफ मिनिस्टर्स जैसे लोग आते है जो एक टाइम लिमिट के बाद बदल जाते है . वही बात करें परमानेंट एग्जीक्यूटिव कि तो इसमें पब्लिक सर्वेंट्स जैसे आईएएस , आईपीएस , या आईएफएस जैसे लोग आते है . इनकी पोस्ट परमानेंट कि होती है . दोनों ही एग्जीक्यूटिव्स का काम पार्लियामेंट द्वारा पास किये गए बिल को इम्प्लीमेंट करना होता है . 

               अब बात करेंगे जुडीशियरी कि . ये गवर्नमेंट का तीसरा और सबसे इम्पोर्टेन्ट कम्पोनेंट है . इसके अंदर सुप्रीम कोर्ट आता है . अगर सिंपल वर्ड्स मे कहे तो इसका काम है देश के अंदर पीस मेन्टेन करना . इसके अलावा ये लेगीस्लाचर और एग्जीक्यूटिव के बीच के कन्फलीक्ट्स को भी रीसोल्वे करता है . पब्लिक के प्रोब्लेम्स को भी सुन कर उन पर जजमेंट देना भी जुडीशियरी का सबसे बड़ा काम है . 

               ये सारी बातें थी सेंट्रल गवर्नमेंट कि . अब हम बात करेंगे स्टेट गवर्नमेंट कि . स्टेट गवर्नमेंट मे भी एक दम सेंट्रल गवर्नमेंट के तरह ही काम करता है बस उसमे आने वाले पोस्ट्स के नाम बदल जाते है . 

               जैसे सेंट्रल मे लेगीस्लाचर पार्लियामेंट लॉ एंड ऑर्डर्स बनता था वैसे ही स्टेट मे चीफ मिनिस्टर लॉ एंड आर्डर कि ज़िम्मेदारी लेता है . सेंट्रल के लेगीस्लाचर दो हाउस होते है उसी तरह स्टेट मे भी होते है . यहाँ लोअर हाउस को विधान सभा कहा जाता है और अपपर हाउस को विधान परिषद . जैसे लोक सभा मे डायरेक्ट जनता के थ्रू वोटिंग होती थी वैसे ही विधान सभा me भी डायरेक्ट जनता से वोटिंग होती है जिन्हे MLA यही मेंबर ऑफ़ लेगीस्लाटिव असेंबली कहते है वही विधान परिषद के मेंबर्स को विधान सभा के मेंबर्स यानि MLA के थ्रू चूसे किया जाता है जिन्हे हम MLC कहते है यानि मेंबर ऑफ़ लेगीस्लाटिव कॉउन्सिल कहते है . 

यहाँ भी विधान सभा से बिल पास हो कर विधान परिषद के पास रिव्यु के लिए जाता है . 

               अब अगर बात करें एग्जीक्यूटिव कि तो जिस तरह सेंट्रल के एग्जीक्यूटिव प्राइम मिनिस्टर , प्रेजिडेंट होते है उसी तरह स्टेट मे एग्जीक्यूटिव चीफ मिनिस्टर और गवर्नर होते है . यहाँ पर भी एग्जीक्यूटिव का काम लेगीस्लाचर के बनाये हुए रूल्स को इम्प्लीमेंट करना ही है .

               अब अगर बात करें जुडीशियरी कि तो स्टेट मे जुडीशियरी के अंडर हाई कोर्ट आता है जिसे चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया कण्ट्रोल और मैनेज करते है . स्टेट मे भी इसका काम शांति बनाये रखना ही है . 

               अब अगर बात करें यूनियन टेरिटरीज के गवर्नमेंट कि तो जैसे हर स्टेट मे अपनी एक गवर्नमेंट होती है जो अपने हिसाब से लॉ एंड आर्डर पास कर सकती है वैसेे यूनियन टेरिटरीज मे नहीं होता है . यूनियन टेरिटरीज डायरेक्ट सेंट्रल गवर्नमेंट के थ्रू कण्ट्रोल कि जाती है . यहाँ अगर कोई दिक्कत आती है जिसके लिए लॉ पास करने कि नीड आधे तो उसके लिए प्रेजिडेंट खुद आईएएस या MP को अपॉइंट करते है और उसके बाद वहा कि प्रॉब्लम को रीसोल्वे करते है . 

               वैसे इंडिया मे 7 यूनियन टेरिटरी है जिसमे दिल्ली, पुदुचेरी, दमन एंड दिउ, दादरा एंड नगर , चंडीगढ़ , लक्ष्यद्वीप और अंडमान निकोबार आइलैंड शामिल है. इसमें से दिल्ली और पुदुचेरी aisi यूनियन टेरिटरीज है जिनके पास स्टेट्स जैसी कुछ पावर्स होती है

admin

admin